दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। लोग इस त्योहार में अपने अपने घर की साफ सफाई करते हैं, लाइटिंग करते हैं, फूल-माला और दीए एंव रंगोली से डेकोरेट करते हैं। इस साल देश भर में 12 नवंबर को दीपावली का त्योहार मनाई जाएगी। लोग भले ही घरों में रंग बिरंगी लाइट से डेकोरेट न करें, लेकिन दरवाजे, आंगन और पूजा रूम में रंगोली जरूर बनाते हैं। बता दें कि हिंदू धर्म में रंगोली को बहुत शुभ माना गया है। बहुत से लोगों को इसके पीछे की कहानी नहीं पता है, तो चलिए आज के इस लेख में हम रंगोली से जुड़ी कुछ फैक्ट के बारे में बताएंगे।
क्यों बनाई जाती है रंगोली या चौक?
0 हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी शुभ कार्य के पहले रंगोली या चावल के आटे से चौक बनाने की मान्यता है। बता दें कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले रंगोली बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। साथ ही उस स्थान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
0 हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-अनुष्ठान और दिवाली में रंगोली बनाने को लेकर यह मान्यता है कि रंगोली को देवी देवताओं के स्वागत में बनाई जाती है।
0 माता लक्ष्मी जब दीपावली के त्योहार में आती हैं, तो सभी के घरों में साफ सफाई और रंगोली को देखकर प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा वो सभी के घर में भी प्रवेश करती हैं।
0 दिवाली में माता लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी के स्वागत के लिए जब रंगोली बनाई जाती है, तो उसके ऊपर देवी देवता की कृपा बनी रहती है।
भगवान राम के स्वागत में बनी थी रंगोली
रंगोली को लेकर लेकर दूसरी मान्यता यह भी है कि जब भगवान लंका से रावण का वधकर अयोध्या आए थे तब अयोध्या वासियों ने खुशी से रंगोली या चौक बनाया था। इसके अलावा घी के दीप जलाकर धूमधाम से भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता का स्वागत किया गया था।
रंगोली को अल्पना कहने की है मान्यता
रंगोली को लेकर यह मान्यता है, कि बनाए गए चौक और चित्रों के माध्यम से अपने भाव को दर्शाता है। साथ ही रंगोली एक प्राचीन संस्कृत शब्द है। पहले के समय में चावल आटे के घोल, फूल और चूना से रंगोली बनाई जाती थी। आज के समय में रंगोली बनाने के लिए तरह तरह के रंग से बने रंगोली, आटा का उपयोग किया जाता है। आज के समय में इंटरनेट में कई तरह के डिजाइन उपलब्ध है, जिसकी मदद से रंगोली बनाई जाती है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लोग लक्ष्मी पद चिन्ह, कलश और स्वास्तिक समेत कई तरह के डिजाइन बनाते हैं।