रवि भोई की कलम से
कहा जा रहा है कि सीधी भर्ती वाले आईपीएस की जगह पदोन्नत आईपीएस अफसरों पर विष्णुदेव साय की सरकार ज्यादा भरोसा करने लगी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर के एसपी पदोन्नत आईपीएस शशि मोहन सिंह हैं तो बिलासपुर के एसपी भी प्रमोटी आईपीएस रजनेश सिंह हैं। गृहमंत्री के गृह जिले कवर्धा के एसपी भी प्रमोटी आईपीएस धर्मेंद्र छवाई हैं। सरकार ने सीधी भर्ती वाले आईपीएस संतोष कुमार सिंह को राजधानी रायपुर के एसपी पद से हटाकर प्रमोटी आईपीएस लाल उम्मेद सिंह को कमान सौंपी है। रायपुर और बिलासपुर छत्तीसगढ़ के दो महत्वपूर्ण जिले हैं। दोनों महत्वपूर्ण जिले में प्रमोटी आईपीएस को जिम्मेदारी सौंपने का मतलब साफ़ है कि सरकार सीधी भर्ती वालों से ज्यादा प्रमोटी आईपीएस पर भरोसा करने लगी है। अब चाहे जो भी कारण हो। सरकार ने कवर्धा कांड के बाद सीधी भर्ती वाले आईपीएस को हटाकर प्रमोटी राजेश अग्रवाल को भेजा था। यह अलग बात है कि उन्हें कुछ दिनों बाद बदल दिया गया। फिर दोबारा प्रमोटी को ही पदस्थ किया गया। बलौदाबाजार में भी कमान प्रमोटी आईपीएस विजय अग्रवाल के पास है। यहां भी सीधी भर्ती वाले आईपीएस को हटाकर प्रमोटी को भेजा गया।
छत्तीसगढ़ की सरकार चुनावी मोड में
छत्तीसगढ़ में अभी स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, पर विष्णुदेव साय की सरकार लोकल बॉडी इलेक्शन के मोड में नजर आने लगी है। माना जा रहा है कि स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव की घोषणा दिसंबर के अंतिम सप्ताह में हो जाएगी। महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी। इस कारण इस चुनाव में सरकार की परीक्षा होनी है। इस चुनाव में साय सरकार के एक साल के कार्यकाल का निचोड़ सामने आ जाएगा। कहा जा रहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में बेहतर रिजल्ट के लिए पूरी सरकार तैयारियों में जुट गई है। वैसे रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की शानदार जीत से सरकार गदगद है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए कांग्रेस ने भी कमर कसने का आव्हान किया है, पर लोकल बॉडी इलेक्शन में हमेशा सत्तारूढ़ दल का पलड़ा भारी दिखाई देता है। अब देखते हैं नतीजा क्या रहता है।
रायपुर जिले की कप्तानी में सीएम ने अपनी चलाई
कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लाल उम्मेद सिंह को रायपुर का एसपी बनाकर प्रशासन में अपनी पसंद का संदेश दे दिया। रायपुर के एसपी बनने से पहले 2011 बैच के आईपीएस लाल उम्मेद सिंह पुलिस अधीक्षक मुख्यमंत्री सुरक्षा थे। कहते हैं भाजपा संगठन ,गृहमंत्री और अन्य लोगों की तरफ से रायपुर के पुलिस अधीक्षक को लेकर अलग-अलग नाम आए थे। चर्चा है कि कुछ लोग दुर्ग के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला को रायपुर लाने का सुझाव दिया था, तो एक व्यक्ति की तरफ से बलौदाबाजार के एसपी विजय अग्रवाल का नाम रखा गया था। मुख्यमंत्री को किसी ने अभिषेक पल्लव को रायपुर एसपी बनाने का भी सुझाव दिया। बताते हैं मुख्यमंत्री ने किसी की राय को तवज्जो दिए बिना लाल उम्मेद सिंह को रायपुर का एसपी बनाने का फैसला किया।
जी पी सिंह की बहाली से ख़ुशी भी और खलबली भी
भूपेश बघेल के राज में सेवा से बर्खास्त 1994 बैच के आईपीएस जी पी सिंह की बहाली से पुलिस महकमे में ख़ुशी भी है और खलबली भी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के बहाली आदेश के बाद जी पी सिंह शुक्रवार को जब रायपुर पहुंचे तो परिजनों और मित्रों के साथ कुछ पुलिस वालों ने भी फूलों से उनका स्वागत किया, वहीं कुछ अफसरों को भय सताने लगा है। खबर है कि शुक्रवार को एक आईपीएस अफसर को रायगढ़ में सत्यनारायण बाबा के दरबार में देखा गया। इस अफसर को जीपी सिंह के लिए गड्ढा खोदने वालों में अव्वल कहा जाता है। जी पी सिंह की बहाली से पुलिस मुख्यालय में बड़े उलटफेर की भी चर्चा है। 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता डीजी प्रमोट हो गए हैं। वरिष्ठता सूची में हिमांशु गुप्ता से ऊपर जी पी सिंह का नाम है। माना जा रहा है राज्य सरकार जी पी सिंह का बहाली आदेश सोमवार या मंगलवार को जारी कर देगी। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
