आरएसएस के 100वर्ष पूरे होने पर भाजपा बताए इनका आजादी की लड़ाई में क्या योगदान था — कांग्रेस

रायपुर। भाजपा का पितृ संगठन अपनी स्थापना के 100 वी वर्ष गांठ मना रहा ।पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी भाजपा और आरएसएस के नेता आरएसएस की शान में कसीदे पढ़ रहे ।आरएसएस के इतिहास को पाठ्यक्रमों में पढ़ाने की घोषणा की गई इसके ऊपर सिक्के और डाक टिकिट भी जारी किए गए लेकिन इस गैर पंजीकृत संगठन का देश के लिए देश की आजादी की लड़ाई के लिए भारत के नव निर्माण में क्या योगदान था यह भाजपा के नेता नहीं बता पाते । दर असल आर एसएस का इतिहास बहुत दरिद्र है ।वह अंग्रेजों का साथ देती थी ।आजादी के बाद उसके सांप्रदायिक चरित्र के कारण सरदार बल्लभ भाई पटेल ने उस पर प्रतिबंध भी लगाया था ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस के मूलस्वरूप हिन्दू महासभा का गठन 1925 में हुआ, देश आजाद 1947 में हुआ इन 22 सालों तक भारत के आजादी की लड़ाई में हिन्दू महासभा का क्या योगदान था? भाजपाई बता नहीं सकते। 1947 में जब देश आजाद हुआ तब दीनदयाल उपाध्याय 32 वर्ष के परिपक्व नौजवान थे देश की आजादी की लड़ाई में उनका क्या योगदान था? कितनी बार जेल गये? 1942 में कांग्रेस महात्मा गांधी की अगुवाई में भारत छोड़ो आंदोलन चला रही थी तब भाजपा के पितृ पुरुष श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंग्रेजी हूकूमत को सलाह दे रहे थे कि भारत छोड़ो आंदोलन को क्रूरतापूर्वक दमन किया जाना चाहिये।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि देश की आन-बान-शान का प्रतीक रहे तिरंगा को भाजपा ने पितृ पुरुष गोलवलकर ने देश के लिये अपशगुन बताया था। तिरंगे के प्रति सम्मान का आडंबर कर रही भाजपा के आदर्श गोलवलकर ने अपनी पुस्तक बंच ऑफ थॉट्स में तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज मानने से ही मना कर दिया था। इस पुस्तक में उन्होंने लोकतंत्र और समाजवाद को गलत बताते हुए संविधान को एक जहरीला बीज बताया था। 30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गाँधी की हत्या कर दी गयी तो अखबारों के माध्यम से खबरें आई थीं कि आरएसएस के लोग तिरंगे झंडे को पैरों से रौंदकर खुशी मना रहे थे। आज़ादी के संग्राम में शामिल लोगों को आरएसएस की इस हरकत से बहुत तकलीफ हुई थी। जवाहरलाल नेहरू जी ने 24 फरवरी 1948 को अपने एक भाषण में इस घटना को लेकर कड़ा विरोध जताया था और ऐसा करने वालों को देशद्रोही बताया था। आजादी के बाद 50 सालों तक आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में तिरंगा नहीं फहराया जाता था।