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कही-सुनी (11FEB-24): दो महीने में साय सरकार की लंबी छलांग

रवि भोई की कलम से

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार को कामकाज संभाले 13 फ़रवरी को दो महीने हो जाएंगे। साय सरकार ने कोल, शराब,कस्टम मिलिंग और पीएससी घोटाले का पिटारा खोलकर प्रदेश की राजनीति को गरमा दी, तो वहीं किसानों को दो साल का बकाया बोनस, 18 लाख परिवारों को छत, प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी और महतारी वंदन योजना का क्रियान्वयन कर मोदी गारंटी को पूरा करने के लिए कदमताल भी कर लिया। किसानों को 3100 की दर से धान की कीमत देने के लिए योजना बना ली है और बजट में राशि का प्रावधान कर लिया है। समर्थन मूल्य के अलावा अंतर की राशि 917 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को फरवरी महीने में मिल जाने की उम्मीद है। सरकार ने वादे पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाने के साथ बजट के माध्यम से आगे बढ़ने की दिशा भी तय की है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी के अपने जीवन का पहला बजट सदन में पेश किया और बजट भाषण बिना टोका-टाकी के पढ़ा, यह बड़ी उपलब्धि रही।आकर्षक प्रस्तुति ने सदस्यों को बांधे रखा। बजट में भविष्य के सपने दिखाए गए हैं। पांच साल में सपने कैसे पूरे होते हैं, उसका इंतजार करना होगा।

भाजपा राज में कांग्रेस नेता की लाटरी

कहते हैं बस्तर इलाके में खनिज परिवहन के मामले में एक कांग्रेस नेता की लाटरी लग गई है। भूपेश बघेल की सरकार में धूप-छाँव के दिन बिताने वाले ये कांग्रेसी नेता अपने साउथ कनेक्शन से बस्तर में फिर से खनिज परिवहन का ठेका ले लिया है। कांग्रेस के राज में एक कांग्रेसी नेता ने ही उन्हें धंधे से बाहर कर दिया था। अब कांग्रेस नेता को परिवहन का ठेका मिलने पर भाजपा के भीतर भी बवाल हो गया है। कहते हैं बस्तर के एक विधायक ने अपने कुछ लोगों को परिवहन का ठेका दिलवाया था, पर दूसरे विधायक ने अपने पावर और संबंधों का इस्तेमाल कर एक कंपनी को काम दिलवा दिया। चर्चा है कि कंपनी पर दबाव बनाकर कांग्रेस नेता ने काम ले लिया। बताते हैं भाजपा के राज में कांग्रेस नेता को काम मिलने पर उठा बवंडर अब पार्टी हाईकमान तक पहुँचने वाला है।

आईजी सुंदरराज के सिर बस्तर का ताज बरकरार

लगता है आईजी सुंदरराज पी का बस्तर से चोली दामन का साथ हो चला है। डीआईजी और आईजी के तौर पर सुंदरराज पिछले सात साल से बस्तर की कमान संभाले हुए हैं। पिछले दिनों भाजपा की सरकार ने बड़ी संख्या में आईजी और एसपी के तबादले किए। रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जैसे बड़े रेंज के आईजी बदले, लेकिन बस्तर आईजी सुंदरराज की जगह नहीं हिली। 2003 बैच के आईपीएस सुंदरराज को रमन सरकार में बस्तर भेजा गया था। वे भूपेश बघेल के राज में भी बस्तर में रहे और विष्णुदेव साय के कार्यकाल में भी बस्तर का पट्टा बरकरार रहा। एक ही इलाके में लगातार सात साल तक कमान संभाले रहना भी, अपने आप में रिकार्ड है। सुंदरराज बस्तर के एसपी भी रह चुके हैं। बस्तर का इलाका नक्सल प्रभावित है और नक्सल इलाके में सुंदरराज मोर्चा संभाले हुए हैं। साय सरकार नक्सलियों के खात्मे के लिए आक्रामक कदम उठाना चाहती है,शायद इसी वजह से नक्सलियों के रग-रग से वाकिफ सुंदरराज को सरकार डिस्टर्ब नहीं करना चाहती और अंगद के पाँव की तरह जमे रहने देना चाहती है।

