रवि भोई की कलम से
कहते हैं प्रदेश स्तर के दो भाजपा नेता दारू के खेल में पूरी तरह सक्रिय होने से पहले ही आउट हो गए। खबर है पार्टी फंड के नाम से ये नेता शराब के धंधे में परोक्ष रूप से उतरना चाहते थे। इसके लिए दोनों नेताओं ने अपना गोटी बैठाया था। एक नेता ने अपने रिश्तेदार को दारू सप्लाई करने वाली एक कंपनी की चाबी भी दिलवा दी थी। कहा जा रहा है कि अपने मन मुताबिक शराब नीति बनवाने के लिए ये दोनों नेता आबकारी विभाग से जुड़े एक आला अफसर से मिले भी और उन्हें अपनी ख्वाहिश बताई। अफसर ने यह बात एक मंत्री को बता दी। चर्चा है कि मंत्री से होते हुए बात मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक जा पहुंची। मुख्यमंत्री तक बात पहुंच जाने से वस्तुस्थिति का पता लगाया गया। खेल समझ आते ही दोनों नेता को मैदान में उतरने से पहले ही आउट कर दिया गया। बताते हैं भाजपा के ये दोनों नेता विधानसभा चुनाव के वक्त हवा में थे। सरकार आने के बाद भी उड़ना चाहते थे। माना जा रहा है कि साय सरकार की शराब नीति इस महीने के मध्य तक आ जाएगी। अब शराब के काम एक पुराने खिलाड़ी को दिए जाने की चर्चा है। 15 साल के भाजपा राज में इस खिलाड़ी ने अपने हाथ का जादू दिखाया था। कहा जा रहा है कि पुराने खिलाड़ी के हाथों शराब की बागडोर सौंपने में भी भाजपा के कुछ नेताओं का हाथ है।
छत्तीसगढ़ के मंत्रियों की उड़ी हवाइयां
कहते हैं पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी एल संतोष ने एक मीटिंग में साफ़ कर दिया कि राज्य के मंत्रियों के छह महीने के कामकाज और व्यवहार के आधार पर ही आगे की नियमितता तय होगी। कहा जा रहा है कि बी एल संतोष के दो टूक से साय मंत्रिमंडल के कई सदस्यों की जमीन अभी से खिसकने लगी है। राज्य में साय मंत्रिमंडल का गठन दिसंबर में हुआ है। बताते हैं लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रियों का परफॉर्मेंस जांचा जाएगा। साय मंत्रिमंडल में बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, केदार कश्यप और दयालदास बघेल के अलावा सभी पहली बार मंत्री बने हैं। साय के कुछ मंत्री संसदीय ज्ञान का ककहरा सीख रहे हैं। बताते हैं विधानसभा के बजट सत्र में कुछ मंत्री विपक्षी सदस्यों के जाल में उलझ गए थे। फाइलों के निपटारे में भी कुछ मंत्री अपने स्टाफ पर ही निर्भर बताए जाते हैं। अब देखते हैं लोकसभा चुनाव के बाद क्या होता है ?
मुसीबत में कांग्रेस के नेता
कहा जा रहा है कि एक तो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को अच्छे और खर्च कर सकने वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं जो हैं उनमें से कुछ ईडी और आयकर विभाग के निशाने पर हैं या विवादों में उलझ गए हैं। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत को लोकसभा चुनाव में सरगुजा सीट से कांग्रेस का सशक्त दावेदार माना जा रहा था। आयकर छापे के बाद अमरजीत भगत पर संकट के बादल छा गए हैं।अमरजीत भगत के साथ उनके समर्थक और शुभचिंतक भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया के कांकेर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी। पूर्व पीए के ईडी के निशाने पर आने से अनिला भेड़िया पर भी खतरा मंडराने लगा है। जांजगीर सीट से पूर्व मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया का नाम चल रहा है। पत्नी का मामला सुर्ख़ियों में होने से डहरिया के रास्ते में भी कांटे बिछने लगा है। रायपुर, महासमुंद, बिलासपुर और राजनांदगांव जैसी सीटों के लिए भी कांग्रेस को कोई मजबूत दावेदार दिखाई नहीं दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रायपुर या आसपास की सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा है।
अमित जोगी का क्या होगा ?
