रिकांगपिओ (रिपन). जनजातीय क्षेत्र जिला किन्नौर की बस्पा घाटी में एक दुर्लभ पक्षी यैलो हैमर दिखा है। इस दुर्लभ पक्षी की खोज स्थानीय शोधकर्त्ता महेश नेगी जोकि किन्नौर की पक्षी प्रजातियों का दस्तावेजीकरण कर रहे हैं, ने की है। हाल ही में शोधकर्त्ता महेश नेगी जब बस्पा घाटी के दौरे पर थे तो उन्होंने उस दौरान वन रक्षक अक्षय भारद्वाज के साथ इस दुर्लभ पक्षी को देखा तथा उसे कैमरे में कैद कर लिया।
महेश नेगी ने बताया कि आमतौर पर यह पक्षी मध्य एशिया में पाया जाता है जो कभी-कभी हिमालय का दौरा करता है। उन्हाेंने कहा कि हिमालय की गोद में बसे किन्नौर ने एक बार फिर अपनी जैव विविधता का लोहा मनवाया है तथा हाल ही में दुर्लभ पक्षी यैलो हैमर की जिला किन्नौर में खोज होने से यह क्षेत्र के अद्वितीय पारिस्थितिक संतुलन को उजागर करता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके प्रोजैक्ट ने कई अन्य दिलचस्प पक्षी प्रजातियों जैसे दाढ़ी वाला गिद्ध, यूरेशियन स्टारलिंग, इबिसबिल, पाइन बंटिंग और टफ्टेड डक आदि प्रजातियां, जोकि किन्नौर की जैव विविधता को समृद्ध बनाती हैं, का भी दस्तावेजीकरण किया है।
यही नहीं, महेश नेगी स्थानीय युवाओं और स्कूली छात्रों के लिए प्रकृति की सैर और पक्षी देखने के कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य अगली पीढ़ी को संरक्षण के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि कई पक्षी जैसे सामान्य कोयल, लंबी पूंछ वाला मिनिवेट और गडवाल, विशिष्ट मौसमों के दौरान किन्नौर पहुंचने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करते हैं। टफ्टेड डक साइबेरिया और यूरोप से सर्दियों के लिए किन्नौर जैसे गर्म क्षेत्रों में प्रवास करती हैं। किन्नौर में यैलो हैमर का होना इस क्षेत्र के पारिस्थितिक महत्व का प्रमाण है तथा इसकी जैव विविधता का दस्तावेजीकरण और संरक्षण कर हम इसे भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।