नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं का बवाल, संसद भवन में भी घुसे; पुलिस फायरिंग में 14 की मौत, 42 घायल

काठमांडू। नेपाल में सरकार के भ्रष्टाचार और हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए हैं। जेनेरेशन जेड (Gen Z) ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। युवाओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कई प्रदर्शनकारी संसद भवन में भी घुस गए। सुरक्षा बलों की ओर से जब उन्हें रोकने की कोशिश की गई, तब वे और बेकाबू हो गए और बैरिकेड कूदकर इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान सुरक्षा बलों पर पथराव भी किया गया। पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए हल्का लाठी चार्ज किया। आंसू गैस के गोले छोड़े। पानी की बौछार की और कुछ जगहों पर फायरिंग भी की। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 14 लोगों की मौत हो गई और 42 लोग घायल हो गए। काठमांडू के न्यू बानेश्वर और झापा जिले के दमक में सबसे ज्यादा हालात खराब हैं।
द हिमालयन टाइम्स के मुताबिक, न्यू बानेश्वर में हिंसक झड़पों के दौरान गोली लगने से घायल हुए प्रदर्शनकारी ने सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस समय कई घायल व्यक्तियों की पहचान अब भी ज्ञात नहीं है। दमक में प्रदर्शनकारियों ने दमक चौक से नगरपालिका कार्यालय की ओर मार्च किया, जहां उन्होंने नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला फूंका और कार्यालय के द्वार तोड़ने का प्रयास किया। हालात और न बिगड़ें, इसके लिए सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है।
पुलिस गोलीबारी में कुछ लोग घायल
न्यू बानेश्वर में प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हुए हैं। घायलों को इलाज के लिए एवरेस्ट अस्पताल, सिविल अस्पताल और आसपास के अन्य अस्पतालों में ले जाया गया है। कार्यकर्ता रोनेश प्रधान ने बताया कि हामी नेपाल संगठन ने प्रदर्शनकारियों को प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिए मैतीघर में एक प्राथमिक चिकित्सा शिविर स्थापित किया है। प्रधान ने कहा, ‘मैतीघर में छह से सात लोगों का इलाज चल रहा है, जबकि ज्यादातर घायल एवरेस्ट अस्पताल में हैं।’हालांकि, घायलों की सटीक संख्या की पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
‘हामी नेपाल’ के बैनर तले प्रदर्शन
बताया गया कि सोमवार सुबह 9 बजे से प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में एकत्रित होने लगे। हाल के दिनों में ‘नेपो किड’ और ‘नेपो बेबीज’ जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इसमें और तेजी आई है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसार, ‘हामी नेपाल’ ने इस रैली का आयोजन किया था। इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी।
समूह के अध्यक्ष सुधन गुरुंग ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन सरकारी कार्रवाइयों और भ्रष्टाचार के विरोध में था। देश भर में इसी तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने छात्रों से भी अपनी यूनिफॉर्म पहनकर और किताबें लेकर प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया।
सोशल मीडिया पर क्यों लगा प्रतिबंध?
सरकार के मुताबिक, नेपाल में सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया गया था। बीते बुधवार को जब समय सीमा समाप्त हो गई, तब भी किसी भी बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म – जिसमें मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और लिंक्डइन शामिल थे, पंजीकरण नहीं कराया। जिसके बाद सरकार ने गुरुवार से इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
सरकार का कहना है कि फर्जी आईडी से जुड़े यूजर्स इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल नफरत फैलाने, अफवाहें फैलाने और साइबर अपराधों के लिए कर रहे थे। इससे समाज में अशांति और असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही थीं।