सोनमणि बोरा की वापसी

सेन्ट्रल डेपुटेशन से आईएएस अफसरों की छत्तीसगढ़ वापसी के हो हल्ला के बीच 1999 बैच के अफसर सोनमणि बोरा को भारत सरकार ने राज्य वापसी की हरी झंडी दे दी है। बोरा के आने के बाद छत्तीसगढ़ में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों में बढ़ोतरी हो जाएगी। अभी निहारिका बारिक सिंह ही प्रमुख सचिव हैं। वैसे प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी गौरव द्विवेदी की वापसी की भी चर्चा है। गौरव द्विवेदी भूपेश राज में ही दिल्ली से लौटे थे। वे भूपेश सरकार में कुछ महीने तक मुख्यमंत्री के सचिव भी रहे। बाद में पटरी जमी नहीं, उन्हें मुख्यमंत्री के सचिव के पद से हटाकर दूसरे विभागों में भेज दिया गया। इसके बाद वे फिर भारत सरकार में चले गए। गौरव द्विवेदी के आने की स्थिति में डॉ मनिंदर कौर द्विवेदी भी आ सकती हैं। वैसे मुकेश बंसल और अमित कटारिया के आने का भी हल्ला है। केंद्र सरकार के आईएएस अफसरों की वापसी की खबरों के बीच मंत्रालय में कई विभाग लिए अफसर अभी से सशंकित होने लगे हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले अफसरों को भी मातहत होने का भय सताने लगा है।

सीबीआई के लिए कब खुलेगा दरवाजा

वैसे विष्णुदेव साय की सरकार ने कामकाज संभालने के बाद ही कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ का दरवाजा सीबीआई के लिए खोलने का फैसला कर लिया था, लेकिन अभी तक चिठ्ठी-पत्री दिल्ली गई नहीं है। कहते हैं लालफीताशाही के चक्कर में मामला अटका है। लोग चर्चा करने लगे हैं कि सीबीआई के लिए छत्तीसगढ़ का द्वार कब खुलेगा ? साय सरकार ने पीएससी घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू में एफआईआर तो दर्ज करा दिया है,पर वादे के मुताबिक़ सीबीआई जांच का लोगों को इंतजार है। पीएससी घोटाला के अलावा कोल लेवी,कस्टम मिलिंग, शराब घोटाला भी सीबीआई जांच के इंतजार में है। रमन राज तक छत्तीसगढ़ में सीबीआई की इंट्री थी। भूपेश बघेल के शासनकाल में राज्य में सीबीआई को प्रतिबंधित कर दिया गया। विष्णुदेव की सरकार को प्रतिबंध हटाकर सीबीआई के सुपुर्द मामले करने हैं।

भाजपा पदाधिकारी की नजर राज्यसभा सीट पर

कहते हैं प्रदेश के एक भाजपा पदाधिकारी की नजर अप्रैल में खाली होने वाली राज्यसभा की सीट पर है। इसके लिए वे जुगाड़-तुगाड में लगे हैं और अपने समाज का भी सहारा ले रहे हैं। कुछ लोग राज्यसभा के लिए रामप्रताप सिंह का नाम भी आगे कर रहे हैं , वहीं बस्तर में जनसंघ के जमाने से लगे सामान्य वर्ग के नेता भी दावा कर रहे हैं। कहा जा रहा है राज्यसभा के उम्मीदवार का नाम तो दिल्ली से ही तय होगा। संभावना है कि राज्यसभा के लिए भाजपा हाईकमान 19 फ़रवरी के बाद प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद सरोज पांडे का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो जाएगा। इसके लिए 27 फ़रवरी को मतदान होना है। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर राज्यसभा की सीट भाजपा के खाते में जाना तय है।

