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कही-सुनी (27AUG-23): भूपेश बघेल के सभी मंत्री लड़ेंगे चुनाव

रवि भोई की कलम से

कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल सरकार के सभी मंत्री 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। किसी भी मंत्री का टिकट नहीं कटने वाला है। माना जा रहा है कि छह सितंबर को पहली ही सूची में सभी मंत्रियों को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा हो जाएगी। खबर है कि पहली सूची में जीत वाले विधायकों को प्रत्याशी घोषित कर दिया जाएगा। कांग्रेस की पहली सूची में 35 से 40 उम्मीदवारों का नाम हो सकता है। चर्चा है कि मंत्री गुरु रुद्रकुमार इस बार अहिवारा की जगह नवागढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा से हाल ही में कांग्रेस में आए नंदकुमार साय को टिकट मिलने की संभावना नहीं है। वैसे नंदकुमार साय ने टिकट के लिए दावेदारी किया है। बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज भी विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। दीपक बैज 2018 में चित्रकोट सीट से विधायक चुने गए थे। 2019 में सांसद बनने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

2018 के प्रत्याशियों पर कैंची चला सकती है भाजपा

कहते हैं 2018 में चुनाव लड़ चुके लखनलाल देवांगन के बाद अब किसी को भी 2023 के लिए चुनाव मैदान में नहीं उतारा जाएगा। कहा जा रहा है नए चेहरे उतारने के लिए भाजपा ऐसा फार्मूला अपनाने जा रही है। माना जा रहा है कि इस फार्मूले में डॉ. रमन सिंह,बृजमोहन अग्रवाल,नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक,अजय चंद्राकर जैसे दिग्गज चुनाव मैदान से बाहर हो जाएंगे। बृजमोहन अग्रवाल,धरमलाल कौशिक, ओपी चौधरी और अजय चंद्राकर को लोकसभा लड़ाने की चर्चा है। आपराधिक मामलों में उलझे नेता भी टिकट से वंचित हो सकते हैं। भाजपा जुझारू और साफ सुथरे छवि वाले नेताओं को ही उम्मीदवार बनाना चाहती है। इस फार्मूले में उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले भाजपा नेता आलोक दुबे को इस बार अंबिकापुर से मौका मिल सकता है। इसी तरह विवादों में उलझे बिना सांसदी कर रहे सुनील सोनी को रायपुर के किसी सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

कौन होगा दीपक बैज का प्रमुख महासचिव

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने नई कार्यकारिणी की घोषणा तो कर दी है, लेकिन सबको इंतजार है प्रमुख महासचिव का। मोहन मरकाम की टीम में रवि घोष को महासचिव प्रशासन बनाया गया था, लेकिन पावरफुल महासचिव अमरजीत चावला थे। दीपक बैज ने नई कार्यकारिणी में रवि घोष को रखा है, पर अमरजीत चावला की छुट्टी कर दी है। दीपक बैज ने नई कार्यकारिणी में 23 महासचिव बनाए हैं, पर पीसीसी में प्रशासन देखने वाला महासचिव ही प्रमुख और पावरफुल होता है। महासचिव प्रशासन के लिए मलकीतसिंह गेंदू का नाम चर्चा में हैं। गेंदू को दीपक बैज का करीबी माना जाता है। दीपक बैज बस्तर के हैं और मलकीतसिंह गेंदू भी बस्तर से हैं। अब देखते हैं दीपक बैज कब तक और किसे महासचिव प्रशासन की जिम्मेदारी देते हैं।

भाजपा में टिकट के बाद बवाल

भाजपा हाईकमान ने चुनाव के करीब तीन महीने पहले कुछ प्रत्याशी घोषित कर छत्तीसगढ़ में नया प्रयोग किया। अब यह प्रयोग कितना सफल या असफल होता है, यह तो चुनाव नतीजों से पता चलेगा, फिलहाल तो प्रत्याशियों को लेकर विरोध के सुर बुलंद हो रहे हैं। लुंड्रा में प्रबोध मिंज को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा और आदिवासी समाज के कुछ लोग खफा हैं। यहां तो प्रबोध मिंज के खिलाफ कुछ हिंदूवादी संगठन आंदोलन कर चुके हैं। सराईपाली में सरला कोसरिया को प्रत्याशी बनाए जाने से 2018 में भाजपा उम्मीदवार रहे श्याम तांडी ने अपने समर्थकों के साथ दो दिन पहले पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राजिम में रोहित साहू को उम्मीदवार बनाए जाने से भी पार्टी के एक धड़े में नाराजगी है। कहते हैं असंतुष्टों को मनाने और लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और पार्टी के दूसरे नेता दौरा कर समझाइश दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों अजय जामवाल और दूसरे नेता राजिम गए तो लोगों का चेहरा फूला मिला। कोई उन्हें चाय-पानी तक भी नहीं पूछा।

