रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय मंत्रिमडल में फेरबदल की अटकलें एक बार फिर शुरू हो गई है। इस बार रमनसिंह मंत्रिमडल में मंत्री रहे दो विधायकों को कैबिनेट में शामिल करने की जबरदस्त चर्चा है। दोनों रायपुर संभाग के विधायक हैं। साय मंत्रिमडल में अभी दो पद रिक्त हैं। मंत्रिमडल के गठन के वक्त एक मंत्री कम बनाया गया था और एक पद बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के कारण खाली हो गया। बताते हैं पहले नए विधायकों को कैबिनेट में जगह देने की बात चल रही थी, लेकिन पहली बार के विधायकों का मंत्री के रूप में परफॉर्मेंस को लेकर कई शिकायतों के बाद नए-पुराने का फार्मूला अपनाने की रणनीति बनाई गई। बताते हैं पहले संगठन पुराने मंत्रियों को साय कैबिनेट में शामिल करने के पक्ष में नहीं था, लेकिन सरकार के बेहतर परफॉर्मेंस के लिए तैयार हो गया। मंत्रिमंडल का विस्तार कब तक होगा, यह अभी तय नहीं है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सात अक्टूबर को दिल्ली में रहेंगे, ऐसे में हो सकता है उनकी पार्टी के बड़े नेताओं से चर्चा हो जाय।
सुनील सोनी और अवधेश जैन लगे कैम्पेन में
कहते हैं रायपुर दक्षिण से टिकट के दावेदार पूर्व सांसद सुनील सोनी और भाजपा नेता अवधेश जैन प्रचार के लिए गली-मोहल्लों में घूमने लग गए हैं। रायपुर दक्षिण से भाजपा के 50 से अधिक नेता दावेदार बताए जाते हैं। लोगों का मानना है कि सभी दावेदारों में सुनील सोनी का पलड़ा भारी है। एक तो सुनील सोनी का टिकट काटकर बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा चुनाव लड़ाया गया। दूसरा सुनील सोनी रायपुर के निर्वाचित महापौर रह चुके हैं। कहते हैं टिकट के एक दावेदार दुर्गा पंडालों को चंदा देकर अपना जनाधार मजबूत करने में लगे हैं। रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से बृजमोहन अग्रवाल आठ बार विधायक रहे। सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे से यह सीट रिक्त हुई है। कहा जा रहा है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट में बृजमोहन अग्रवाल की ही पसंद चलेगी। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ रायपुर दक्षिण सीट में भी उपचुनाव हो जाएगा।
क्या छग के अगले सीएस दिल्ली से आएंगे ?
केंद्र सरकार में पदस्थ आईएएस सुधांश पंत को राजस्थान, मनोज आहूजा को ओडिशा और अनुराग जैन को मध्यप्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया, उससे साफ लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में भी अगले मुख्य सचिव दिल्ली से आएंगे। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अफसरों में 1993 बैच के आईएएस अमित अग्रवाल भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। चर्चा चलने लगी है कि अमिताभ जैन के बाद अमित अग्रवाल मुख्य सचिव के रूप में छत्तीसगढ़ आ सकते हैं। राजस्थान, ओडिशा और मध्यप्रदेश भाजपा शासित राज्य हैं और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन का कार्यकाल जून 2025 तक है। 1989 बैच के आईएएस अमिताभ जैन के बाद 1991 बैच की आईएएस रेणु पिल्लै और 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू हैं। रेणु पिल्लै छग माध्यमिक शिक्षा मंडल और व्यावसायिक परीक्षा मंडल की अध्यक्ष हैं।सुब्रत साहू को महानिदेशक प्रशासन अकादमी के साथ धार्मिक-धर्मस्व विभाग का चार्ज दिया गया है।
अशोक जुनेजा के दिल्ली जाने की अटकलें
1992 बैच के आईपीएस पवनदेव के डीजी प्रमोट होने के बाद छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा के दिल्ली जाने की अटकलें शुरू हो गई हैं। 1989 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा को सरकार ने अगस्त में छह महीने की सेवावृद्धि दी है। अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ के पहले डीजीपी हैं,जिन्हें सेवावृद्धि मिली है। माना जा रहा है कि अशोक जुनेजा की केंद्र सरकार में अच्छी पकड़ है और वे दिल्ली के ही रहने वाले हैं। 1992 बैच के आईपीएस अरुणदेव गौतम और 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता के साथ जुलाई में पवनदेव डीजी नहीं बन पाए थे। एक पुराने मामले के कारण पवनदेव की पदोन्नति अटक गई थी। पवनदेव को पिछले हफ्ते ही पिछली तारीख से डीजी बनाया गया। पवनदेव 1992 बैच की वरिष्ठता सूची में अरुणदेव गौतम से ऊपर हैं। वैसे तीनों डीजी अभी पुलिस मुख्यालय से बाहर हैं। अब देखते हैं किसको और कब पुलिस मुख्यालय में एंट्री मिलती है।
सरकार को सीना फुलाने का मौका
