साल 1973, आज ही का दिन. मुबंई के मराठी परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ. नाम रखा गया सचिन, क्योंकि बच्चे के पिता को संगीतकार सचिन देव बर्मन बहुत पसंद थे. उस वक्त तक पिताजी भी नहीं जानते थे कि एक कलाकार के नाम पर जिस बच्चे का नाम रखा गया है, वो एक दिन अपनी कला से करिश्मा कर दिखाएगा.
सचिन तेंडुलकर का हुआ था जन्म
सचिन बड़े हुए तो इनके पिता ने इनका दाखिला क्रिकेट के ‘द्रोणाचार्य’ कहे जाने वाले रमाकांत आचरेकर के यहां करा दिया जिन्होंने सचिन की क्रिकेट प्रतिभा को अच्छी तरह से निखारा. सचिन को गेंदबाजी का भी शौक था. बल्लेबाज बनने से पहले वे तेज गेंदबाज ही बनना चाहते थे. गेंदबाजी सीखने के लिए एक ट्रेनिंग कैंप में गए जहां उन्हें कोच डेनिस लिली ने कहा कि तुम अपना पूरा ध्यान बल्लेबाजी पर ही लगाओ. बस फिर क्या था. सचिन ने बल्लेबाजी पर ऐसा ध्यान लगाया कि आज पूरी दुनिया उन्हें अपनी कला का भगवान मानती है.
15 नवंबर 1989 को पहली बार सचिन भारत के लिए टेस्ट मैच खेलने मैदान पर उतरे थे. उस वक्त वो सिर्फ 16 साल के थे. कराची के नेशनल स्टेडियम में खेले गए इस मैच में टीम इंडिया ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया. पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 409 रन बनाए थे, जिसके जवाब में टीम इंडिया 262 रन ही बना पाई. सचिन महज 15 रन ही बना पाए और इनस्विंग गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए. सचिन को आउट करने वाला गेंदबाज भी अपना पहला मैच खेल रहा था. गेंदबाज का नाम था वकार यूनुस.
अब बात 2013 की. सचिन अपने टेस्ट क्रिकेट की आखिरी पारी खेल रहे थे. दिन था 15 नवंबर. वेस्टइंडीज के खिलाफ इस टेस्ट मैच में सचिन 74 रन बनाकर मैदान से लौटे. अगले ही दिन उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. इसके साथ ही महान क्रिकेटर का 24 साल 1 दिन का टेस्ट क्रिकेट करियर खत्म हुआ.
गोरखा योद्धा ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े थे
भारतीय सेना के फील्ड मार्शल जनरल मानेक शॉ कहते थे कि ‘अगर कोई व्यक्ति कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता, तो वह झूठ बोल रहा है या फिर गोरखा है.’ अपनी बहादुरी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध गोरखा आज ही के दिन 1815 में ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े थे. ब्रिटिश सरकार ने आगे चलकर गोरखा योद्धाओं की अलग रेजिमेंट बनाई और आजादी के बाद गोरखा भारतीय सेना का हिस्सा बनें.
आजादी के बाद भारतीय सेना से जुड़े गोरखा
बात 1814 की है. भारत अंग्रेजों के कब्जे में था. अंग्रेज चाहते थे कि नेपाल पर भी उनका कब्जा हो जाए इसलिए अंग्रेजों ने नेपाल पर हमला कर दिया. करीब डेढ़-दो साल युद्ध चलता रहा. आखिरकार सुगौली की संधि हुई और युद्ध थमा. पूरे युद्ध में ब्रिटिश जनरल डेविड ओक्टलोनी गोरखा सैनिकों की बहादुरी से खासे प्रभावित हुए. उन्होंने सोचा कि इतने बहादुर सैनिकों को क्यों न ब्रिटिश सेना में भर्ती किया जाए? नेपाल से समझौते के बाद 24 अप्रैल 1815 को नई रेजिमेंट बनाई गई जिसमें गोरखाओं को भर्ती किया गया. इसके बाद से गोरखा ब्रिटिश सेना में भर्ती होते रहे. और आजादी के बाद गोरखा भारतीय सेना में शामिल हो गए.
पहली बार सेटेलाइट से टीवी सिग्नल भेजा
साल था 1962. जब पहली बार आज ही के दिन सेटेलाइट से टीवी सिग्नल भेजा गया था. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने खुद एक प्रसारण संदेश भेजकर टेलीविजन का इतिहास रचा था. सैटेलाइट प्रसारण का उपयोग करके अमेरिकी राष्ट्रीय टेलीविजन पर पहली बार प्रदर्शित की गई छवि, तीन अक्षरों का एक स्व-संदर्भित सेट था. इसके बाद तो टीवी हर दिन नई क्रांति लिखता गया. आज सैटेलाइट की मदद से दुनियाभर में हजारों चैनलों का टीवी पर प्रसारण होता है.
देश-विदेश में घटी इन घटनाओं के लिए भी 24 अप्रैल को याद किया जाता है-
2013: ढाका में बिल्डिंग गिरी जिससे लगभग 1129 लोगों की मौत हो गई और 2500 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
2005: पोप बेनेडिक्ट XVI ने रोमन कैथोलिक चर्च के नए लीडर का कार्यभार औपचारिक तौर पर संभाला। उन्होंने पोप जॉन पॉल II से ये जिम्मेदारी ली.
1998: भारतीय क्रिकेट टीम ने शारजाह में ऑस्ट्रेलिया को छह विकेट से हराकर कोका कोला कप जीता।
1990: हबल स्पेस टेलीस्कोप को पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया गया. पृथ्वी के वायुमंडल की अशुद्धियों से दूर 2.4 मीटर एपर्चर वाला ये टेलीस्कोप अब तक ब्रह्मांड के कई अनदेखे रहस्यों को सामने ला चुका है.
1957: स्वेज नहर को स्वेज संकट के बाद खोला गया. इजिप्ट के फ्रांस, यूके और इजरायल के साथ हुए विवाद के बाद इसे अक्टूबर 1956 में बंद कर दिया गया था. इजिप्ट ने इस नहर को नेशनलाइज्ड किया और ये बंद हो गई थी. हाल ही में एक बड़ा जहाज फंस जाने की वजह से भी स्वेज नहर बंद हुई थी.
1926: आज के ही दिन ट्रीटी ऑफ बर्लिन साइन की गई थी.