जापान में फ़ैल रहा फ्लू अब बढ़ा रहा चिंता, बिगड़ते हालात से लॉकडाउन जैसी स्थिति
इंटरनेशनल न्यूज़। साल 2020-21 की यादें आज भी लोगों के मन में ताजा हैं, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के डर से थम सी गई थी। सड़कों पर सन्नाटा, स्कूलों के दरवाजे बंद और लोगों की जिंदगी घरों में कैद हो गई थीं। अब कुछ वैसी ही चिंता एक बार फिर बढ़ती दिख रही है, हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दिनों जापान में बड़े पैमाने पर फ्लू का प्रकोप देखा जा रहा है और हालात बिल्कुल कोरोना महामारी के दिनों जैसे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान में फ्लू के प्रकोप के चलते कई शहरों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। तेजी से बिगड़ते हालात के बीच जापान के सरकार ने देशव्यापी इन्फ्लूएंजा महामारी घोषित कर दी है।
अब लोगों के मन में सवाल ये है कि क्या फिर से कोरोना जैसी खतरनाक महामारी दस्तक दे रही है?
जापान में बिगड़ रहे हैं हालात
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान में हर साल फ्लू का खतरा देखा जाता रहा है। हालांकि इस बार फ्लू के मामले करीब पांच सप्ताह पहले से बढ़ने लगे हैं जिसके चलते हालात इतने बिगड़े हैं। हाल के दिनों में जिस तरह से स्थिति बिगड़ी है इसके चलते कई जगहों पर स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है और हेल्थ सिस्टम पर दबाव बढ़ने लगा है।
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 3 अक्तूबर तक इन्फ्लूएंजा के कारण 4,000 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके थे, एक हफ्ते में ही मामले चार गुना ज्यादा हो गए। देशभर में कम से कम 135 स्कूल और चाइल्डकैअर सेंटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, ताकि बीमारी के प्रसार को कंट्रोल किया जा सके।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल फ्लू की लहर न केवल जल्दी आई है, बल्कि असामान्य रूप से आक्रामक भी है। होक्काइडो के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की प्रोफेसर योको त्सुकामोटो के हवाले से कहा गया, बदलते वैश्विक परिवेश में यह एक आम स्थिति बन सकती है। लोगों को व्यावहारिक सावधानियां बरतनी चाहिए, टीका लगवाना चाहिए, नियमित रूप से हाथ धोने चाहिए और संक्रमण से बचाव के उपाय करने चाहिए।”
त्सुकामोटो ने चेतावनी दी कि वैश्विक यात्राएं वायरस के प्रसार को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। जापान में शुरुआती उछाल दुनिया के अन्य हिस्सों में उभर रहे पैटर्न को दर्शाता है, जिससे संकेत मिलता है कि इन्फ्लूएंजा के नए वैरिएंट्स अब ज्यादा प्रभावी ढंग से फैल रहे हैं और इसके लिए अब तक किए जाने उपाय भी ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं।





