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बच्चों के लिए खेल के खुले मैदानों की व्यवस्था हो, बच्चों के खेलने के लिए घटते हुए मैदान बेहद चिंताजनक हैं -डाॅ. वर्णिका शर्मा

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० बच्चों के खेल के मैदानों को बढ़ावा दिया जाये ,बच्चों के खेल के मैदानों से तत्काल अतिक्रमण हटाकर उन्हें विकसित किया जाये



रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डाॅ. वर्णिका शर्मा ने प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों में बच्चों के घटते हुए खेल के मैदानों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समस्त जिला कलेक्टर , समस्त नगर निगम आयुक्त व मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को पत्र क्रमांक 730 द्वारा अनुशंसा क्रमांक आर-183 दिनांक 09.09.2025 जारी करते हुए लेख किया है कि नगरीय क्षेत्रों में खुले स्थानों/मैदानों का आमतौर पर व्यवसायिक उपयोग किया जाता है। दूसरी ओर यह भी पाया जा रहा है कि बच्चों में मोबाइल की लत् बड़े पैमाने पर विकसित हुई है, जिसकी रोकथाम का एक कारगर उपाय बच्चों को खुले मैदान में खेले जाने के अवसर प्रदान करना है । इसे ध्यान में रखते हुए अनुशंसा की गई है कि, बच्चों के खेल के मैदान जैसे – शाला से जुड़े मैदान आदि पर किसी भी प्रकार के व्यवसायिक उपयोग जैसे चैपाटी आदि के विकास की अनुमति प्रदान न की जावे । इन मैदानों को बच्चों के खेलने के लिए ही आरक्षित सुरक्षित रखा जावे ।

नगरीय क्षेत्र में जहाँ भी बच्चों के खुले में खेलने के लिए मैदान या क्षेत्र उपलब्ध है वहाँ नगरीय निकायों तथा जिला स्तर पर उपलब्ध अन्य धन राशि से अधिक से अधिक खेल की सुविधाएं विकसित की जायें । खेल की सुविधाएं विकसित करते समय बहुआयामी खेलों की सुविधाएं उपलब्ध कराई जायें , जिससे सभी प्रकार के खेलों के प्रतिभाशाली बच्चों को अवसर मिल सके । यह प्रयास किया जाये कि शहर के भीतर प्रत्येक 1 किलोमीटर के दायरे में बच्चों के लिए खेल का मैदान व इंडोर खेल का परिसर उपलब्ध हो । नवीन आवासीय काॅलोनियों के निर्माण की अनुमति देते समय उसमें बच्चों के खेल के मैदान जिसमें बहुआयामी खेलों की सुविधा हो, का निर्माण व विकास करवाना काॅलोनाईजर के लिए अनिवार्य किया जाये । बच्चों के खेल के मैदान में यदि कोई भी अतिक्रमण हो तो उसे तत्काल हटाते हुए स्वच्छ खेल मैदान बच्चों को उपलब्ध कराया जाये । उन्होंने अनुशंसा पर तत्काल आवश्यक कार्यवाही करते हुए आयोग को अवगत कराने का भी लेख किया है।