Close

Tulsi Vivah 2024 Niyam: तुलसी विवाह के दिन है भद्रा और पंचक, जानें भगवान शालिग्राम से तुलसी विवाह कराने के नियम, विधि

 

इस साल तुलसी विवाह 12 नवंबर मंगलवार को है. तुलसी विवाह के दिन भद्रा है, जिसका वास स्थान पृथ्वी है. उस दिन भद्रा सुबह से शाम तक है, वहीं पंचक भी पूरे दिन रहेगा. इस बार तुलसी विवाह वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं. भगवान शालिग्रामा से माता तुलसी का विवाह सर्वार्थ सिद्धि योग में ही होगा. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:52 बजे से अगले दिन सुबह 05:40 बजे तक है. तुलसी विवाह कराने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है, वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है. विवाह में होने वाली देरी या अड़चन दूर होती है और जल्द शादी के योग बनते हैं. यदि आप इस साल अपने घर पर तुलसी विवाह कराना चाहते हैं तो आपको शुभ मुहूर्त और नियम के बारे में जानना चाहिए. जानें यहां….

तुलसी विवाह 2024 भद्रा काल
इस साल तुलसी विवाह के दिन भद्रा का प्रारंभ सुबह 6 बजकर 42 मिनट से हो रहा है, जो शाम को 4 बजकर 4 मिनट तक है. उसके बाद भद्रा का समापन हो जाएगा. जो लोग तुलसी विवाह कराना चाहते हैं, उनको भद्रा से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि तुलसी विवाह के समय से पहले ही भद्रा का समापन हो जा रहा है. तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को होता है.

तुलसी विवाह 2024 मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि का प्रारंभ: 12 नवंबर, मंगलवार, शाम 4:04 बजे से
कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि का समापन: 13 नवंबर, बुधवार, दोपहर 1:01 बजे पर
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त: शाम 5:29 बजे से शाम 7:53 बजे तक

तुलसी विवाह के नियम और विधि

1. तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त से पूर्व परिवार के सभी सदस्य उस प्रकार से तैयार हों, जिस तरह से आप शादी समारोह में शामिल होने के लिए पारंपरिक कपड़े पहनते हैं.

2. उसके बाद पूजा स्थान, आंगन या छत पर तुलसी विवाह के लिए मंडप तैयार करें. तुलसी विवाह के लिए गन्ने का मंडप बनाएं और उसे फूलों से सजाएं.

3. उसके बाद आम की लकड़ी के बने पटरे या पटिया पर गमले में लगा तुलसी का पौधा रखें. अब आप तुलसी जी को अक्षत्, फूल, माला, हल्दी, सिंदूर, सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, लाल साड़ी या चुनरी, नैवेद्य अर्पित करें.

 

4. फिर गमले में भगवान शालिग्राम को रखें. उनको तिल, हल्दी, पीले फूल, दूध, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. दोनों को बेर, मूली, साग, आंवला आदि भी चढ़ाते हैं.

5. तुलसी विवाह के समय मंगलाष्टक का पाठ करें. माता तुलसी की आरती करें. उसके बाद 11 बार तुलसी परिक्रमा करें.

6. माता तुलसी और भगवान शालिग्राम से सुख, समृद्धि का आशीर्वाद लें. सबसे अंत में आप तुलसी विवाह का प्रसाद वितरण करें.

 

scroll to top