वैदिक पंचांग के अनुसार, आज मंगलवार 10 सितंबर को संतान सप्तमी व्रत है। यह पर्व शिव-शक्ति को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, नवविवाहित महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए व्रत रख शिव-शक्ति की पूजा करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो संतान सप्तमी व्रत पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। आइए आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-
आज का पंचांग (Panchang 10 September 2024)
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि आज देर रात 11 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू होगी। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष 11 सितंबर को राधा अष्टमी है।
संतान सप्तमी व्रत शुभ योग (Santan Saptami Shubh Yog)
भद्रावास योग
संतान सप्तमी व्रत पर दुर्लभ भद्रावास योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 11 बजकर 11 मिनट से होगा, जो पूर्ण रात्रि तक है। इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग में रहने के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीवों का कल्याण होता है। ज्योतिष भद्रा के पाताल और स्वर्ग में रहने के दौरान शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं। इस योग में देवों के देव महादेव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
करण
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गर एवं वणिज करण का भी संयोग बन रहा है। सर्वप्रथम गर करण का निर्माण हो रहा है। इसके बाद वणिज करण का संयोग बनेगा। वहीं, भादप्रद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी आज अनुराधा एवं ज्येष्ठा नक्षत्र का भी संयोग है। इन योग में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 32 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 12 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रास्त- शाम 10 बजकर 35 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 18 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से 03 बजकर 12 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 32 मिनट से 06 बजकर 55 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक
अशुभ समय
राहु काल – दोपहर 03 बजकर 25 मिनट से 04 बजकर 58 मिनट तक
गुलिक काल – दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 51 मिनट तक
दिशा शूल – उत्तर
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
चन्द्रबल
वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