0 अधिकारी पर मनमानी करने का आरोप, कार्यवाही नहीं होने से हौसले बुलंद
जीवन एस साहू
गरियाबंद। गरियाबंद के जिला परियोजना समग्र शिक्षा के जिला मिशन समन्वयक की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। विभाग के अधिकारी का कारनामा काफी सुर्खियों में है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिला मिशन समन्वयक द्वारा विगत दस माह पूर्व से अपने कार्यालय में संविदा भृत्य को त्यागपत्र दिलाकर दूसरे दिन से ही कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया। बताया जाता है की इस कार्य को बड़े ही गोपनीय तरीके से किया गया है कि किसी को भनक तक लगने नहीं दिया गया और कई माह तक उपस्थिति पंजी में नाम दर्ज नहीं कर गुपचुप तरीके से वेतन भी दिया गया। जब यह मामला प्रकाश में आया तो इसकी शिकायत भी हुई, लेकिन गोलमोल जवाब पेश कर इस पर पर्दा डाल दिया गया। जबकि ऐसे गंभीर मामले में जिला प्रशासन को जिला स्तरीय टीम गठित कर जांच करवाना चाहिए था। क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान ( समग्र शिक्षा ) में सभी पद संविदा होते हैं, कोई पद में आज तक पदोन्नति नहीं हुआ है। तो ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि एक भृत्य को कंप्यूटर ऑपरेटर कैसे बना दिया गया ? जो कि समझ से परे है।
सवाल यह भी उठता है कि यदि पद रिक्त है तो विज्ञापन जारी कर योग्यताधारी व्यक्ति को अवसर दिया जाता, जबकि बताया जाता है कि इसके संबंध में ब्लाक कार्यालय में पद रिक्त है। वहीं विकासखंड स्रोत समन्वयक तथा सहायक कार्यक्रम समन्वयक की भर्ती का भी विज्ञापन जारी नहीं किया गया। विकासखंड छुरा में व्याख्याता को बीआरसीसी बना दिया गया है, जबकि 2017 के निर्देश में व्याख्याता को नहीं बनाए जाने का उल्लेख है। इसी तरह का एक और मामला सामने आया है जहां जिला में माध्यमिक शाला के शिक्षकों को एपीसी ( सहायक कार्यक्रम समन्वयक) बनाए गए हैं, जबकि भर्ती निर्देश पर 4300 ग्रेड पे का उल्लेख है। यदि इन पदों के लिए विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित करते तो योग्य प्रधानपाठक, व्याख्याता आवेदन करते लेकिन जिला मिशन समन्वयक द्वारा शासन के निर्धारित मापदंडों को धत्ता बताते हुए अपनी मनमानी करते हुए गोपनीय रूप से ब्लाक व जिला स्तर पर भर्ती कर लिया गया है। अब इसकी जांच की बात उठने लगी है। अगर मामले में जांच होती है तो किन–किन कर्मचारियों को कब से वेतन दिए जा रहे हैं, वास्तव में उनका वेतन कितना मिलना चाहिए और क्या वह इसकी पात्रता रखते हैं, इसका खुलासा हो पाएगा।
– बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण व दिव्यांग बच्चों के टूर पर भी डाका–
इसी तरह विभाग का एक और कारनामा सामने आया है, जिसमें विगत वर्ष बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण व दिव्यांग बच्चों के टूर को सीमित स्थान पर ले जाकर खानापूर्ति कर लिया गया। जिसमें भोजन की गुणवत्ताहीन होने की जमकर चर्चा थी, जिससे विभाग की भी किरकिरी हुई। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि मामला तूल न पकड़े इसके लिए बच्चों को चुप करा दिया गया। वहीं प्रशिक्षण के नाम पर मनमानी किए जाने का आरोप लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिला स्तरीय, विकासखंड स्तर प्रशिक्षण की जांच जिला प्रशासन को करना चाहिए, ताकि यह राशि का आहरण किस स्तर पर किया गया है, इसकी जानकारी भी सामने आ सकें।
उल्लेखनीय है कि जिले में पीएम श्री स्कूल संचालित है। जिसमें निर्माण व सामाग्री की खरीदी के लिए स्कूल व जिला स्तर पर समिति बनी हुई है। बावजूद इसकी जानकारी किसी को नहीं होता है। आरोप है कि वहां होने वाले समर कैंप में कुछ बच्चों को लाभ मिल पाया है। इसके लिए बकायदा बच्चों को प्रशिक्षण के लिए आउटसोर्स से प्रशिक्षक रखना था, लेकिन शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर खानापूर्ति कर दिया गया। समर कैंप की राशि को किस-किस कार्यक्रम में खर्च किया गया है, इसकी भी जांच अवश्य हो। बताना लाजिमी होगा कि समग्र शिक्षा जिला प्रशासन का अभिन्न अंग है। सूत्रों का कहना है कि उच्च कार्यालय द्वारा जब जानकारी मांगी जाती है तो विभाग के जिला मिशन समन्वयक द्वारा हमेशा गोलमोल जवाब दे दिया जाता है।
–क्या कहते हैं अधिकारी–
1. जिला मिशन समन्वयक के.एस. नायक ने कहा कि वह भृत्य जरूर है, लेकिन शुरू से वह कंप्यूटर ऑपरेटर का कार्य कर रहा है। कहा कि कलेक्टर के निर्देश पर दैनिक मजदूरी के दर पर रखे गए हैं।
सवाल–
2. बीआरसीसी व एपीसी नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ था ?
जवाब– उसके लिए विज्ञापन निकालने की जरूरत नहीं है, वह सामान्य नियुक्ति है।
सवाल–
3. क्या व्याख्याता को बीआरसीसी बना सकते है ?
जवाब– व्याख्याता को भी बीआरसीसी बना सकते हैं।
सवाल–
4. एपीसी के लिए वेतनमान निर्धारित है, मिडिल स्कूल के शिक्षक को क्यों बनाया गया है ?
जवाब– सामान्य स्थिति में प्रधानपाठक से भी कार्य ले सकते हैं।
सवाल–
5. कितने पीएम श्री स्कूल है, ब्लाक व जिला स्तरीय कार्यक्रम में कितने प्रशिक्षकों ने ट्रेनिंग दिया ?
जवाब– सूची मंगवाना पड़ेगा। 8 पीएम श्री स्कूल है।
सवाल–
6. प्रशिक्षण कार्यक्रम में भोजन के लिए टेंडर जारी किया गया था, कितने आवेदन आए ?
जवाब– टेंडर जारी नहीं किए हैं, समूह वाले को दे दिए थे।
सवाल–
7. कंप्यूटर ऑपरेटर व संविदा भृत्य की नियुक्ति का विज्ञापन जारी कब हुआ था, इसके लिए समिति गठित किया गया था ?
जवाब– समिति गठित करना जरूरी नहीं है, जरूरत के हिसाब से रखा जा सकता है, दैनिक वेतनभोगी कोई नौकरी नहीं है।