समय के अनुशासन के साथ जीवन जिएं तो सफलता निश्चित -राज्यपाल

० डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय में हुआ द्वितीय दीक्षांत समारोह
० राज्यपाल एवं कुलाध्यक्ष रमेन डेका ने 189 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 195 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी
बिलासपुर। डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह में राज्यपाल एवं डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष रमेन डेका ने 189 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 195 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि की। इसी तरह मुख्य अतिथि के रूप में तोखन साहू ,सांसद बिलासपुर एवं केंद्रीय राज्य मंत्री आवास एवं शहरी विकास होंगे । कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में अतिविशिष्ट अतिथि संतोष चैबे कुलाधिपति डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय, अतिविशिष्ट अतिथि टंक राम वर्मा उच्च शिक्षा राजस्व आपदा प्रबंधन पुनर्वास मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, बेतलरा विधायक सुशांत शुक्ला, विशिष्ट अतिथि डॉ सिद्धार्थ चतुर्वेदी, सचिव प्रायोजक निकाय ,आईसेक्ट ग्रुप ,विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राजीव प्रकाश निदेशक आईआईटी भिलाई थे। वर्षो की मेहनत के बाद स्वर्ण पदक और उपाधि प्राप्त कर विद्यार्थियों के चेहरे खिले हुए थे। इस गौरव के पल को सभी ने सेलिब्रेट किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष महामहिम राज्यपाल रमेन डेका जी ने विद्यार्थियों से कहा कि हम सभी हमेशा यह सोचते हैं, कि समाज ने हमारे लिए क्या किया। देश ने हमारे लिए क्या किया, जबकि सच यह है, कि अब हमें समाज को देने का समय है। हमें इस विषय पर सोचना चाहिए, कि हम समाज को क्या दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया की सबसे बड़े विश्वविद्यालय में से एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में यह लिखा हुआ है, कि समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है। अब आप समाज को देने के बारे में सोचिए। उन्होंने कहा कि आपका सपना कितना भी बड़ा हो, वह मेहनत से ही साकार होगा। विद्यार्थी कभी यह न सोचे कि हम छोटे बैकग्राउंड से आए हैं, या हम अभाव से जीवन जी रहे हैं। कड़ी मेहनत से सफलता सुनिश्चित होती है। उन्होंने यह भी कहा कि शोध और नवाचार के लिए कभी भी भाषा बाधा नहीं बनी है। हम ऐसा सोचते हैं कि अंग्रेजी भाषा ज्ञान का प्रतीक है, लेकिन ऐसा नहीं है हमें इस सोच को अपने दिमाग से हटाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भाग्य पर हमें नहीं निर्भर रहना चाहिए। हमें अपने सच्चे निर्णय पर निर्भर रहना चाहिएं। भाग्य कभी निर्णय तय नहीं करता। खुद पर विश्वास रखकर सही निर्णय लीजिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जिस तरह हमें जीवन जीने के लिए सभी गैस के बीच ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस तरह हमारे जीवन में विकास के लिए, जीवन में प्रगति के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। उन्होंने विद्यार्थियों से समय प्रबंधन को लेकर भी महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन के साथ पूरे जीवन में समय प्रबंधन जरूरी है। यदि हम समय के अनुशासन के साथ जीवन जिएं तो सफलता निश्चित मिलेगी।
संवेदनशीलता और मानवता का मार्गदर्शन नहीें हो सकता एआई-
महामहिम ने कहा कि आज हम तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में आगे बढ़ रहे हैं,सच बात यह है, कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपके जीवन शैली में मददगार हो सकता है। लेकिन यह ज्ञान और मानवता में कभी भी आपका मार्गदर्शन नहीं कर सकता। यह कभी भी संवेदनशील नहीं हो सकता।
कौशल और तकनीक से लैस होकर, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण करें युवा-तोखन साहू
इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन मंत्री ने कहा कि आज का यह अवसर अत्यंत गौरव और उत्साह का क्षण है। दीक्षांत समारोह केवल उपाधि प्रदान करने की परंपरा नहीं, बल्कि यह उस यात्रा का उत्सव है, जिसमें परिश्रम, अनुशासन, संघर्ष और ज्ञान का समन्वय शामिल है। आप सभी विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा और समर्पण से यह मुकाम हासिल किया है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ। आज उच्च शिक्षा एक नए युग में प्रवेश कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की चुनौतियों और अवसरों के अनुरूप ढालने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह नीति केवल पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है, एक ऐसा विज़न जो शिक्षा को सृजनात्मक, समावेशी, बहुआयामी और भविष्य उन्मुख बनाने की दिशा दिखाता है। यह उपाधि केवल आपकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आपके माता-पिता का त्याग, शिक्षकों का मार्गदर्शन और संस्थान के समर्थन का परिणाम है। आज आप नई उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। मेरा मानना है कि सफलता उन लोगों को मिलती है जो अवसर का इंतजार नहीं करते, बल्कि अवसर का निर्माण करते हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना को जीवन में उतारते हुए, कौशल और तकनीक से लैस होकर, एक आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
सीवीआरयू में ज्ञान, अनुसंधान, कौशल और संस्कारकृचारों का अद्भुत समन्वय- टंक राम वर्मा