चुनाव आयोग की आँखों में चढ़े शलभ सिन्हा जगदलपुर एसपी

दुर्ग के एसपी रहते चुनाव आयोग के निशाने पर आए 2014 बैच के आईपीएस शलभ सिन्हा को भाजपा की सरकार ने जगदलपुर जैसे नक्सल प्रभावित और बड़े जिले की कमान सौंपी है। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान एक राजनीतिक पार्टी ने आईपीएस शलभ सिन्हा की शिकायत की थी। शिकायत पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने शलभ सिन्हा को दुर्ग के एसपी पद से हटा दिया था, उनकी जगह रामगोपाल गर्ग को दुर्ग का एसपी बनाया गया था। अब चुनाव निपटने और नई सरकार की पहली पुलिस सर्जरी में शलभ सिन्हा एआईजी पुलिस मुख्यालय से जगदलपुर पहुंच गए। शलभ सिन्हा के साथ चुनाव आयोग द्वारा हटाए गए दूसरे पुलिस अफसरों का अभी पुनर्वास नहीं हुआ है।

सदानंद कुमार दूसरी बार बलौदाबाजार के एसपी

2010 बैच के आईपीएस सदानंद कुमार दूसरी बार बलौदाबाजार -भाटापारा जिले के एसपी बनाए गए हैं। सदानंद कुमार की एसपी के तौर पर पहली पोस्टिंग बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में ही हुई थी। सदानंद कुमार अंबिकापुर, बलरामपुर, बालोद, नारायणपुर और रायगढ़ के एसपी रह चुके हैं। 2009 बैच के आईपीएस अमित कांबले के बाद सदानंद कुमार दूसरी बार एक ही जिले में एसपी के रूप में पहुंचे हैं। अमित कांबले 2015-16 में गरियाबंद के एसपी थे। अक्टूबर 2022 से फिर गरियाबंद के एसपी हैं।

कांग्रेस नेता के रिश्तेदार की जुगत

चर्चा है कि भूपेश बघेल के शासनकाल में एक कांग्रेस नेता जिस निगम के अध्यक्ष थे,अब उसी निगम का एमडी उनके रिश्तेदार को बनाया गया है। एमडी बनाए गए अफसर न तो आईएएस हैं और न ही आईएफएस और न ही राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर। केंद्र सरकार के डूबत वाली संस्था से जुड़ी सेवा के अफसर छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर हैं। पिछली सरकार में कर्मचारी नेताओं की निगाह पर चढ़े अफसर को फील्ड से मंत्रालय में लाया गया था। विष्णुदेव साय की सरकार में ये मंत्रालय से निगम के कार्यकारी बनने में सफल रहे। ये जिस सेवा के हैं, उस सेवा के दो अफसर ईडी के फेर में आ चुके हैं।

टंकराम वर्मा के तीन लाल

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं। शिक्षक रहने के साथ विधायक और मंत्री के पीए रहकर राजनीति और प्रशासन को करीब से देखा है। इसके बावजूद मंत्री की हैसियत से अब जब वे बलौदाबाजार जाते हैं, लोग उन्हें घेर लेते हैं और ज्ञान की बातें समझाते हैं। यहां तक उन्हें राजनीति के गुर सिखाते हैं। इसमें वे लोग शामिल हैं जो कांग्रेस या बसपा में रहते और न ही निर्दलीय चुनाव जीत सके हैं। यह अलग बात है कि अब वे भाजपा के कर्णधार बन गए हैं। कहते हैं कि मंत्री जी जब भी बलौदाबाजार जाते हैं तीनों लोग पूरे समय घेरे रहते हैं। इस कारण तीनों की चर्चा टंकराम वर्मा के लाल के रूप में होने लगी है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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