अगहन माह के सभी गुरुवार के दिन घर-घर में रंगोली सजाकर सुबह से शाम तक तीन बार महालक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। एक दिन पहले बुधवार को माता लक्ष्मी को आमंत्रित करके पूजा घर में स्थापित किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि अगहन माह में महालक्ष्मी पूजन करने से परिवार में सुख, समृद्धि का वास होता है।
चावल के आटे से सजाएं रंगोली, माता को करें आमंत्रित
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार 30 नवंबर को शुरू हो रहे अगहन गुरुवार के एक दिन पहले 29 नवंबर बुधवार को अपने घर की सफाई करें। आंगन और मुख्य द्वार पर रंगोली सजाएं। चावल के आटे से मुख्य द्वार से लेकर पूजा स्थल तक मां लक्ष्मी के पदचिन्ह बनाएं। कलश स्थापना करके आंवला और आम पत्ता का तोरण सजाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा विराजित करें। कटोरी में धान रखकर दीप प्रज्ज्वलित करें। मां लक्ष्मी का आह्वान करके अपने घर पर आमंत्रित करें।
सूर्योदय से शाम तक पूजा
महिलाएं गुरुवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान करें। व्रत रखने का संकल्प लेकर मुख्य द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित करें। दोपहर 12 बजे चावल की खीर, अनरसा, बबरा, चावल का चीला आदि व्यंजनों का भोग लगाएं। शाम को पुन: पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण कर भोजन करें।
पूजा सामग्री
पूजा के लिए नारियल, केला, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, सीताफल, धान की बाली का झालर, कुम्हड़ा, आंवला, पान, कपड़ा, टोकरी, प्याज, तेल, घी, शक्कर, चावल का उपयोग करें।
ऐसे करें पूजा
घर-आंगन को गोबर से लीपकर चावल के आटे को पानी में घोलकर चौक पूरें। मुख्य द्वार को रंगोली से सजाएं। आंगन से लेकर पूजा घर तक मां लक्ष्मी के पदचिन्ह, स्वास्तिक, नाग आदि के चित्र बनाएं।
16 का आंकड़ा
पूजन से पूर्व 16 बार मुंह धोकर और 16 लड़ वाली डोरी बनाकर केले पत्तों व आंवला से मंडप सजाकर दीप प्रज्ज्वलित करें। दोपहर को चावल से बने व्यंजन का भोग लगाएं। शाम को आरती करके प्रसाद ग्रहण करें।
इन तारीखों को पड़ेगा अगहन गुरुवार
30 नवंबर
सात दिसंबर
14 दिसंबर
21 दिसंबर