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हिंदी भाषा को विस्तार होने से कोई नही रोक सकता: अखिलेश

रायपुर। महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय में हिंदी दिवस के उपलक्ष में हिंदी दिवस समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन के मुख्य अतिथि अखिलेश तिवारी राजभाषा अधिकारी केंद्रीय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय थे. वही कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी ने की. इस अवसर पर हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉक्टर किरण अग्रवाल, डॉक्टर किरण तिवारी ,डॉक्टर प्रीतम दास, डॉक्टर राकेश चंद्राकर, डॉ प्रेम चंद्राकार, डॉक्टर श्वेता शर्मा सहित शिक्षक शिक्षिकाएं सम्मिलित हुए। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथिअखिलेश तिवारी ने कहा कि हिंदी सरल, सहज एवं सर्व ग्राह्य भाषा है। यह तेजी से विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है।

हिंदी ही एक मात्र भाषा है , जो पूरे देश को एक सूत्र में पिरो सकती है। इसमें हर भाव के लिए अनेक शब्द है। यह बहुत ही समृद्ध भाषा है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं के आठ सौ से अधिक शब्दों को शामिल किया गया है। चीन सहित अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई हो रही है।एक समृद्ध और बृहद भाषा है जिसकी मिठास हर हिंदुस्तानी में अच्छी और बोली जाती है इसीलिए इसे बुद्धिजीवियों की भाषा कहते हैं उन्होंने उद्बोधन के दौरान अकबर और बीरबल की कहानी का उदाहरण पेश किया और बताया कि किस तरह से हिंदी समृद्ध भाषा है उनका कहना था कि हिंदी पूरे हिंदुस्तान में बोली जाती है। वही कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी ने कहा कि हिंदी का सदैव विशेष महत्व रहा है भारत में सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से हिंदी की पहचान है। और उसे बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन हिंदी को लेकर राजनीति होने पर चिंता जताई और कहा कि यह एक दुखद पहलू है जो सामने नहीं आना चाहिए। हिंदी की विस्तार को लेकर डॉक्टर मुखर्जी ने चुनौती पूर्ण और कामकाजी भाषा होने के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया।

आयोजन में स्वागत उद्बोधन देते हुए हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ किरण अग्रवाल ने कहा की हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुए 75 साल हो गए। वैसे भी भाषण और माताएं सदैव पूजनीय होती है और हर भाषा पूजनीय है। हिंदी में क्षेत्रीय भाषाओं का काफी प्रभाव देखने को मिलता है डॉक्टर किरण अग्रवाल ने भाषा साहित्य में इम्यूनिटी के महत्व पर कहां की भाषा साहित्य में सूरदास कबीर जैसे कई इम्यूनिटी का कार्य कर रहे हैं। वहीं विभाग के सदस्य डॉक्टर प्रीतम दास ने कहा कि हिंदी हमारे माथे पर बिंदी की तरह है जो सुशोभित होती है लेकिन हिंदी की उपेक्षा से काफी नाराजगी का माहौल है हिंदी की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हिंदी हर स्वीकार्यता को समृद्ध करती है अंत में आभार भी डॉक्टर प्रीतम दास ने दिया और सभी का धन्यवाद किया।

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