विश्वकर्मा जयंती 17 को : जानें क्या है पूजा का महत्व , इस दिन ना करें ये गलतियां,जाने पूजा के नियम

पूजा हर साल सूर्य के कन्या राशि में आने पर आयोजित होता है। आमतौर पर 17 सितंबर के दिन सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं। इस साल भी सूर्य 16 तारीख की मध्यरात्रि के बाद रात 1 बजकर 47 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में 17 सितंबर को पूरे देश में विश्वकर्मा पूजा किया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म अश्विन संक्रांति के दिन हुआ है। इसलिए हर साल इसी दिन विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान विश्वकर्मा का हर युग में सम्मान रहा है। देवी देवता भी भगवान विश्वकर्मा का आदर करते हैं। ऐसी कथा है कि सृष्टि के निर्माण के
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
जब देवताओं को वृत्रासुर ने पराजित कर दिया था उस समय देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विश्वकर्मा ने ही महर्षि दधीचि की अस्थियों से देवताओं के लिए अस्त्र शस्त्र का निर्माण किया था। देवराज इंद्र का वज्र भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था। जिससे देवताओं ने वृत्रासुर का वध करके वापस स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।
भगवान विश्वकर्मा सूर्यदेव के भी रिश्तेदार लगते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पुत्री का विवाह सूर्यदेव से हुआ है इसलिए रिश्ते में भगवान विश्वकर्मा सूर्यदेव के ससुर लगते हैं। सूर्यदेव का तेज पहले और भी अधिक था जिसे इनकी पत्नी सहन नहीं कर पा रही थी। ऐसे में सूर्यदेव के तेज को छाँटकर आकार देने का काम भी भगवान विश्वकर्मा ने किया।
द्वापर में भगवान विश्वकर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण ने बुलाने पर द्वारका नगरी का निर्माण किया था। अब कलियुग में सबकुछ मशीन और कलपुर्जुं से चलने वाले हैं। ऐसे में भगवान विश्वकर्मा का महत्व और बढ़ गया है। क्योंकि लगभग हर घर में कुछ न कुछ उपकरण, वाहन, और मशीनरी होती है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा कलियुग में हर किसी को करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा के लाभ
भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी कहा जाता है। भगवान विश्वकर्मा ही कलपुर्जे और मशीनरी के देवता माने जाते हैं। इनकी पूजा से शिल्पकारों, बढई, मैकेनिक और मिस्त्री के काम में दक्षता आती है। ऐसा माना जाता है कि जैसे देवी सरस्वती विद्यार्थियों को ज्ञान और विद्या देती हैं उसी प्रकार भगवान विश्वकर्मा अपने भक्तों को कार्यक्षेत्र में दक्षता प्रदान करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा से वाहन, मशीनरी आदि सुचारू रूप से काम करते हैं और उनमें कम खराबी आती है जिससे कमाई बढ़ती और मशीनरी पर खर्च भी कम आता है। वाहन आपको रास्ते में खराब होकर परेशान नहीं होने देता है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा भक्ति भाव से करनी चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा के दिन ना करें ये गलती
० विश्वकर्मा पूजा करने वाले लोगों को विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने औजारों को धोकर अथवा साफ करके पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा के सामने रखना चाहिए और पूजा के बाद औजारों की भी पूजा करें।
० घर में जो भी उपकरण हैं उनकी साफ सफाई विश्वकर्मा पूजा के दिन जरूर करें। पूजा के बाद सभी उपकरण पर स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए।
० आपके पास वाहन है तो वाहन की सफाई करें। वाहन में कोई दिक्कत है तो उसे पहले ही ठीक करवा लें। वाहन की पूजा करें और वाहन पर भी स्वास्तिक का चिह्न सिंदूर अथवा रोली से बनाएं। वाहन में भगवान विश्वकर्मा का वास मानकर माला पहनाएं। पूजा के बाद वाहन को स्टार्ट जरूर करें। और भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना करें कि वाहन के कलपुर्जे कुशलता से काम करते रहें। कभी रास्ते में धोखा न दे।
० भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन अगर संभव हो तो पूजा के बाद मशीनरी को बंद रखें। अगले दिन की पूजा के बाद ही मशीनरी को फिर से चालू करें।
विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी भी शिल्पकार, मैकेनिक, मिस्त्री, के साथ गलत बात व्यवहार करने से बचें। अगर संभव है तो जहां भी विश्वकर्मा पूजा किया जा रहा हो वहां अपनी ओर से कुछ सहयोग कर देना चाहिए।
० विश्वकर्मा पूजा के दिन सूर्य संक्रांति भी होती है इसलिए इस दिन भगवान सूर्य की भी पूजा करनी चाहिए और अन्न, वस्त्र का दान किसी बुजुर्ग व्यक्ति को करना चाहिए। अगर आप अपने ससुरजी को दान देंगे तो यह अधिक उत्तम रहेगा।