इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर दिन मंगलवार को है. देवउठनी एकादशी का व्रत रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग में होगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु चार माह के योग निद्रा से बाहर आते हैं. इस साल देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह भी है. सुबह में भगवान विष्णु की पूजा करते समय व्रती को देवउठनी एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. इससे उसे पुण्य की प्रप्ति होगी और आपको इसका महत्व भी पता चलता है. आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी की व्रत कथा, पूजा मुहूर्त, शुभ योग आदि के बारे में.
देवउठनी एकादशी व्रत कथा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रखा जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक नगर था, जिसके सभी निवासी एकादशी का व्रत विधि विधान से करते थे. उस दिन किसी भी व्याक्ति, पशु, पक्षी आदि को अन्न नहीं देते थे. एक बार उस नगर के राजा के दरबार में एक बाहरी व्यक्ति नौकरी की उम्मीद से आया. तब राजा ने कहा कि नौकरी तो मिल जाएगी लेकिन शर्त यह है कि हर माह में दो दिन एकादशी व्रत पर अन्न नहीं मिलता है.
उस व्यक्ति ने राजा की शर्त स्वीकार कर ली. अगले महीने में एकादशी का व्रत आया, उस दिन उसे अन्न नहीं दिया गया. व्रत के लिए उसे केवल फलाहार मिला. यह देखकर वह चिंतित हो गया. वह राज दरबार में पहुंचा और राजा से कहा कि फल खाकर उसका पेट नहीं भरेगा. उसकी मौत हो जाएगी. उसने अन्न दिलाने की प्रार्थना की.
तब राजा ने कहा कि तुम्हें पहले ही नौकरी की यह शर्त बता दी गई थी कि एकादशी को अन्न नहीं मिलेगा. लेकिन उस व्यक्ति ने फिर अन्न दिलाने का निवेदन किया. उसकी स्थिति को समझकर राजा ने उसे अन्न देने का आदेश दे दिया. मंत्री ने उसे दाल, चावल और आटा दिलाया. उसने नदी तट के पास जाकर स्नान किया और उसके बाद भोजन बनाने लगा. खाना बनने पर उसने भगवान से कहा कि भोजन तैयार, सबसे पहले आप खाना खा लें.
इतना सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए. उसने अपने प्रभु के लिए भोजन निकाला, तो वे खाना खाने लगे. फिर उस व्यक्ति ने भी खाना खाया. उसके बाद भगवान विष्णु वैकुंठ लौट आए और वह व्यक्ति अपने काम पर चला गया. फिर अगली एकादशी पर उसने राजा से दोगुना अन्न देने का निवेदन किया. उसने कहा कि पिछली बार वह भूखा रह गया था क्योंकि उसके प्रभु ने भी भोजन किया था.
यह बात सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ गया. उसने कहा कि तुम पर विश्वास नहीं है कि तुम्हारे साथ भगवान भी भोजन करते हैं. इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि आप स्वयं चलकर देख सकते हैं कि क्या सच है? एकादशी के दिन उसे दोगुना अन्न दिया गया. वह अन्न लेकर नदी के किनारे पहुंच गया. उस दिन राजा भी वहां एक पेड़ पीछे छिपकर सबकुछ देख रहा था.
देवउठनी एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 11 नवंबर, सोमवार, शाम 6:46 बजे से
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 12 नवंबर, मंगलवार, शाम 4:04 बजे पर
रवि योग: सुबह 6:42 बजे से सुबह 7:52 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 7:52 बजे से 13 नवंबर को सुबह 5:40 बजे तक
देवउठनी एकादशी व्रत पारण समय: 13 नवंबर, बुधवार, सुबह 6:42 बजे से 8:51 बजे तक
द्वादशी तिथि का समापन: 13 नवंबर, दोपहर 1:01 बजे पर.