तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर वर्ष कार्तिक मास की एकादशी तिथि के दिन जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। उस दिन तुलसी विवाह कराया जाता है। इस बार तुलसी विवाह 12 नवंबर मंगलवार के दिन कराया जाएगा। तुलसी विवाह दो दिन कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह कराता है उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं तुलसी विवाह की विधि और विवाह में आने वाली सामग्री।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तो तुलसी विवाह का आयोजन द्वादशी तिथि में होना चाहिए। ऐसे में इस बार 12 नवंबर को शाम के समय द्वादशी तिथि लग जाएगी। इसलिए यदि आप तुलसी विवाह कराना चाहते हैं तो 12 नवंबर मंगलवार शाम के समय द्वादशी तिथि 4 बजकर 6 मिनट पर आरंभ हो जाएगी। ऐसे में इससे पहले-पहले ही आपको तुलसी विवाह कर लेना चाहिए। तुलसी विवाह के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त अभीजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 28 मिनट तक। इसके अलावा अमृत काल का शुभ मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 26 मिनट तक। इनमें से किसी भी मुहूर्त में आप तुलसी विवाह कर सकते हैं।
तुलसी विवाह पूजन सामग्री
तुलसी का पौधा
शालिग्राम जी
कलश
पानी वाला नारियल
पूजा के लिए लकड़ी की चौकी
लाल रंग का कपड़ा
16 श्रृंगार की सामग्री (जैसे चूड़ियां, बिछिया, पायल, सिंदूर, मेहंदी, कागज, कजरा, हार, आदि)
फल और सब्जियां (आंवला, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, अनार, मूली, अमरूद आदि)
हल्दी की गांठ
पूजन सामग्री (जैसे कपूर, धूप, आम की लकड़ियां, चंदन आदि।)
तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि
० देवउठनी एकादशी के दिन जो लोग तुलसी विवाह करते हैं जिन्हें कन्यादान करना होता है उन्हें इस दिन व्रत जरूर करना चाहिए।
० इसके बाद शालिग्राम की तरफ से पुरुष वर्ग और तुलसी माता की तरफ से महिलाओं को इकट्ठा होना होता है।
० शाम के समय दोनों पक्ष तैयार होकर विवाह के लिए एकत्रित होते हैं।
० तुलसी विवाह के लिए सबसे पहले अपने घर के आंगन में चौक सजाया जाता है। फिर रंगोली बनाई जाती है उसपर चौकी स्थापित की जाती है।
० इसके बाद तुलसी के पौधे को बीच में रखें। तुलसी माता को अच्छी से तैयार करें। उन्हें लाल रंग की चुनरी, साड़ी या लहंगा पहनाएं चूड़ियां आदि से उनका श्रृंगार करें।
० जहां तुलसी माता को विराजमान किया हैं वहां पर गन्ने से मंडप बनाएं।
० इसके बाद अष्टदल कमल बनाकर चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करके उनका श्रृंगार करें।
० फिर कलश की स्थापना करें। सबसे पहले कलश में पानी भर लें उसमें कुछ बूंद गंगाजल की मिलाएं। फिर आम को 5 पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल को लाल रंग के कपड़े में लपेटकर कलश पर स्थापित करें।
० फिर एक चौकी पर शालिग्राम रकें। शालिग्राम को तुलसी के दाएं तरफ रखना है।
० फिर घी का दीपक जलाएं और ओम श्री तुलस्यै नम: मंत्र का जप करें। शालिग्राम और माता तुलसी पर गंगाजल का छिड़काव करें।
० इसके बाद शालिग्राम जी पर दूध और चंदन मिलाकर तिलक करें और माता तुलसी को रोली का तिलक करें।
० इसके बाद पूजन सामग्री जैसे फूल आदि सब शालिग्राम और तुलसी माता को अर्पित करें।
० इसके बाद पुरुष शालिग्राम जी को अपनी गोद में उठा लें और महिला माता तुलसी को उठा लें। फिर तुलसी की 7 बार परिक्रमा कराएं। इस दौरान बाकी सभी लोग मंगल गीत गाए और कुछ लोग विवाह के विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। मंत्रों के उच्चारण में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।
० अंत में दोनों को खीर पूड़ी का भोग लगाएं। अंत में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की आरती उतारें। फिर अंत में सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।