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भू विस्थापित मांग रहे थे रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा, बदले में मिली सशस्त्र बल की लाठियां

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० पुलिस अधीक्षक ने दिए घटना की जांच का आदेश, आई पी एस अधिकारी करेंगे जांच

कोरबा। कोल इंडिया की सहायक कंपनी साऊथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ( एस ई सी एल ) की गेवरा परियोजना में रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे भू विस्थापितों पर सी आई एस एफ के जवानों ने लाठी चार्ज कर दिया। इसके बाद आक्रोशित भू विस्थापित दीपका पुलिस थाना पहुंचे और लाठीचार्ज का आदेश देने वाले सी आई एस एफ के अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई को मांग करने लगे। पुलिस ने उनसे लिखित शिकायत ली है। जिला पुलिस अधीक्षक ने शिकायत के तथ्यों की जांच का आदेश दिया है। आई पी एस अधिकारी, सिटी एस पी दर्री विमल कुमार पाठक मामले की जांच करेंगे।

मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले का है। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में एस ई सी एल गेवरा क्षेत्र से प्रभावित गांवों के भूविस्थापित रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा की मांग के समाधान के लिए एसईसीएल की गेवरा कोयला खदान में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस और सीआईएसएफ का बल मौके पर उपस्थित था। प्रदर्शन शांति पूर्ण ढंग से चल रहा था और एसईसीएल के अधिकारी वार्ता के लिए आंदोलनकारियों को बुला रहे थे। इसी बीच सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने भू विस्थापितों के साथ गाली गलोच किया और सीआईएसएफ के बल को लाठीचार्ज का आदेश दिया। इसके बाद भू विस्थापितों पर अंधाधुंध लाठीचार्ज हुआ, जिसमें छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू, रमेश दास, बिमल दास और गुलाब को गंभीर चोट आई। कई अन्य प्रदर्शनकारी भी घायल हो गए।सी आई एस एफ के जवान उन्हें जबरन उठा कर ले जाने लगे। घटना से आक्रोशित सभी भू विस्थापित एकजुट होकर दीपका थाना जाने लगे तो सभी को बीच रास्ते में छोड़ कर सीआईएसएफ के जवान वापस लौट गए। माहौल तानवपूर्ण हो गया। किसान सभा के नेतृत्व में सभी भू विस्थापितों ने दीपका पुलिस थाना पहुंच कर मारपीट और लाठीचार्ज का आदेश देने वाले सीआईएसएफ अधिकारी पर अपराध दर्ज करने की मांग करने लगे। दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद साहू ने सभी घायलों का डाक्टरी परीक्षण कराया और लिखित शिकायत लेकर कार्यवाही का आश्वासन दिया।

किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि भू विस्थापितों की समस्याओं का निराकरण किए बगैर खदान विस्तार का कार्य नही होने देंगे। एसईसीएल के तानाशाह महाप्रबंधक के इशारे पर सीआईएसएफ ने भू विस्थापितों पर जो लाठीचार्ज किया है, उसका जवाब संघर्ष और आंदोलन को और तेज कर दिया जायेगा।अगर प्रबंधन ने जबरन खदान विस्तार की कोशिश की तो आंदोलन और उग्र होगा। किसान सभा के नेता ने आगे कहा कि एसईसीएल की खदान को लेकर विस्थापित होने वाले प्रत्येक छोटे विस्थापित परिवार को भी नियमित रोजगार देने के साथ विस्थापितों को पुनर्वास की सुविधा और नई पुरानी नीति के नाम पर मुआवजा में कटौती करना बंद करना होगा। गुरुवार के शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान हुए लाठीचार्ज की निंदा किसान सभा ने की है ।

किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू ने कहा कि गेवरा कोयला खदान क्षेत्र से प्रभावित भू विस्थापितों को नियमित रोजगार, पुनर्वास, मुआवजा के साथ बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग को लेकर शांति पूर्ण आंदोलन हो रहा था, जिस पर सीआईएसएफ ने जबरन लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज और बंदूक की नोंक पर खदान विस्तार नहीं होगा। खदान विस्तार करना है तो किसानों की समस्याओं का समाधान करना होगा ।

किसान सभा नेता ने कहा है कि पूर्व में अधिग्रहित ग्रामों के रोजगार, मुआवजा और पुनर्वास के मामले लंबित है और नए विस्तार तेजी से प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है, जिसका किसान सभा विरोध करती है। कुछ दिन पूर्व कटघोरा एसडीएम और गेवरा जीएम ने बल प्रयोग कर जबरन खदान विस्तार का प्रयास किया था, जिसका भारी विरोध हुआ था। उन्होंने बताया कि एसईसीएल से प्रभावित सभी छोटे खातेदारों को एकजुट कर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

किसान सभा नेता ने कहा है कि एसईसीएल से प्रभावित होने वाले प्रत्येक छोटे-बड़े खातेदारों को स्थाई नौकरी, विस्थापित होने वाले ग्रामों के विस्थापितों को पुनर्वास प्रदान किया जाए और प्रभावित सभी गांवों में बुनियादी पेयजल समस्या का तत्काल समाधान किया जाए।

किसान सभा नेता ने चेतावनी दी है कि लंबित रोजगार प्रकरणों और छोटे खातेदारों को रोजगार – पुनर्वास की समस्या का समाधान किये बिना नए विस्तार क्षेत्र में खनन कार्य करने का विरोध आगे भी किसान सभा करेगी। किसान सभा नेता ने कहा कि समस्याओं की ओर कई बार प्रबंधन और प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन ग्रामीणों की इन समस्याओं के निराकरण के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है।

आज गेवरा माइन में प्रदर्शनकारियों को सीआईएसएफ द्वारा रोका गया –
(सनीश चंद्र )
PRO SECL

सीआईएसएफ की टीम लगातार समझाइस का प्रयास कर रही है किंतु वे नहीं मान रहे थे तथा सशस्त्र बल से झूमाझटकी की ओर बढ़ रहे हैं । यह खदान क्षेत्र निषिद्ध क्षेत्र अंतर्गत आता है जहाँ बगैर अनुमति प्रवेश नहीं किया जा सकता है । पूरे देश में लगभग 300 कोयला खदानें संचालित होती हैं किंतु माइन वर्किंग में पहुँच कर , इस प्रकार से उग्र व्यवहार , वैधानिक रूप से उचित नहीं प्रतीत होता।
हम सभी से सहयोग की अपील करते हैं ।