#प्रदेश

छत्तीसगढ़ में पहली बार 150 मीटर ऊँचाई पर पवन अनुवीक्षण स्टेशन की तैयारी

Advertisement Carousel

० मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में-क्रेडा अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी और सीईओ राजेश सिंह राणा के नेतृत्व में राज्य में पवन ऊर्जा संभावनाओं के वैज्ञानिक अध्ययन की शुरुआत
० राजनांदगाँव और कवर्धा के दो संभावित स्थलों का चयन-दो वर्षों तक होगा विस्तृत डेटा विश्लेषण

रायपुर। छत्तीसगढ़ अब नवीकरणीय ऊर्जा के एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहा है। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (National Institute of Wind Energy) (नीवे), चेन्नई ने राज्य में पवन ऊर्जा की वास्तविक संभावनाओं के वैज्ञानिक आकलन के लिए 150 मीटर ऊँचाई पर पवन अनुवीक्षण (Wind Monitoring) स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

यह कार्रवाई मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की हरित ऊर्जा विस्तार नीति के अनुरूप क्रेडा व राज्य शासन के समन्वित प्रयासों का परिणाम है।
दो प्रमुख स्थल चुने गए- राजनांदगांव का जुर्ला खार और कवर्धा का बाराहपानी
नीवे द्वारा दो स्थानों की पहचान की गई है-
• ग्राम जुर्ला-खार (जिला राजनांदगांव)
• ग्राम बाराहपानी (जिला कवर्धा)
इनमें से किसी एक स्थल को अंतिम रूप देकर वहां 150 मीटर ऊँचा मास्ट आधारित पवन अनुवीक्षण स्टेशन स्थापित किया जाएगा।


स्थल चयन की शर्तों में यह देखा जा रहा है कि-
• आसपास कोई अवरोध (ऊँची संरचनाएँ/पेड़) न हों,
• स्थल हाई टेंशन लाइनों से सुरक्षित दूरी पर हो,
• और किसी भी राष्ट्रीय धरोहर पार्क, अभयारण्य या संवेदनशील क्षेत्र से बाहर हो।
• नीवे की तकनीकी टीम चयनित स्थलों का फील्ड निरीक्षण कर अंतिम अनुमोदन देगी।
क्रेडा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी-गुणवत्ता, पारदर्शिता और वैज्ञानिक डेटा पर केंद्रित दृष्टि
‘क्रेडा के अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी ने इस पहल को राज्य के भविष्य के ऊर्जा ढांचे के लिए ’रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण’ बताया। श्री सवन्नी का स्पष्ट कहना है कि- ‘’छत्तीसगढ़ सौर ऊर्जा के साथ अब पवन ऊर्जा में भी वैज्ञानिक और प्रमाणिक आंकड़ों के आधार पर आगे बढ़ेगा। यह अध्ययन आने वाले दशक में राज्य की ऊर्जा दिशा तय करेगा।‘’
सीईओ श्री राजेश सिंह राणा-प्रशासनिक दक्षता, अनुमतियाँ और विभागीय समन्वय की जिम्मेदारी
क्रेडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ‘’श्री राजेश सिंह राणा’’ इस परियोजना में ‘उच्चस्तरीय प्रशासनिक नेतृत्व’ प्रदान कर रहे हैं। श्री राणा ने कहा- ‘’छत्तीसगढ़ में पवन ऊर्जा की वास्तविक क्षमता क्या है, यह पहली बार वैज्ञानिक रूप से मापी जाएगी। हमारी जिम्मेदारी है कि अध्ययन निर्बाध, पारदर्शी और सटीक डेटा पर आधारित हो।‘’
दो वर्षों तक चलेगा विस्तृत पवन-संसाधन अध्ययन
नीवे द्वारा स्थापित पवन अनुवीक्षण स्टेशन से लगभग ‘’दो वर्षों तक हवा की गति, दिशा, तीव्रता, तापमान, वायुदाब, आर्द्रता’’ सहित सभी महत्वपूर्ण पैरामीटरों का लगातार डेटा एकत्र किया जाएगा।
इन आँकड़ों के आधार पर ही यह तय होगा कि छत्तीसगढ़ में-
• विंड फार्म स्थापित हो सकते हैं या नहीं,
• कितनी क्षमता के,
• और किन जिलों में आर्थिक व तकनीकी रूप से व्यवहारिक होंगे।
राज्य में पवन ऊर्जा विकास का मार्ग प्रशस्त
यदि अध्ययन के आँकड़े अनुकूल आते हैं, तो आने वाले वर्षों में-
• बड़े स्तर पर पवन ऊर्जा परियोजनाएँ,
• निजी व सरकारी निवेश,
• और ‘’सौर + पवन’’ हाइब्रिड मॉडल
छत्तीसगढ़ में नई ऊर्जा क्रांति को गति दे सकते हैं।पवन अनुवीक्षण स्टेशन की स्थापना न सिर्फ तकनीकी कदम है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ को ‘’राष्ट्रीय पवन ऊर्जा मानचित्र’’ पर स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक शुरुआत है।मुख्यमंत्री साय के मार्गदर्शन, क्रेडा अध्यक्ष श्री सवन्नी के दूरदर्शी नेतृत्व और सीईओ श्री राणा की प्रशासनिक दक्षता के कारण राज्य अब ‘’बहु-स्रोत नवीकरणीय ऊर्जा’’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है।