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पत्नी की हत्या में दोषी पति को आजीवन कारावास, अर्थदंड से भी दंडित

0 आरोपी ने भाई पर भी किया था जानलेवा हमला

0 अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने थाना अमलीपदर के प्रकरण में सुनाया अपना फैसला

0 प्रकरण में कुल 18 साक्षियों का कराया गया परीक्षण

गरियाबंद। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने दो अलग–अलग धाराओं में आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तजेश्वरी देवी देवांगन ने प्रकरण में अपना अंतिम फैसला देते हुए 05 अक्तूबर गुरुवार को आरोपी जगदीश सिन्हा उम्र 28 वर्ष थाना अमलीपदर के खिलाफ भादवि की धारा 302 के अंर्तगत चले प्रकरण में आजीवन कारावास एवं धारा 307 के तहत दस वर्ष का सश्रम कारावास के साथ ही एक–एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।

मिली जानकारी के मुताबिक प्रकरण जिले के थाना अमलीपदर क्षेत्र का है, जहां 10 दिसंबर 2020 को समय रात्रि करीबन 8 बजे आरोपी जगदीश सिन्हा उर्फ जे.के. सिन्हा पिता हनई राम सिन्हा उम्र 28 वर्ष ने अपनी पत्नी मोंगरा बाई सिन्हा पर चरित्र शंका के चलते कैंची से वार कर दिया था, जिससे कि शरीर में आई गंभीर चोट के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। उसके बाद आरोपी जगदीश अपने बड़े भाई त्रिलोचन सिन्हा को उसकी पत्नी के साथ अवैध संबंध है बोलते हुए हत्या करने की नीयत से कैंची से प्राणघातक हमला कर दिया था।

थाना अमलीपदर के अपराध क्रमांक 66/2020 धारा 302, 307 भा.दं. संहिता के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना पत्र लेखबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। आरोपी को गिरफ्तार कर प्रकरण में संपूर्ण अन्वेषण पूर्ण उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध धारा 302, 307 भा.दं. संहिता के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरियाबंद के समक्ष दिनांक 18/01/2021 को अभियोग पत्र पेश किया गया तथा उपार्पण आदेश दिनांक 26/03/2021 के अनुसार प्रकरण दिनांक 09/04/2021 को इस न्यायालय को प्राप्त होने पर सत्र प्रकरण क्रमांक 35/2021 के रूप में पंजीबद्ध किया गया तथा विचारण प्रारंभ किया गया। अभियोजन द्वारा उक्त प्रकरण में कुल 18 साक्षियों का परीक्षण कराया गया। प्रकरण में आए साक्षियों के कथन के आधार पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तजेश्वरी देवी देवांगन द्वारा आरोपी जगदीश सिन्हा को धारा 302 भा.दं. संहिता के तहत आजीवन कारावास एवं धारा 307 भा.दं. संहिता के तहत दस वर्ष का सश्रम कारावास के साथ ही एक–एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। अर्थदंड की अदायगी में व्यतिक्रम किए जाने पर 06 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से सुनाया गया है।

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