नगरीय निकायों में रिश्तेदार व प्रॉक्सी प्रतिनिधियों पर नगरीय प्रशासन विभाग ने लगाई रोक
0 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बरती सख्ती कहा ,निर्वाचित महिलाएं ही निभाएंगे भूमिका
दिलीप गुप्ता
सरायपाली। अब नगरीय निकायों में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक रिश्तेदार को प्रॉक्सी प्रतिनिधि/लायजन पर्सन के नियुक्ति , कार्यालयों व बैठकों पर उनकी भूमिका व हस्तक्षेपों पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा पूरी तरह से रोक लगा दी गई है । इस संबंध में आयोग के निर्देशानुसार छग शासन नगरीय प्रशासन व विकास विभाग द्वारा सभी नगरीय निकायों को पत्र जारी करते हुवे इस निर्देश पर तत्काल पालन किए जाने हेतु कहा गया है । इस आदेश के उलंघन या शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारियों पर त्वरित कार्यवाही किए जाने की जानकारी मिली है ।
इस संबंध में छ.ग. शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा जारी पत्र सभी निकायों को प्रेषित करते हुवे कहा गया है कि विभाग के पत्र क्रमांक 4426/3949/18/2010 दिनांक 20.08.2010 द्वारा राज्य के समस्त नगरीय निकायो को कार्यों के संचालन मे महिला जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक रिश्तेदार / नातेदार के द्वारा कामकाज के संचालन के दौरान बैठक आदि में भाग नहीं लेने और न ही हस्तक्षेप करने के संबंध में निर्णय लेकर पूर्व में सूचित किया गया था ।
इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रदेश के नगरीय निकायों में सांसद एवं विधायकगणों के द्वारा निर्वाचित महिला जनप्रतिधिनियों के पारिवारिक रिश्तेदार को प्राक्सी प्रतिनिधि या लायजन पर्सन नियुक्त किये जाने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15(3) व अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना गया है।वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा उक्त के उल्लंघन के फलस्वरूप भारतीय न्याय संहिता 2003 की धारा 207, 223 व 316 एवं मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के अंतर्गत कार्यवाही का भी उल्लेख किया गया है।
इस संबंध में शासन के संज्ञान में लाया गया है कि कतिपय नगरीय निकायों में निर्वाचत महिला जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक रिश्तेदार को प्राक्सी प्रतिनिधि या लायजन पर्सन नियुक्ति किया जा रहा है जो कि शासन के नियम के विरुद्ध है वहीं
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15 (3) व अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होने के कारण समस्त नगरीय निकायों को निर्देशित किया गया है कि शीघ्र अपने अपने निकायों में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक रिश्तेदार जो नामांकित जनप्रतिनिधि है, के संबंध में परीक्षण कर सांसदो व विधायको से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के पालन हेतु अवगत कराया एवं अन्य नामांकित जनप्रतिनिधियों की नियुक्त हेतु आवश्यक कार्यवाही करने निर्देशित किया गया है ।
इस संबंध में छग शासन नगरीय निकाय व विकास विभाग द्वारा भी पत्र क्रमांक VIDI – 2904/2/2025 दिनांक 12/12/25 को जारी कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व शासन के मंशानुसार कार्यवाही किए जाने हेतु आदेश जारी किया गया है ।
ज्ञातव हो कि विभिन्न नगरीय , जनपदों व ग्राम पंचायतों में निर्वाचित महिलाओं के स्थान पर उनके पति /पुत्र व अन्य रिश्तेदारों द्वारा कार्यों में हस्तक्षेप किए जाने की लगातार शिकायतें आ रही थी । इससे सरकार द्वारा महिलाओं को उनके सक्रिय भागीदारी को देखते हुवे आरक्षण भी दिया गया था पर यह पूरा नहीं हो पा रहा था जिसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लेते हुवे सरकार को उक्त आदेश दिया गया है ।
ज्ञातव्य हो कि सरायपाली नगरपालिका में भी नपाध्यक्ष का पद महिला जरूर है पर वे अधिकांश समय कार्यालय से अनुपस्थित पाए जाने की आम शिकायतें हैं । इसी तरह महिला पार्षदों का हाल है
महिलाओं के स्थान पर उनके पतियों को नगरपालिका के प्रत्येक कार्यो में देखा जा सकता है । महिलाएं सिर्फ नाम की अध्यक्ष व पार्षद हैं । इसी तरह जिला जनपद , जनपद सदस्य , सरपंच व पंचो में चुनी गई महिलाओं में अधिकांश महिलाओं के परिजन सक्रिय देखे गए हैं । अधिकांश निर्वाचित महिलाएं आज भी घर व चौका तक ही सीमित हैं । महिलाओं को सिर्फ किसी बैठक , प्रशिक्षण , शासकीय कार्यक्रम या विभागीय अधिकारियों के दौरों के समय ही उपस्थित देखा जा सकता है ।