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा कि आज डॉ सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर के द्वितीय दीक्षांत समारोह के इस ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण अवसर पर आप सबके मध्य उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है। यह न केवल विश्वविद्यालय के लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य और पूरे देश के लिए उपलब्धि का दिन है, क्योंकि आज हम शिक्षा के उस मंदिर में खड़े हैं जहाँ ज्ञान, अनुसंधान, कौशल और संस्कारकृचारों का अद्भुत समन्वय होता है। आज आप सभी जीवन की एक महत्वपूर्ण सीढ़ी पार कर रहे हैं। दीक्षांत का अर्थ सिर्फ डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि अपने भीतर की क्षमताओं को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित करना। शिक्षा तब सार्थक होती है जब वह व्यक्ति को उत्तरदायित्व, संवेदनशीलता और नवाचार की दिशा दे। मुझे विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय ने आपको इन सभी गुणों से समृद्ध किया है। मैं चाहता हूँ कि आप सब संवेदनशील हृदय और वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ें। आपका लक्ष्य सिर्फ अपना विकास नहीं, बल्कि समाज, राज्य और राष्ट्र का विकास हो। आज की डिग्री केवल एक प्रमाणपत्र नहीं, बल्कि यह आपकी मेहनत, आपकी क्षमता और आपके संकल्प का प्रतीक है। याद रखें ईमानदारी और मूल्यों से कभी समझौता मत कीजिए। आप भारत के भविष्य हैं। आप ही विकसित भारत 2047 के निर्माता हैं। मैं कुलपति महोदय, संकाय सदस्यों और पूरे विश्वविद्यालय परिवार को हृदय से बधाई देता हूँ। आपके परिश्रम, समर्पण और दूरदर्शिता से यह विश्वविद्यालय नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मैं आशा करता हूँ कि आप शिक्षा के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करते रहेंगे। ज्ञान आपका प्रकाश बने, कौशल आपका हथियार बने, और नवाचार आपकी पहचान बने।”
शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व, विचार और राष्ट्र निर्माण का सशक्त साधन-प्रो. राजीव
डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता आईआईटी भिलाई के निदेशक राजीव प्रकाश ने कहा कि एक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक के रूप में मेरा सदैव मानना रहा है कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व, विचार और राष्ट्र निर्माण का सशक्त साधन है। आज जब आप सब अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़े हैं, मैं इस अवसर पर विज्ञान, तकनीक, कौशल, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता जैसे कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार आपसे साझा करना चाहता हूँ।
विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है। विज्ञान एक सोच है सवाल करने की, समझने की, समाधान खोजने की। आज विश्व जिन बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, स्वास्थ्य समस्याएँ, उन सबका उत्तर विज्ञान में ही छिपा है। भारत ने चंद्रयान, गगनयान, कोविड वैक्सीन और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की सफलता से से यह सिद्ध किया है, कि हम विज्ञान में विश्व नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं। मैं आपसे कहना चाहता हूँ हमारे युवा यदि विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और नवाचार की भावना बनाए रखें, तो भारत केवल विज्ञान अपनाने वाला नहीं, बल्कि विज्ञान रचने वाला राष्ट्र बन सकता है। यदि विज्ञान जिज्ञासा है, तो प्रौद्योगिकी उसका परिणाम है। आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर जैसी तकनीकें भविष्य को आकार दे रही हैं। तकनीक केवल शहरों के लिए नहीं, बल्कि गाँवों तक पहुँचे। केवल अमीरों के लिए नहीं, बल्कि गरीबों की ज़िंदगी बदलने का माध्यम बने। सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया मेक इन इंडिया और भारत सेमीकंडक्टर मिशन जैसी योजनाएँ इस दिशा में क्रांतिकारी पहल हैं। मैं चाहता हूँ कि आप छात्र केवल तकनीक के उपयोगकर्ता न रहें, बल्कि टेक्नोलॉजी इनोवेटर और क्रिएटर बनें। कार्यक्रम में आभार प्रकट आयोजक निकाय के सचिव डॉ सिद्धार्थ चतुर्वेदी, ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चैबे, आयोजक निकाय के सचिव डॉ सिद्धार्थ चतुर्वेदी, डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार घोष, कुलपति रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय रवि प्रकाश दुबे, हजारीबाग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रमोद कुमार नायक, आईसेक्ट विश्वविद्यालय ग्रुप की कुल सचिव डॉ पुष्पा असिवाल, आईसेक्ट दिल्ली मुख्यालय के प्रमुख अभिषेक पंडित, सम कुलपति गौरव शुक्ला, डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुल सचिव डॉ अरविंद कुमार तिवारी उपस्थित रहे, संकाय अध्यक्ष, विभाग अध्यक्ष, गणमान्य नागरिक सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी, अभिभावक, प्राध्यापक, अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
भारतीय ज्ञान परंपरा को आत्मसात करते हुए जीवन जीना होगा-संतोष चौबे
इस अवसर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने पौराणिक श्लोक को याद करते हुए कहा कि विद्या बुद्विमान और सज्जन व्यक्ति के लिए दान का विषय है, परोपकार का विषय है। इस दुनिया में खुशहाली लाने का विषय है। लेकिन खल या जड़ लोगों के लिए विद्या दूसरों को कष्ट पहुंचाने का विषय है। परेशान करने का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें अपने भारतीय ज्ञान परंपरा को आत्मसात करते हुए जीवन जीना चाहिए। शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की आधारशिला होती है। छत्तीसगढ़ राज्य आज जब अपनी रजत जयंती वर्ष मना रहा है। ऐेसे में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण और सुलभ उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, जो छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में स्थित है। यह विश्वविद्यालय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे मध्य भारत में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यह प्रदेश पहला निजी विश्वविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष 2006 में की गई थी। यह बिलासपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक हरित, शांत और प्रेरणादायक शैक्षणिक वातावरण प्रदान करता है। डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय को पहला नैक से ए ग्रेड प्रत्यायित होने का गौरव प्राप्त है।