हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहा जाता है। इस साल हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करती हैं। कुछ स्थानों पर कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर पाने के लिए भी तीज का व्रत करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है और सावन के लोकगीत गाकर इस त्योहार की खुशियां मनाती हैं। इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन हरी साड़ी के साथ हरी चूड़ियां भी पहनने का प्रचलन है। आइए जानते हैं हरियाली तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था। इस व्रत करने से पति की दीर्घायु के साथ-साथ संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है। इस व्रत को करने से महिलाओं को शिव-पार्वती जैसा अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। हरियाली तीज प्रमुख रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में मनाई जाती है।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया का आरंभ 18 अगस्त को रात 8 बजकर 1 मिनट से माना जा रहा है। जो कि 19 अगस्त को देर रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगी। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार तीज का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
ऐसे मनाई जाती है हरियाली तीज
हरियाली तीज के दिन कुछ स्थानों पर महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और कुछ स्थानों पर महिलाए फलाहार करके यह व्रत करते हैं। इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन हरे रंग को खास महत्व दिया जाता है और सिर से पांव तक महिलाएं हरे रंग का श्रृंगार करती हैं। हरे रंग को बुध से जोड़कर देखा जाता है। इस दिन हरा रंग धारण करने से बुध मजबूत होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। घर में सुख समृद्धि बढ़ती है।
हरियाली तीज की पूजाविधि
हरियाली तीज के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और नए वस्त्र पहनने चाहिए। उसके बाद सोलह श्रृंगार करें और पूरे दिन व्रत करें। भगवान शंकरजी और माता पार्वती की पूजा करें। पूजा के लिए एक लकड़ी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर शि व परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को भी नए वस्त्र पहनाएं। पूजा सामग्री भगवान को अर्पित करें और उसके बाद हरियाली तीज की कथा का पाठ करके यह पूजा संपन्न करें। आरती करके भगवान को भोग लगाएं।