#त्योहार-पर्व

सर्वपितृ अमावस्या कब है? इस बार बने कई शुभ योग, जानें तारीख और तर्पण की विधि

Advertisement Carousel

सर्वपितृ अमावस्या पितृपक्ष के अंतिम दिन होती है जिसे जाता है। सर्वपितृ अमावस्या का महालय और सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। इस दिन किया गया श्राद्ध कर्म और तर्पण सभी पितरों के नाम से किया जाता है। इस दिन पितरों को विदाई दी जाती है। आइए जानते हैं कब है सर्वपितृ अमावस्या जानें तारीख और महत्व।



सर्वपितृ अमावस्या पर किसका श्राद्ध होता है ?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन इन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनका श्राद्ध करना आप भूल गए हों या फिर जिनकी श्राद्ध की पुण्यतिथि याद नहीं हो। उस दिन सभी पितरों का नाम लेकर श्राद्ध करना चाहिए।

कब है सर्वपितृ अमावस्या 2025 ?
अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 तारीख को रात 12 बजकर 17 मिनट पर होगी और 21 तारीख को रात में 1 बजकर 24 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या उदय तिथि के अनुसार 21 तारीख को ही मनाई जाएगी। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर शुभ योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।

अमावस्या तिथि श्राद्ध के नियम
० इस दिन स्नान करने के बाद किसी पवित्र नदी या किसी शुद्ध जगह पर अपना आसन लगाएं।
० इसके बाद हाथ में थोड़ा चावल लेकर सभी पितरों को याद करते हुए श्राद्ध का संकल्प लें।
० जल में अक्षत डालें और उसे देवताओं को अर्पित करें। इसके बाद पितरों के नाम से तर्पण करें।
० पितरों के तर्पण के लिए काले तिल, सफेद फूल हाथ में लेकर फिर जल डालते हुए तर्पण किया जाता है।
० तर्पण के लिए तर्जनी अंगुली और अंगूठे के बीच कुशा लें और एक अंजलि बनाए।
० अंजलि में जल लेकर उसे खाली पात्र में अर्पित करें। सभी पितरों को याद करते हुए सभी के नाम से तीन बार जल अर्पित करें। तर्पण करते समय ओम पितृभ्य नम: का जप करते रहें।
० इसके बाद तर्पण का जल किसी पेड़ में अर्पित कर दें। इसके बाद ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन कराएं।