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Nagpanchmi Special: जानें उज्जैन के इस मंदिर के बारें में जहां साल में बस एक बार नागपंचमी के दिन होते हैं भगवान के दर्शन

 

नाग पंचमी हिंदू धर्म नागों की पूजा करने का बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है।नाग पंचमी के दिन नाग देव की पूजा तो की ही जाति साथ ही शिव जी की भी पूजा अर्चना की जाती है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है हिंदू धर्म में इसको लेकर एक अपनी अलग आस्था रखते है। आध्यात्मिक के दृष्टि से देखे तो इस दिन नाग की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति और मनोवांछित फल मिलता हैं।इस साल 2023 में नाग पंचमी 2 1अगस्त को पड़ा है। इसी नाग पंचमी में उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में बस एक बार खुलता है,आइए हम जानते है की क्यों ऐसा किया जाता है।

नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन

नागचंद्रेश्वर मंदिर 11 शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। ये मंदिर प्रसिद्ध महाकाल के तीसरी मंजिल पर है। मंदिर इस मंदिर में माता पार्वती और महादेव दोनों की नाग फैलाए हुए बैठे है। इस मंदिर एक सबसे खास बात यह है की ये साल में बस एक बार ही नाग पंचमी के दिन खुलता है। उसी दिन महादेव के भक्त इस दिन दर्शन कर सकते है।मान्यता है की इस मंदिर में स्वयं नागराज तक्षक रहते है। इस मंदिर में आपको महादेव के पूरे परिवार के दर्शन करने को मिलेंगे। माता पार्वती और महादेव ,श्री गणेश साथ में दसमुखी सर्प सया पर विराजित है। यहां पर जो शिव जी की मूर्ति है वैसी मूर्ति दुनिया भर में कही नही है। महादेव के गले में और भुजाओं में गुजांग लिपटे हुए है। सुनने में आया है की ये मूर्ति नेपाल से लाई गई है। दुनिया में ऐसी कही और नहीं मिलती है मूर्ति। क्योंकि यहाँ पर विष्णु जी नहीं बल्कि महादेव शेष नाग पर विराजमान है। ये मंदिर अपने आप में अद्भुत है।

 

कितना प्राचीन है मंदिर
कहा जाता है की ये मंदिर अति प्राचीन है।मान्यता है की परमार राजा भोज ने 1050 ईसवी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार सिंधिया घराने के महाराजा राणोजी सिंधिया ने 1732 में करवाया। यहां के लोगों की यही कामना होती है की बस एक बार नागराज महादेव अपने दर्शन दे देते है। महादेव के सारे भक्त एक ही दिन को अपने शिव शम्भू के दर्शन करते है।

पौराणिक मान्यता
इस मंदिर में तक्षक राज की कहानी मिलती है। कथा मिलती है की तक्षक महादेव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने तक्षक को सर्पों का देवता बना दिया साथ ही तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद नागराज तक्षक महादेव के साथ ही रहने लगे। लेकिन महाकाल में निवास करने से पूर्व उनकी एक मनसा थी की जब वो एकांत वास में हो तो उनको कोई विघ्न ना डालें। तभी से ये परम्परा चली आ रही है की साल में बस एक बार नागचंद्रेश्वर मंदिर का द्वार खुलता है। नागपंचमी के दिन ही महादेव के भक्त उनके इस अद्भुत स्वरूप के दर्शन होते है। दर्शन करने के बाद इंसान पर लगा काल सर्प दोष खत्म हो जाता है।इस वजह से इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन बहुत लंबी कतार लगी रहती हैं।

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