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राजिम विधानसभा से अमितेश की हार, शुक्ल परिवार की राजिम से विदाई

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० अब स्थानीय लोगों को मौका मिलेगा



जीवन एस. साहू

गरियाबंद। राजिम विधानसभा क्षेत्र शुक्ल परिवार के परंपरागत सीट कहे जाने वाले इस भ्रम को एक अनजान चहेरा जो जनता कांगे्रस से भाजपा में प्रवेश कर राजिम से शुक्ल युग की समाप्ति का बिगुल बजा दिया इसके पहले भी इस सीट से स्व.पवन दीवान, चन्दूलाल साहू, संतोष उपाध्याय ने शुक्ल परिवार को मात दिया था । शुक्ल परिवार की लोक प्रियता राजिम क्षेत्र में थी, स्व.श्यामचरण शुक्ल के नाम पर वोट मिलते थे, अमितेश शुक्ल को भी जनता व कार्यकर्ताओं ने अवसर दिया लेकिन वे स्व.श्यामाचरण शुक्ल के पद चिन्हों पर चल नही पाये, हर जगह कार्यकर्ताओं, मतदाताओं में स्व. शुक्ल के सफलताओं और योजनाओं का गुणगान करते थे लेकिन उनके जैसे कार्यकर्ताओं को सम्मान देने की भावना नहीं थी ।

अमितेश शुक्ल जल्द ही कार्यकर्ताओं से मिल नही पाते थे उन पर विश्वास नही करते थे, कान के कच्चे थे । 2018 के चुनाव मेें विजयी होने के बाद उन पर ऐसा जूनून सवार था कि युवा कार्यकर्ताओं के मोह का उन्होंने बुर्जुग वरिष्ठ कांगे्रसियों की उपेक्षा कर युवा नेताओं को ब्लाक कांगे्रस कमेटियों का अध्यक्ष बना दिया, ब्लाक कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष बनाने के पूर्व कभी वरिष्ठ कांगे्रसियों की सलाह मशविरा तक नही किया करते थे।

नगर पंचायत, नगर पालिका में कांगे्रस पार्षदों की हमेशा उपेक्षा उपेक्षा करते थे, मंडी अध्यक्ष, एल्डरमेन बनाने आदि में किसी भी कांगे्रसियों की सलाह तक नही ली, विधायक प्रतिनिधी तो हर महीने विभिन्न विभागों में बदलते रहे है । जनता या छोटे कांगे्रस कार्यकर्ता विधायक के पास कोई समस्या लेकर जाते थे तब काम नही होता था जब प्रदेश में सरकार होने के बाद भी भटकते रहते थे, कार्यकर्ताओं का आरोप था कि हम मन लगाकर अमितेश भैय्या का काम करते है लेकिन भैय्या हम पर विश्वास नही करते हमारे मोबाईल बाहर रखवा देते थे यह भी एक चुनाव हारने का फैक्टर रहा कि विधायक अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास नही कर पाते थे, इससे कार्यकर्ता भी इसे अपमान समझते थे । राजिम विधानसभा क्षेत्र मेें उनके कांग्रेसी विधायक पद के दावेदारी के लिए आवेदन करते थे लेकिन टिकट केवल शुक्ल को ही मिलती थी तभी इस बार एक नारा भी चर्चा में रहा कांगे्रस सरकार जरूरी है इस क्षेत्र का विधायक प्रत्याशी मजबूरी है ।


राजिम क्षेत्र कांगे्रस पार्टी की परमपरागत सीट थी जिसे अमितेश की नाकामियों ने गंवा दिया, अमितेश अपने सभाओं में राजिम क्षेत्र का परिवार का सदस्य थे लेकिन राजिम क्षेत्र के लोग मिलने जाए तो रायपुर अपने बंगले में घण्टो इंतजार कराते थे चार सालो तक यह सिलसिला चलता था अंतिम वर्ष में जनता व कार्यकर्ताओं पर स्नेह दिखाया करते थे ।

विधायक अमितेश किसी की सुनते नही थे राजिम क्षेत्र मेें सबसे खराब स्थिति ब्लाक कांगे्रस कमेटी गरियाबंद के अध्यक्ष के गृह ग्राम मालगांव व आस-पास के गांवों की विधायक को अध्यक्ष निष्क्रियता की जानकारी दी गई लेकिन वे अनसुनी कर दिया करते थे जिसका परिणाम यह हुआ कि मालगांव के 28 पोंलिग बूथ भाजपा को सर्वाधिक मत मिले, कासरबाय, हरदी, कोचवाय, सोहागपुर, आमदी-म, ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की बढ़त रही । रािजम विधानसभा क्षेत्र में अमितेश शुक्ल की हार क्या शुक्ल परिवार के वर्चस्व का अंत है, क्या स्थानीय कांग्रेसियों को अब अवसर मिलेगा । चुनाव के समय राजिम क्षेत्र में किसी मंत्री का आगमन व प्रचार-प्रसार की कमी देखी गई स्टार प्रचारक को भी अमितेश शुक्ल राजिम क्षेत्र में बुला नही पाये, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की सभाए नहीं हो पाई जिसका भी मलाल कार्यकर्ताओं को रहता था ।

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