कांग्रेस नेता का राष्ट्रीय महामंत्री बनना ठंडे बस्ते में
कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक कांग्रेस नेता का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महामंत्री बनना महीनों से लंबित पड़ा है। एक साल पहले तक इस नेता का दिल्ली दरबार में बड़ा दबदबा था और हाईकमान उनकी हर बात सुनता था। नेताजी की राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे तक सीधी पहुंच थी। राज्य में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद लग रहा था कि नेताजी को हाईकमान दिल्ली ले जाएगा। राष्ट्रीय महामंत्री बनाए जाने की बात भी चली थी। बताते हैं विरोधी इतने ताकतवर हो गए कि नेताजी की बात दिल्ली में बन नहीं पा रही है। चर्चा है कि विरोधियों के भले दिल और मन नहीं मिलते, लेकिन नेताजी को हासिये में रखने के लिए विरोधियों ने हाथ मिला लिया है।
कुलदीप जुनेजा महापौर की लाइन में
चर्चा है कि रायपुर महापौर की सीट सामान्य हुई तो पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा महापौर का चुनाव लड़ सकते हैं। कुलदीप जुनेजा विधायक का चुनाव लड़ने से पहले पार्षद थे। वे रायपुर उत्तर से दो बार विधायक रहे। 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए। इस बार छत्तीसगढ़ में महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव होना है, इस कारण कांग्रेस के कई नेताओं में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर इच्छा जागृत हो गई है। नगर निगम के सभापति और पूर्व महापौर प्रमोद दुबे भी इस बार महापौर के लिए जोर आजमाइश करना चाहते है। बशर्ते सीटों के आरक्षण का नतीजा क्या निकलता है।
भूपेश बघेल के जमाने के अफसर
भूपेश बघेल के जमाने में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव बनाए गए 2006 बैच के आईएफएस अफसर अरुण प्रसाद पी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के राज में भी चल रहे हैं। इस बीच भाजपा राज में कई उलटफेर हो गए। यहां तक छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के दो अध्यक्ष भी बदल गए। भूपेश बघेल की सरकार ने अरुण प्रसाद पी को 21 जून 2023 को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का सदस्य सचिव बनाया था। अरुण प्रसाद पी जब पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव बने तब आईएएस सुब्रत साहू पर्यावरण संरक्षण मंडल के अध्यक्ष थे। भाजपा की सरकार ने पहले आईएएस आर. शंगीता को मंडल का अध्यक्ष बनाया। अब आईएएस अंकित आनंद पर्यावरण संरक्षण मंडल के अध्यक्ष हैं।
नए साल में आईएएस अफसरों में होगा बड़ा उलटफेर
चर्चा है कि नए साल में छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसरों की पोस्टिंग में बड़ा उलटफेर होगा। बताते हैं इस हेरफेर में जिले से लेकर मंत्रालय तक के अफसर प्रभावित होंगे। कहा जा रहा है कि नए साल में 2009 बैच के आईएएस विशेष सचिव से पदोन्नत होकर सचिव बन जाएंगे, वहीं कुछ अफसर संयुक्त सचिव से विशेष सचिव और कुछ उप सचिव से संयुक्त सचिव बन जाएंगे। 2009 बैच के आईएएस अवनीश शरण अभी बिलासपुर कलेक्टर और बिपिन मांझी नारायणपुर के कलेक्टर हैं। कहा जा रहा है कि पदोन्नति के बाद इनकी फील्ड से वापसी हो जाएगी। बिपिन मांझी मई 2025 में रिटायर होने वाले हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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