कहा जा रहा है कि नक्सल मोर्चे पर सफलता से साय सरकार को सीना चौड़ा करने का मौका मिल गया। शुक्रवार को अबूझमाड़ के जंगलों में जवानों द्वारा कई नक्सलियों को मार गिराना और उनमें से 31 के शवों को अपने कब्जे में लेना बड़ी उपलब्धि है। पिछली सरकारों में नक्सलियों के जवानों पर भारी पड़ने की खबरें ज्यादा आती थी। विष्णुदेव साय के राज में नक्सलियों के हताहत की ख़बरें ज्यादा आ रहीं हैं। यह राज्य के लिए शुभ संकेत है। छत्तीसगढ़ पर नक्सली हिंसा का बड़ा दाग है। नक्सलियों पर लगातार वार कर सरकार दाग को मिटाने में लग गई है।
पीडब्ल्यूडी में प्रमोशन की रेवड़ी
कहा जा रहा है लोक निर्माण विभाग में इन दिनों प्रमोशन की रेवड़ी बंट रही है। विभाग सहायक अभियंता से लेकर अधीक्षण अभियंता का दर्जा बढाने में लगा है। जल्दी -जल्दी प्रमोशन देने के फेर में विभाग गलत-सही को नहीं देख रहा है। इसके कारण लोग हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा रहे हैं। बताते हैं अगस्त महीने में हुए अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता के प्रमोशन का नतीजा अब तक घोषित नहीं हुआ है। चार साल और पांच साल के सीआर के चक्कर में लोग हाईकोर्ट गए और मामला लटका पड़ा है। पिछले दिनों कार्यपालन अभियंता से अधीक्षण अभियंता के प्रमोशन में भी सवाल उठने लगे हैं। वित्तीय अनियमितता का निपटारा हुए बिना एक अफसर को अधीक्षण अभियंता बनाए जाने की खबर आ रही है। वहीं सहायक अभियंताओं के प्रमोशन को लेकर विवाद की चर्चा है। कहते हैं आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ सहायक अभियंताओं को दरकिनार कर कनिष्ठों को पदोन्नत कर दिया गया।सहायक अभियंताओं के प्रमोशन का मामला कोर्ट में सुलझे बिना ही डीपीसी कर लिए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सुर्ख़ियों में मंत्री जी के ओएसडी
कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक मंत्री जी के ओएसडी इन दिनों बड़े सुर्ख़ियों में हैं। चर्चा है कि ओएसडी साहब पूरा विभाग चला रहे हैं। खबर है कि मंत्री से ज्यादा ओएसडी साहब की चलती है। ओएसडी साहब हैं तो कनिष्ठ अफसर रैंक के, पर विभाग के बड़े -बड़े अफसरों को अपने उंगुलियों से नचाते हैं। मजेदार बात तो यह है कि ओएसडी साहब जिस मूल विभाग से हैं,वे इन दिनों उसी विभाग को चला रहे हैं। ओएसडी साहब मंत्री जी के पुराने दिनों के साथी हैं,इस कारण कोई कुछ कहता नहीं और कड़वा घूंट पीकर ओएसडी के फरमान को सुन लेते हैं। कहा जाता है कि ओएसडी ने विभागाध्यक्ष से बिना पूछे ही एक राजपत्रित अधिकारी को निलंबित करवा दिया। विभागाध्यक्ष सरकार की मेहरबानी पर चल रहे हैं, इस कारण उन्होंने भी चुप्पी साध ली। वैसे भी पिछले दिनों इस विभाग की बड़ी किरकिरी हुई और मुख्यमंत्री जी ने विभाग के मंत्री को कुछ बैठकों से दूर रखना ही भला समझा।
रोहित यादव को ऊर्जा विभाग सौंपने के मायने
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे आईएएस अधिकारी डॉ रोहित यादव को ऊर्जा विभाग का सचिव और विद्युत मंडल का अध्यक्ष बनाए जाने के मायने तलाशे जा रहे हैं। ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है। अब तक मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद ऊर्जा सचिव और विद्युत मंडल के अध्यक्ष थे। मुख्यमंत्री रहते डॉ रमनसिंह ने अपने सचिव को ही ऊर्जा सचिव के रूप में रखा था। भूपेश बघेल ने तो ऊर्जा सचिव के साथ विद्युत मंडल का अध्यक्ष भी अपने सचिव को बना दिया। रमनसिंह के कार्यकाल में डॉ रोहित यादव मुख्यमंत्री सचिवालय में कुछ समय के लिए रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ लौटने से पहले वे प्रधानमंत्री कार्यालय में थे। इस कारण चर्चा चल पड़ी है कि डॉ रोहित यादव देर-सबेर मुख्यमंत्री सचिवालय में आ सकते हैं।
कांग्रेस को बैटिंग का मौका
कांग्रेस ने न्याय यात्रा के बहाने पिछले दिनों विष्णुदेव साय सरकार के खिलाफ बैटिंग की। इस बैटिंग का परिणाम नगरीय निकाय चुनावों में पता चलेगा। कहते हैं बलौदाबाजार से लेकर कवर्धा कांड ने कांग्रेस के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर दिया। कहा जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बुरी तरह मात खाई कांग्रेस में छत्तीसगढ़ में हुई बड़ी घटनाओं ने जान फूंक दी। चुनावों में पराजित होकर दुबके नेता बाहर आ गए तो बड़े नेता एक मंच पर आकर हुंकार भरने लगे। कांग्रेस के लिए लड़ाई अभी लंबी है, ऐसे में नेताओं में कितने दिनों तक जोश बना रहता है,यह देखने वाली बात होगी।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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