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22 साल पहले गुम हुआ बेटा साधु बनकर लौटा निकला ठग नफीस, पुलिस के पास पहुंचा मामला और फिर…

अमेठी: किसी चमत्‍कार के इंतजार में सालों से दिन गुजार रही मां को 22 साल बाद साधु के भेष में अपना खोया हुआ बेटा मिला तो खुशी से सबकी आंखें छलक आईं। 11 साल की उम्र में बहुत ज्‍यादा खेलने पर मां की डांट से गुस्‍से में आकर भाग गए पिंकू को अपने सामने देख भानुमति सिंह की खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन एक पखवारे से भी कम समय में ये खुशी धोखाधड़ी के गम में बदल गई। जिस संन्‍यासी को भानुमति और उनके पति रतिपाल सिंह ने अपना बेटा समझकर विश्‍वास कर लिया था वो एक ठग निकला। दिल्‍ली के इस परिवार को आखिरकार इस ठग के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

भानुमति और उनके पति को पिछले महीने कहीं से पता चला कि उनके पैतृक गांव अमेठी के खरौली में एक साधु आया हुआ है। बताने वालों ने बताया कि साधु के शरीर पर वैसा ही निशान है जैसा 22 साल पहले खोए उनके बेटे पिंकू के शरीर पर था। इस सूचना पर भानुमति और रतिपाल सिंह के रिश्तेदारों ने उन्‍हें खरौली गांव जाने के लिए कहा। बेटे से मिलने की चाहत और मन में ढेरों सवाल लिए दोनों 27 जनवरी को गांव पहुंचे। वहां उन्‍हें वह साधु मिला जिसने उन्हें बताया कि वह वास्तव में उनका बेटा है। साधु ने उन्‍हें बताया कि वह भिक्षा मांगने आया हुआ है। साधु की बातें सुनकर भानुमति और रतिपाल का कलेजा बैठ गया। उन्‍होंने उसे कहीं भी जाने से मना किया और कहा कि अब वह उनके साथ ही रहे। लेकिन साधु ने उनसे कहा कि अब वह उनका बेटा नहीं बल्कि एक संन्यासी है। उसने सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया है। उसे झारखंड में अपने मठ, पारसनाथ मठ में वापस लौटना होगा। साधु ने कहा कि उसके गुरु ने कहा था कि उसकी दीक्षा तभी पूरी होगी जब वह अयोध्या जाएंगा और उसके बाद अपने परिवार के सदस्यों से भिक्षा मांग लेगा।

भानुपति और रतिपाल ने बेटा समझकर साधु को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन अंत में उन्‍हें लगा कि बेटा उसी रास्‍ते पर चलना चाहता है जिस पर चल रहा है उन्‍होंने हार मान ली। इसके बाद गांववालों ने मिलकर साधु को 13 क्विंटल अनाज भिक्षा के रूप में दिया। रतिपाल की बहन ने उसे 11 हजार रुपए भी दिए। यही नहीं रतिपाल ने साधु को एक फोन भी खरीदकर दिया। उन्‍होने उससे संपर्क में रहने को कहा। भिक्षा लेकर एक फरवरी को पिंकू गांव से चला गया। इसके बाद भानुमती से भिक्षा मांगते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा। इस वीडियो में भानुमति की आंखों से खुशी के आंसू छलकते दिख रहे थे।

साधु वेश में गांव से जाने के बाद पिंकू के रूप में रतिपाल के पास अक्‍सर उसके फोन आने लगे। उसने कहा कि वह उनके पास वापस लौटना चाहता है, लेकिन मठ के लोग इसके लिए तैयार नहीं हैं। उसने दावा कि मठ से वह तब तक मुक्‍त नहीं हो सकता जब तक उन्‍हें 10 लाख रुपये नहीं दे दे। बेटे का स्‍वांग कर रहे शख्‍स की बातों में आकर रतिपाल ने गांव में अपनी जमीन 11.2 लाख रुपये में बेच दी। उन्‍होंने साधु से कहा कि वह मठ को पैसे देने के लिए झारखंड आएंगे। रतिपाल ने जब साधु से ऐसा कहा तो घबड़ाया हुआ लगने लगा। उसने रतिपाल को कई कारण बताए कि उन्‍हें मठ में क्‍यों नहीं आना चाहिए। इनमें से कोई भी कारण विश्‍वसनीय नहीं था। यही नहीं साधु रतिपाल से कहने लगा कि वह उसे बैंक हस्तांतरण या यूपीआई ऐप के जरिए रुपए भेज दें। उसने रतिपाल की मठ के गुरु से बात भी कराई। दोनों के बीच 3.60 लाख में बेटे की घर वापसी की सहमति भी बन गई लेकिन सहमत होने के बाद रतिपाल को यह मामला संदिग्ध नजर आया। साधु की इन बातों पर रतिपाल को शक हो गया। उन्‍होंने पूछताछ शुरू कर दी। पता चला कि झारखंड में साधु के बताए नाम से कोई मठ ही नहीं है। सीओ अजय कुमार सिंह के मुताबिक इसके बाद रतिपाल ने अमेठी के जायस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

शुरुआती जांच-पड़ताल में पुलिस को तब पता चला है कि पिंकू के रूप में भानुम‍ति और रतिपाल को ठगने वाला शख्‍स वास्तव में गोंडा गांव का नफीस था। पुलिस के मुताबिक नफीस और उसका भाई पहले भी ठगी की ऐसी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। इस पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है।

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