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रूस के कामचटका में 7.8 की तीव्रता से कांपी धरती, 30 आफ्टरशॉक के बाद सुनामी का अलर्ट

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इंटरनेशनल न्यूज़। रूस के पूर्वी तट पर स्थित कामचटका प्रायद्वीप में बेहद शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 मापी गई है। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने इस बारे में जानकारी दी। भूकंप के कारण सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। इससे पहले बीते शनिवार को भी इस इलाके में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। उस दिन कामचटका प्रायद्वीप के पूर्वी तट के पास 7.1 तीव्रता का भूकंप आया था। एनसीएस के मुताबिक, वह भूकंप सुबह आठ बजकर सात मिनट पर आया। इसका केंद्र जमीन से 60 किलोमीटर गहराई में था।

 

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार, शुक्रवार सुबह 7.8 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र रूस के पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की में 10 किलोमीटर (6.21 मील) की गहराई पर था। इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा के हवाई स्थित प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी जारी की है। भूकंप के बाद स्थानीय प्रशासन ने तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी किया है। लोगों से सुनामी को लेकर सतर्क रहने और ऊंचे इलाकों में जाने की सलाह दी है।

कामचटका के गवर्नर ने भी इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभी किसी बड़े नुकसान या हताहतों की खबर नहीं है, लेकिन बचाव कर्मियों को पूरी तरह तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। यह भूकंप उसी क्षेत्र में आया, जहां जुलाई में 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। इसके बाद पूरे प्रशांत क्षेत्र में सुनामी की चेतावनी जारी की गई थी।

क्यों घातक है रूस के इस इलाके में आने वाला भूकंप
रूस के पूर्वी छोर पर स्थित कामचटका प्रायद्वीप पृथ्वी के सबसे खतरनाक भूगोल वाले इलाकों में गिना जाता है। शनिवार को फिर से यहां 7.4 तीव्रता का भीषण भूकंप दर्ज किया गया। लगभग 1,200 किलोमीटर लंबा यह प्रायद्वीप प्रशांत रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जहां टेक्टॉनिक प्लेटों की लगातार हलचल और ज्वालामुखीय गतिविधियां आम हैं।

यही कारण है कि कामचटका को भूकंप और ज्वालामुखी के लिहाज से दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में रखा जाता है। कामचटका में भूगर्भीय, जलवायु और समुद्री सभी तरह की आपदाएं साथ-साथ दिखाई देती हैं। इससे इसे रूस का आपदा-हॉटस्पॉट कहा जाता है और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थान लगातार इस क्षेत्र की निगरानी करते रहते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि कामचटका के नीचे प्रशांत प्लेट और उत्तरी अमेरिकी प्लेट के साथ-साथ ओखोत्स्क माइक्रोप्लेट की टकराहट होती है। यही कारण है समय-समय पर बड़े भूकंप आते रहते हैं। इससे पहले 20 जुलाई को यहां भूकंप के कई बड़े झटके लगे थे।
कामचटका के दक्षिणी हिस्से में कुरिल-कामचटका ट्रेंच मौजूद है, जहां प्रशांत प्लेट समुद्र तल के नीचे खिसककर ओखोत्स्क प्लेट के नीचे धंसती है। इसे सबडक्शन जोन कहते हैं और यही बड़े भूकंपों की मुख्य वजह है। प्रशांत प्लेट लगातार उत्तर-पश्चिम की ओर खिसक रही है और ओखोत्स्क माइक्रोप्लेट के नीचे धंस रही है। इस टकराव से भारी दबाव बनता है।

इस तरह के बड़े भूकंप के बाद सुनामी का खतरा पूरे प्रशांत क्षेत्र में फैल सकता है। कामचटका से निकलने वाली सुनामी की लहरें सबसे नजदीकी इलाके होने के कारण जापान और कोरिया तक सबसे पहले पहुंच सकती हैं। प्रशांत महासागर के आर-पार पहुंचने वाली लहरें अलास्का और बाद में हवाई द्वीपों को प्रभावित कर सकती हैं।