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छत्तीसगढ़ शासन एवं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI), छत्तीसगढ़ स्टेट चैप्टर द्वारा ‘फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को सशक्त बनाने’ पर हुआ सेमिनार

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रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन एवं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI), छत्तीसगढ़ स्टेट चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में “छत्तीसगढ़ में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को सशक्त बनाना: सतत औद्योगिक विकास का मार्ग — RAMP कार्यक्रम के अंतर्गत” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। यह सेमिनार 29 अक्टूबर 2025 को सर्किट हाउस, सिविल लाइंस, रायपुर में आयोजित हुआ, जिसमें फूड प्रोसेसिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया और इस क्षेत्र के विकास एवं स्थिरता को लेकर विचार-विमर्श किया।

सेमिनार का मुख्य उद्देश्य बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के प्रभावी उपयोग के माध्यम से फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को सशक्त बनाना था, जिसमें भौगोलिक संकेतक (GI) टैगिंग के माध्यम से पारंपरिक एवं स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके साथ ही स्मार्ट सप्लाई चेन के उपयोग तथा पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए वित्तीय सहायता के विभिन्न विकल्पों पर भी चर्चा हुई।

अपने स्वागत भाषण में श्री प्रदीप टंडन, पीएचडीसीसीआई छत्तीसगढ़ स्टेट चैप्टर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य अवसरों की पहचान, चुनौतियों पर चर्चा एवं सरकारी संस्थाओं, उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को सशक्त किया जा सके। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत सरकार की RAMP (Raising and Accelerating MSME Productivity) योजना सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को सशक्त बनाने के लिए क्षमता निर्माण, तकनीकी उन्नयन और बाजार से जोड़ने पर केंद्रित है। श्री टंडन ने कहा कि इस सेमिनार में हुई चर्चाएँ इन उद्देश्यों को छत्तीसगढ़ की फूड प्रोसेसिंग क्षमता के अनुरूप आगे बढ़ाने में मददगार सिद्ध होंगी।

डॉ. अमित दुबे, वैज्ञानिक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, छत्तीसगढ़ शासन ने बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में GI टैगिंग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के विशिष्ट क्षेत्रीय उत्पादों की पहचान और संरक्षण के लिए IPR अत्यंत आवश्यक है।

डॉ. हुलास पाठक, प्रमुख एवं प्रमुख अन्वेषक-सीईओ, आरकेवीवाई-रफ्तार एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में ट्रेसेबिलिटी, लॉजिस्टिक्स और अपशिष्ट प्रबंधन पर सत्र लिया। उन्होंने सप्लाई चेन की दक्षता बढ़ाने एवं अपशिष्ट को न्यूनतम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

अमित खरे, एजीएम, सिडबी एवं शीतांशु शेखर, जीएम, नाबार्ड ने अपने-अपने संस्थानों के माध्यम से फूड प्रोसेसिंग एवं कृषि क्षेत्र के लिए उपलब्ध विभिन्न वित्तीय योजनाओं और सहयोग विकल्पों की जानकारी दी।

लोकेश कुमार, संयुक्त निदेशक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने मंत्रालय की उन योजनाओं का विवरण दिया जो एमएसएमई के विकास एवं नवाचार को प्रोत्साहित करती हैं, विशेष रूप से फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में।

रितुराज ताम्रकार, उप संचालक, उद्योग संचालनालय, छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य की औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत दिए जा रहे वित्तीय एवं गैर-वित्तीय प्रोत्साहनों की जानकारी दी, जिनका उद्देश्य राज्य में औद्योगिक एवं फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को बढ़ावा देना है।

प्रवीण वी., RAMP SPIU टीम, ने अपने संबोधन में भारत सरकार की RAMP योजनाओं एवं छत्तीसगढ़ में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को समर्थन देने हेतु की जा रही पहलों की जानकारी दी।

कार्यक्रम का समापन सुमित दुबे, पीएचडीसीसीआई छत्तीसगढ़ स्टेट चैप्टर द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी विशिष्ट अतिथियों, साझेदार संस्थानों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने अपने मूल्यवान सुझावों एवं योगदान से इस सेमिनार को सफल बनाया।