सीईसी ने की महिला कलेक्टरों की तारीफ़

कहते हैं कलेक्टर-एसपी की बैठक में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कांकेर की कलेक्टर प्रियंका शुक्ला और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की कलेक्टर फरिया आलम सिद्दीकी की तारीफ़ की। कहा जा रहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने दोनों के काम को सराहा और उनके प्रजेंटेशन से भी प्रभावित हुए। मुख्य चुनाव आयुक्त ने 25 अगस्त को रायपुर में मतदाता सूची पुनरीक्षण और 2023 के विधानसभा चुनाव में कानून-व्यवस्था को लेकर कलेक्टर-एसपी की बैठक ली। चर्चा है कि इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ने दो कलेक्टरों की प्रशंसा के साथ एक कलेक्टर और एक एसपी की खिंचाई कर दी। खबर है कि कलेक्टर-एसपी दुर्ग संभाग के जिलों के हैं। बताते हैं कि एसपी साहब के पाठ से मुख्य चुनाव आयुक्त नाराज हो गए और एसपी साहब को आड़े हाथों ले लिया।

आचार संहिता लगते ही बदलेंगे कई कलेक्टर-एसपी

चर्चा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगते ही कई जिलों के कलेक्टर और एसपी बदले जाएंगे। कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग कई कलेक्टर और एसपी के काम से खुश नहीं है। माना जा रहा है कि बड़े जिले ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। कहते हैं भाजपा ने भी कुछ जिलों के कलेक्टर-एसपी को लेकर शिकायत की है। माना जा रहा है कि आचार संहिता लगते ही राज्य का प्रशासनिक अमला चुनाव आयोग के अधीन हो जाएगा, ऐसे में भाजपा की शिकायत पर एक्शन भी हो जाएगा और आयोग अपने पसंद के अफसरों को जिलों में तैनात कर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कवायद शुरू कर देगा।

भाजपा ने चुनाव आयोग से की डीजीपी की शिकायत

कहते हैं कि भाजपा ने चुनाव आयोग से छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा को हटाने की मांग की है। भाजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उनकी नियुक्ति को अवैध बताया है। भाजपा ने डीजीपी के अलावा संविदा में नियुक्त डीजी स्तर के एक अधिकारी के खिलाफ भी शिकायत की है। इसके अलावा एसीएस स्तर के एक अधिकारी, दो रेंज आईजी और कुछ एसपी की शिकायत की है। आबकारी और माइनिंग अफसरों की भी शिकायत की है। भाजपा ने सबसे ज्यादा जिला खनिज निधि ( डीएमएफ) के चेयरपर्सन की शिकायत की है।

हाथ खड़े किए भाजपा जिला इकाइयों ने

कहते हैं 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए पहुंचे दूसरे राज्यों के भाजपा विधायकों के सेवा-सत्कार से भाजपा जिला इकाइयों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। भाजपा की योजना राज्य के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में अन्य राज्यों के एक-एक विधायकों की तैनाती की है। अभी 57 विधायकों को अलग-अलग सीटों में भेजा गया है। 33 विधायक जल्द आने वाले हैं। इन भाजपा विधायकों का सेवा-सत्कार जिला इकाइयों को करना है। कहा जा रहा है कि कुछ दिनों तक जिलों इकाइयों ने किया, अब हाथ खड़े करने लगे हैं। चर्चा है कि जिला इकाइयों के पास बजट नहीं है और प्रदेश संगठन से भी उन्हें इस काम के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही है।

हाईकमान की मुहर के पहले ही प्रत्याशी घोषित

कहा जा रहा है कि आईएएस की नौकरी छोड़कर भाजपा आए नीलकंठ टेकाम को केशकाल विधानसभा से टिकट देना पक्का था, लेकिन केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर के बैगर उम्मीदवारी घोषणा से लोग आश्चर्य में पड़ गए। टेकाम को केशकाल विधानसभा से प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने की है। रमन सिंह ने टेकाम को जितवाने की अपील भी आदिवासी समाज के लोगों से की। चर्चा है कि भाजपा सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास साहेब के बेटे गुरु खुशवंत दास साहेब को आरंग विधानसभा से उम्मीदवार बना सकती है। बालदास साहेब ने पिछले दिनों परिवार के सदस्यों और समर्थकों के साथ भाजपा में प्रवेश किया। सतनामी समाज के एक धर्मगुरु विजय गुरु पहले से ही भाजपा में हैं। विजय गुरु के बेटे गुरु रुद्रकुमार कांग्रेस में हैं और भूपेश बघेल सरकार में मंत्री हैं।

सीएजी नहीं सीए से चलाओ काम

कहते हैं निर्माण कार्य से जुड़े एक विभाग के मुखिया ने नई युक्ति का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव दिया कि विभाग में कराए जाने वाले निर्माण कार्यों की आडिट सीएजी की जगह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से कराया जाना चाहिए। कहा जाता है कि इस विभाग में निर्माण कार्यों के लिए एक स्वतंत्र उपक्रम भी है। सीएजी के किच-किच से बचने के लिए उपक्रम का आडिट सीए से कराने का प्रस्ताव विभाग के मुखिया ने बनाया,जिसको आला अफसर सहर्ष मान गए। बताते हैं उपक्रम को भारत सरकार से काफी फंड मिलता है। भारत सरकार से फंड मिलता है, इस कारण आडिट के लिए सीएजी के लोग अलग-अलग जिलों में भी पदस्थ हैं। अब भारत सरकार के पैसे से काम कराकर भी अफसर शार्टकट तरीका अपनाना चाहते हैं, तो फिर क्या कहा जाय। चर्चा है कि इस विभाग में भी ईडी जल्दी घुसने वाली है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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