दिल्ली ब्लास्ट मामला : अल फलाह यूनिवर्सिटी पर कसा शिकंजा, ED ने दिल्ली-फरीदाबाद के 25 ठिकानों पर मारा छापा
दिल्ली। दिल्ली में हुए आतंकवादी हमले के तार अब हरियाणा के फरीदाबाद तक पहुंच गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने अल फलाह विश्वविद्यालय के ट्रस्टियों, संबंधित व्यक्तियों और संस्थाओं से जुड़े एक मामले में आज तड़के से दिल्ली और अन्य स्थानों पर 25 ठिकानों पर छापा मारा है। यह कार्रवाई सुबह 5 बजे से जारी है।
जांच एजेंसी की एक टीम ने आज सुबह फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय के कार्यालय में दस्तक दी। एजेंसी की टीम परिसर के अंदर मौजूद है और विभिन्न दस्तावेजों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों की तलाशी ले रही है।
बीते सोमवार को दिल्ली पुलिस ने फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल मामले की जांच, जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए अल फलाह विश्वविद्यालय के चेयरमैन को दो समन जारी किए थे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शिकायत पर विवि के खिलाफ जालसाजी व धोखाधड़ी के दो मामले दर्ज किए गए हैं।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये समन तब भेजे है जब जांचकर्ताओं ने पाया कि चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी का बयान संस्थान के कामकाज और उससे जुड़े व्यक्तियों की गतिविधियों से संबंधित कई विसंगतियों को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण है। यूजीसी और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) की ओर से शनिवार को गंभीर चिंता जताए जाने के बाद अपराध शाखा ने हरियाणा स्थित इस विश्वविद्यालय के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में दो प्राथमिकी 14 नवंबर की रात दर्ज की थीं।
शाखा के अधिकारियों ने बताया कि दोनों नियामक निकायों ने विश्वविद्यालय के मान्यता संबंधी दावों की समीक्षा के बाद बड़ी अनियमितताओं को चिह्नित किया। अपने निष्कर्ष कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंप दिए। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये प्राथमिकियां विश्वविद्यालय की ओर से मान्यता संबंधी कथित झूठे दस्तावेजों और दावों से संबंधित हैं। मामले की विस्तार से जांच की जा रही है।
पुलिस सूत्रों ने बताया, सिद्दीकी को समन जारी करना व्यापक जांच का हिस्सा है, जो पिछले सप्ताह लाल किले के पास हुए विस्फोट की चल रही जांच से संबंधित है। माना जा रहा है कि विस्फोट से जुड़े कई संदिग्धों का विश्वविद्यालय से संबंध रहा है, जिसके कारण जांचकर्ताओं को संस्थागत रिकॉर्ड, वित्तीय लेन-देन और प्रशासनिक स्वीकृतियों की जांच करनी पड़ रही है। मामले की जांच जारी है। दर्ज दोनों मामलों की जांच की शाखा की इंटरस्टेट सेल की अलग-अलग टीमें कर रही हैं।





