मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही तमाम सीटों पर राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधनों महायुति और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार तय हो गए हैं। इस चुनाव में सियासी रसूख रखने वाले कई परिवारों की किस्मत भी दांव पर लगी है। पार्टियों ने महाराष्ट्र के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के रिश्तेदारों को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है।
पवार परिवार से चाचा-भतीजे आमने-सामने
पुणे जिले की बारामती विधानसभा सीट हमेशा की तरह 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी खास बनी हुई है। ये वही सीट है जहां से कभी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शपा) के नेता शरद पवार जीते थे। 1978 में जब पवार पहली बार 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो वह देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने कुल चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद संभाला।
हालांकि, पिछले सात चुनावों में बारामती सीट से शरद पवार के भतीजे अजित पवार जीतते रहे हैं।
अब अपने चाचा से अलग हो चुके अजित पवार एक बार फिर बारामती से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां के मुकाबले की एक और दिलचस्प कड़ी यह है कि अजित पवार के सामने उनके भतीजे युगेंद्र पवार खड़े हैं। युगेंद्र शरद पवार वाली एनसीपी के उम्मीदवार हैं।
उद्धव ठाकरे के बेटे और भतीजे चुनाव मैदान में
महाराष्ट्र की सियासत में अहम स्थान रखने वाले ठाकरे परिवार के दो सदस्य इस चुनाव में उतरे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य वर्ली सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 से जून 2022 तक करीब ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। जून 2022 में उनके ही कैबिनेट सहयोगी एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
आदित्य शिवसेना (यूबीटी) के एक प्रमुख नेता और युवा सेना के अध्यक्ष हैं। इस चुनाव में पूर्व मंत्री का सामना पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा से है। देवड़ा एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतरे हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने राज ठाकरे के करीबी सहयोगी माने-जाने वाले संदीप देशपांडे को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मध्य मुंबई की माहिम विधानसभा सीट तीन सेनाओं के मुकाबले में फंस गया है। इस सीट से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुखिया राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। भतीजे अमित के सामने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने महेश सावंत को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने अमित ठाकरे को समर्थन देने का वादा किया है, जबकि उसकी सहयोगी एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने अपने मौजूदा विधायक सदा सरवणकर को मैदान में उतारा है। इसके चलते माहिम में मनसे, शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच त्रिकोणीय लड़ाई मानी जा रही है।
नारायण राणे के दोनों बेटों को टिकट
पूर्व मुख्यमंत्री और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद नारायण राणे के दोनों बेटों को इस चुनाव के लिए टिकट दिए गए हैं। नारायण राणे ने फरवरी 1999 से अक्तूबर 1999 तक मनोहर जोशी के बाद मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।
भाजपा ने कोंकण की कणकवली सीट से एक बार फिर से नारायण राणे के छोटे बेटे नितेश राणे को मौका दिया है। कणकवली में नितेश के सामने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने संदेश पारकर को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं नारायण के बड़े बेटे नीलेश राणे को समझौते के तहत शिवसेना से टिकट दिया गया है। नीलेश राणे हाल ही में एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल हुए थे। उनका मुकाबाला शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार वैभव नाइक से होगा।
विलासराव देशमुख के बेटे भी चुनावी रण में उतरे
दिवंगत मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के दो बेटों अमित देशमुख और धीरज देशमुख को कांग्रेस की ओर से टिकट दिए गए हैं। विलासराव देशमुख 1999 से 2003 तक और 2004 से 2008 तक दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं।
कांग्रेस ने विलासराव के बड़े बेटे अमित को लातूर शहर से प्रत्याशी बनाया है। लातूर शहर में कांग्रेस के अमित देशमुख का मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल से होगा। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल चाकुरकर 2024 के आम चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुई थीं।
विलासराव देशमुख के छोटे बेटे धीरज देशमुख को कांग्रेस ने लातूर ग्रामीण से टिकट दिया है। उनका मुकाबला भाजपा के एमएलसी रमेश कराड से होगा।
चव्हाण परिवार की बेटी भी आजमा रहीं किस्मत
मराठवाड़ा क्षेत्र की भोकर विधानसभा सीट पर भाजपा ने चव्हाण परिवार से आने वाली श्रीजया चव्हाण को प्रत्याशी बनाया है। श्रीजया तीसरी पीढ़ी की नेता हैं। श्रीजया चव्हाण के पिता अशोक चव्हाण और दादा शंकरराव चव्हाण दोनों ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं। चव्हाण परिवार का दबदबा लातूर जिले में रहा है। भोकर महाराष्ट्र की ऐसी विधानसभा सीट है जिस पर अभी तक भाजपा का खाता नहीं खुल सका है। इस सीट पर भाजपा की सहयोगी शिवसेना चुनाव लड़ती रही है। यह सीट चव्हाण परिवार की परंपरागत सीट रही है। श्रीजया के पिता अशोक चव्हाण महाराष्ट्र में कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे, लेकिन फरवरी 2024 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने 2008 से 2010 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। वहीं अशोक चव्हाण के पिता शंकरराव चव्हाण 1975 से 1977 तक और 1986 से 1988 तक दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।
निलंगेकर परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव मैदान में
मराठवाड़ा की सियासत पर निलंगेकर परिवार का दबदबा माना जाता रहा है। निलंगेकर परिवार से आने वाले संभाजी पाटील को भाजपा ने लातूर जिले की निलंगा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। संभाजी निलंगेकर तीसरी पीढ़ी के नेता है। उनके दादा शिवाजी निलंगेकर 1985-86 में महाराष्ट्र के सीएम रहे हैं।
भाजपा के टिकट पर तीसरी बार संभाजी पाटील चुनावी मैदान में उतरे हैं। 2014 और 2019 में भाजपा से विधायक चुने गए हैं और फडणवीस सरकार में मंत्री भी रहे हैं। इस सीट पर निलंगेकर परिवार की सियासी पकड़ को देखते हुए भाजपा ने संभाजी पाटिल पर दांव खेला है। उनके आमने कांग्रेस के अभय सालुंके हैं।