छत्तीसगढ़ में श्रमिकों की हड़ताल और विरोध से निवेशकों का डगमगाने लगा भरोसा, निजी विद्युत संयंत्र और सीमेंट संयंत्र पर असर
रायपुर। छत्तीसगढ़, जो देश के ऊर्जा और खनन क्षेत्र का प्रमुख केंद्र है, इन दिनों श्रमिकों की हड़ताल और विरोध के कारण गंभीर औद्योगिक संकट का सामना कर रहा है। न्यायालय द्वारा छह माह तक हड़ताल पर प्रतिबंध के बावजूद एक निजी विद्युत संयंत्र में हड़ताल जारी है। यह न केवल न्यायालय के आदेश की अवहेलना है, बल्कि राज्य के औद्योगिक वातावरण और निवेशकों के विश्वास पर भी गहरा असर डाल रही है।
रायपुर के श्रम न्यायालय ने इस निजी विद्युत संयंत्र से जुड़े औद्योगिक विवाद मामले में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। न्यायालय ने श्रमिक संघ द्वारा विगत कुछ दिनों से जारी अनिश्चित कालीन हड़ताल को छह माह तक या आगामी आदेश तक स्थगित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने माना कि हड़ताल जारी रहने से विद्युत उत्पादन और आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे जनसामान्य पर व्यापक असर पड़ेगा। यह संयंत्र न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों को भी बिजली आपूर्ति करता है। कंपनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि वह न्यायालय के आदेश का सम्मान करती है और उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसी बीच, देश की तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी ने 18 दिसम्बर से बलौदा बाज़ार स्थित अपने सीमेंट प्लांट में लॉकआउट घोषित कर दिया है। कंपनी ने नियामकीय फाइलिंग में बताया कि यह कदम कर्मचारियों के असहयोग के कारण उठाया गया है। इस लॉकआउट से प्रतिदिन लगभग 10,000 टन सीमेंट उत्पादन का नुकसान होने का अनुमान है। बलौदा बाज़ार स्थित प्लांट की क्षमता 3.4 मिलियन टन प्रति वर्ष है। कंपनी की कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता 50.4 मिलियन टन प्रति वर्ष और पावर जनरेशन क्षमता 742 मेगावाट है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा भी शामिल है। कंपनी ने कहा कि वह स्थिति पर नज़र रख रही है और आगे की जानकारी समय-समय पर साझा करेगी। इन घटनाओं का व्यापक प्रभाव राज्य के औद्योगिक माहौल पर पड़ रहा है। प्रभावित संयंत्रों में विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 50 प्रतिशत तक घट गई है, जिससे आने वाले महीनों में बिजली की कमी का संकट उत्पन्न हो सकता है। सर्दियों के मौसम में बिजली की मांग बढ़ जाती है क्योंकि हीटर, गीजर और अन्य उपकरणों का उपयोग बढ़ता है। साथ ही, राज्य सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति लागू कर रही है, जिसके लिए स्थिर और पर्याप्त बिजली आपूर्ति अनिवार्य है। ऐसे समय में उत्पादन में कमी न केवल उद्योगों बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी गंभीर चुनौती बन सकती है। सीमेंट और स्टील उद्योगों पर सीधा असर पड़ रहा है और निवेशकों के मन में राज्य के औद्योगिक वातावरण को लेकर संदेह बढ़ रहा है। यह स्थिति उस समय और चिंताजनक हो जाती है जब राज्य सरकार औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए रोड शो, निवेशक सम्मेलन और नवीन औद्योगिक नीति के क्रियान्वयन जैसे कदम उठा रही है।
उद्योग जगत ने सरकार से अपील की है कि न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए और औद्योगिक इकाइयों के संचालन में बाधा डालने वाली गतिविधियों पर रोक लगे। निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाना आवश्यक है। छत्तीसगढ़ की औद्योगिक प्रगति और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर समाधान निकालना होगा। राज्य का आर्थिक विकास तभी संभव है जब उद्योग सुरक्षित और स्थिर वातावरण में काम कर सकें। विद्युत उत्पादन किसी भी विकासशील राज्य की रीढ़ है। उद्योगों के सुचारु संचालन और आम जनता की दैनिक जरूरतों के लिए बिजली का निर्बाध प्रवाह अनिवार्य है।