कहते हैं छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता अमित जोगी भाजपा से तालमेल कर कोरबा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाक़ात के बाद संभावनाओं को हवा मिली। लेकिन अब कोरबा सीट से भाजपा की नेता सरोज पांडे का नाम चलने लगा है। बताते हैं कि भाजपा हाईकमान ने सरोज पांडे को कोरबा से लड़ाने का मन लगभग बना लिया है। सरोज पांडे भी कोरबा से नाता जोड़ने में जी-जान से जुट गई हैं। ऐसे में अब कहा जाने लगा है अमित जोगी का क्या होगा ? विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस और भाजपा काफी फ्रेंडली थी। यह अलग बात है कि जोगी कांग्रेस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी और करीब दो दशक तक राज्य की राजनीति में सुर्ख़ियों में रहने वाला जोगी परिवार परदे के पीछे चला गया। कोरबा से अमित जोगी का नाम सामने आने पर उम्मीदों का तारा टिमटिमाया था। अब देखते हैं आगे क्या होता है।
तीन अफसरों में यशवंत को चुना राज्यपाल ने
कहते हैं राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने अपना सचिव बनाने के लिए तीन अफसरों में से 2007 बैच के अफसर यशवंत कुमार को चुना। बताते हैं कि सरकार ने राज्यपाल के सचिव के लिए श्री हरिचंदन के पास तीन अफसरों का पैनल भेजा था। पैनल में यशवंत कुमार के अलावा एक महिला आईएएस और 2008 बैच के एक अफसर का नाम था। यशवंत कुमार को राज्यपाल के सचिव का प्रभार अतिरिक्त रूप से सौंपा गया है। यशवंत कुमार ग्रामोद्योग विभाग के सचिव के साथ ग्रामोद्योग विभाग से जुड़े निगमों के प्रबंध संचालक भी हैं। लंबे समय से संविदा पर चल रहे राज्यपाल के सचिव अमृत खलखो की विदाई के बाद यशवंत कुमार को राजभवन भेजा गया। कहा जा रहा है कि राजभवन में उपसचिव और अन्य कुछ पद अब भी रिक्त हैं।
चलते रहेंगे अशोक जुनेजा
कहा जा रहा है कि राज्य के डीजीपी अशोक जुनेजा कम से कम लोकसभा चुनाव तक तो चलते रहेंगे। माना जा रहा है कि 12 मार्च तक लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। आचार संहिता के दौरान डीजीपी बदलने के बारे में चुनाव आयोग ही फैसला ले सकता है। अशोक जुनेजा भाजपा सरकार में करीब-करीब तीन महीने काट चुके हैं। भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही अशोक जुनेजा को डीजीपी के पद से हटाए जाने की अटकलें चल पड़ी थी। विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा के नेताओं ने चुनाव आयोग से डीजीपी की शिकायत की थी। 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी तकनीकी आधार पर अशोक जुनेजा डीजीपी बने हुए हैं। 1992 बैच के आईपीएस अरुणदेव गौतम और पवनदेव डीजी की कतार में हैं। लेकिन अभी तक दोनों की पदोन्नति के लिए डीपीसी नहीं हुई है।
किस्मत के धनी श्रीनिवास राव
बताते हैं सरकार ने 1990 बैच के आईएफएस अनिल कुमार राय को पीसीसीएफ बनाने का मन बना लिया था, लेकिन मई महीने में ही रिटायमेंट होने के कारण मामला अटक गया और पीसीसीएफ वी श्रीनिवास राव की कुर्सी यथावत बनी रही। राज्य के आईएफएस अफसरों में अभी 1988 बैच के आईएफएस सुधीर अग्रवाल सबसे वरिष्ठ हैं और उनके पास वन्य प्राणी का प्रभार है, लेकिन पिछले दिनों वन्य प्राणियों की मौत को लेकर विपक्ष जिस तरह सरकार पर हमलावर रहा, वह सुधीर अग्रवाल के लिए नकारत्मक हो गया। श्रीनिवास राव छह अफसरों को लांघ कर पीसीसीएफ बने हैं और जिस तरह वन विभाग में परिदृश्य है और लोकसभा चुनाव सिर पर है,उससे लगता है वे चलते रहेंगे। श्रीनिवास राव को कांग्रेस सरकार ने पीसीसीएफ बनाया था। इस कारण राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद उनको बदले जाने की अटकलें तेजी से चली।
सचिव स्तर पर फेरबदल संभव
माना जा रहा है कि मार्च के पहले हफ्ते में सचिव स्तर के अफसरों में फेरबदल हो सकता है। केंद्र सरकार से प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे 2005 बैच के आईएएस मुकेश बंसल ने मंत्रालय में ज्वाइनिंग दे दी है, पर अभी उनकी कहीं पोस्टिंग नहीं हुई है। 1994 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा अप्रैल में छत्तीसगढ़ में ज्वाइनिंग देंगी, पर 1999 बैच के सोनमणि बोरा और 2003 बैच के अविनाश चंपावत के मार्च में राज्य में ज्वाइनिंग की संभावना है। इस कारण मंत्रालय में सचिव स्तर में फेरबदल की अटकलें हैं। इसके अलावा कुछ मंत्री अपनी पसंद का सचिव चाहते हैं। कहते हैं जिले से आए कुछ आईएएस अभी बिना विभाग के हैं। इस फेरबदल में उन्हें भी काम दे दिए जाने की उम्मीद है। कयास लगाया जा रहा है कि सचिव स्तर के फेरबदल में दो या तीन विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे अफसर हल्के होंगे।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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