जीवन एस.साहू
गरियाबंद। गरियाबंद जिला के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ शराब बनाने और मद्य प्रेमियों को बेचने का भरपूर लाभ कच्ची महुआ शराब बनाने वाले लोग उठा रहे है । महुआ शराब में अधिक नशा बढ़ाने के लिएयूनिया खाद, तंबाकू तथा कीटनाशक दवा का उपयोग खुलकर किया जा रहा है, कच्ची शराब के शौकीन अनेक गंभीर रोग से पीड़ित होंगे, चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि तम्बाकू, यूरिया युक्त, महुआ शराब मानव शरीर के बाहरी एवं आंतरिक अंगों को दुष्प्रभावी बना देगा वहीं जिम्मेदार आबकारी विभाग की उदासीनता समझ से परे है।
आये दिन देखने को मिलता है कि आबकारी विभाग अपने टारगेट पूरा करने के लिए गांव में छापामारी कर कच्ची महुआ शराब जप्ती कर मामला बनाकर इतिश्री कर लेते है, फिर यह नशे का कारोबार विभाग के संरक्षण में बेखौफ चलता है। मिली जानकारी के मुताबिक गांव-गांव में शराब सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, शाम ढ़लते ही गरियाबंद क्षेत्र के विभिन्न गांवों में महुआ शराब पीने और पिलाने का दौर शुरू हो जाता है ।
शासन द्वारा साल दर साल शराब के दाम में बेतहाशा वृद्धि होने से इसका भरपूर लाभ शराब कोचिए उठा रहे है विक्रय की जाने वाली अंगे्रजी व देशी शराब उन वर्गो के पहुंचसे बाहर है यही प्रमुख वजह है कि तेजी से बढ़ते शराब के दाम ने इस आदिवासी वनाच्छित क्षेत्र में आसानी से सुलभ होने वाली महुआ शराब पीने के प्रति लोग आकर्षित हो रहे है । शराब बेचने का धंधा काफी फल-फुल रहा है इस धंधे में लिप्त अधिकांश ग्रामीण अधिक पैसा कमाने के चक्कर में महुआ शराब पीने वालों को अधिक नशा बढ़ाने के लिए शराब में यूरिया खाद, तम्बाकू तथा विभिन्न कीटनाशक दवा का उपयोग खुलकर कर रहे हैं, और शराब पीने वाले ’’नशा बढ़ाने की दवा’’ से अंजान है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महुआ शराब बनाने कम से कम 4-5 दिन महुआ फुल को पानी में भिगोकर हंडी में डालकर उसे सड़ाया जाता है, तद्पश्चात् किसी बड़े बर्तन में आग में चढ़ाया जाता है । बताते है कि इसी दौरान महुआ पास जल्द लाने शराब में युरिया खाद का उपयोग करते है इससे महुआ शराब जल्दी बनती है और नशा भी तेज होता है । इसी प्रकार महुआ शराब बिक्री करने वाले ग्रामीण नशा बढ़ाने तम्बाकु का उपयोग खुलकर कर रहे है ।
बताया जाता है कि तम्बाकु में निकोटिन होता है जो दिमाग को स्त्रायउ तंत्र को प्रभावित करती है और सड़ाए गए महुआ किडवन क्रिया के कर पाचन तंत्र को नष्ट कर देते है इसी तरह तम्बाकु एवं महुए के रस के द्वाराबना हुआ ‘नशीला पेय’ पेट में अल्सर पैदा कर सकता है जिसके चलते व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है, शासन द्वारा वेयर हाऊस में जब शराब की पेकिंग की जाती है तब उसका एक निश्चिित मापदंड होता है जबकि कच्ची महुआ शराब बनाई जाती है तो उसमें अल्कोहल का कोई निश्चित अनुपात नहीं होता । जो मानव शरीर के लिए अत्यत घातक है ऐसी स्थिति में कच्ची महुआ शराब बनाने की अनुमति शासन को नहीं दी जानी चाहिए ।
खून की उल्टी हो सकती है: डाॅ. हरीश चौहान
जिला अस्पताल के डाॅक्टर व सर्जन हरीश चौहान ने बताया कि तम्बाकु से अमासय (स्टमक) छोटी-बड़ी आंत में छाले हो सकते है, इन छालों से रक्तश्रव (खून निकल सकता है) जो कि ख्ूान की उल्टी पैदा करेगा यदि तम्बाकु को शराब में मिलाया जाता है, तो नशा अत्याधिक हो जाता है जो प्राण घातक हो सकता है क्योकि अत्याधिक नशे में मनुष्य का दिमाग आगे चलकर दुष्प्रभाव पड़ेगा यह अवश्यंभावी है, डाॅ.चौहान का कहना था कि यूरिया खाद एवं कीटनाशक दवा का उपयोग शराब में करने से शरीर के लिए हानिकारक पदार्थ उत्पन्न कर सकते हैं आंतरिक अंगों को दुष्प्रभावित कर प्रााणघातक हो सकते है । इस तरह यह नशा (कीटनाशक युक्त) शराब का नशा मानव शरीर को धीरे-धीरे नष्ट करने में सहायक सिद्ध होगा कुल मिलाकर यह स्लोपायजन है ।