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आज का इतिहास 10 मई : आज ही के दिन 1994 में दक्षिण अफ्रीका को पहला अश्वेत राष्ट्रपति मिला था

इतिहास में 10 मई का दिन कई घटनाओं का गवाह है. 10 मई 1994 वो तारीख जब दक्षिण अफ्रीका को पहला अश्वेत राष्ट्रपति (first black president) मिला था. नाम था नेल्सन मंडेला(Nelson Mandela). मंडेला ने 27 साल जेल में रहकर अफ्रीका में रंगभेदी नीतियों के खिलाफ लड़ाई (fight against apartheid policies) लड़ी. तब जाकर देश मे श्वेत-अश्वेत के बीच की खाईं पट पाई. 18 जुलाई 1918 को जन्मे मंडेला दक्षिण अफ्रीका की क्रांति (South African revolution) के जनक माने जाते हैं. लोग प्यार से उन्हें मदीबा कह कर बुलाते थे. उनकी सरकार ने सालों से चली आ रही रंगभेद की नीति को खत्म करने और इसे अफ्रीका की धरती से बाहर करने के लिए भरपूर काम किया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को एक नए युग में प्रवेश कराया. साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ‘मंडेला दिवस’ (‘Mandela Day’) के रूप में घोषित किया. भारत सरकार ने 1990 में मंडेला को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (‘Bharat Ratna’) से भी सम्मानित किया साथ ही 1993 में उन्हें शांति का नोबेल (nobel of peace) भी दिया गया. बता दें भारत में जो सम्मान महात्मा गांधी को मिलता है, उतना ही सम्मान दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला को मिलता है.

इतिहास के दूसरे अंश में बात एक ऐसी क्रांति के बारे में करेंगे जिसने भारत में पहली बार ब्रिटिश हुकूमत की नींव को खोखला कर दिया. जी हां हम बात कर रहे हैं 1857 की क्रांति (Revolution of 1857) की जिसकी शुरुआत आज यानी 10 मई से शुरू हुई थी. ये वहीं दिन था जब मेरठ की तीनों रेजिमेंट के सिपाहियों ने बगावत (Soldiers of all three regiments of Meerut rebelled) का झंडा उठाकर दिल्ली कूच कर दिया था. इसमें मह‍िलाओं ने भी सहयोग दिया. ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे दबाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. क्रांति के इस आगाज़ का नेतृत्व अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर (bahadurshah zafar) ने किया था. वहीं नाना साहब, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे समेत कई बड़े नाम इसमें शामिल हुए थे. भले ही ये क्रांति सफल नहीं हो सकी लेकिन इसने भारत में अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला कर रख दी.

इतिहास के तीसरे अंश में बात एक ऐसे द्वीप की करेंगे जिसे वास्तव में क्रिस्टोफर कोलंबस (christopher columbus) ने खोजा था. इस द्वीप का नाम था ‘कायमान द्वीप’ (‘Cayman Island’). 10 मई साल 1503 यूरोपीय खोजकर्ता कोलंबस ने इसे पहली बार देखा था. कहा जाता है कि इसकी खोज एक अप्रत्याशित हवा के कारण हुई थी जिसने कोलंबस के जहाज को रास्ते से भटका दिया था. नई दुनिया की अपनी चौथी और अंतिम यात्रा पर, कोलंबस हिस्पानियोला द्वीप (हैती और डोमिनिकन गणराज्य के बीच) के रास्ते में था, जब उसका जहाज “कछुओं से भरे दो बहुत छोटे और निचले द्वीपों” की ओर बढ़ रहा था. देखे गए इस द्वीपों को ‘कायमान द्वीप और लिटिल कायमान कहा गया. बाद में साल 1523 में इन द्वीपों को मानचित्र में भी दिखाया गया.

देश-दुनिया में 10 मई का इतिहास
2011ः सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग की साजिश रचने वालों और हत्यारों के लिए मृत्युदंड की सिफारिश की। इसे बर्बर करार दिया.

1972: अमेरिका ने नेवादा में परमाणु परीक्षण किया.

1959: सोवियत सेना अफगानिस्तान पहुंची.

1945: रूसी सेना ने चेक गणराज्य की राजधानी प्राग पर कब्जा किया.

1916: नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टरडम में ऐतिहासिक शिप पोर्ट संग्रहालय खोला गया.

1796: नेपोलियन ने लोदी ब्रिज के युद्ध में आस्ट्रिया को हराया.

1655: ब्रिटिश सेना ने जमैका पर कब्जा किया.

1526: पानीपत की लड़ाई जीतने के बाद मुगल शासक बाबर आगरा पहुंचा.

1503: इटली के खोजकर्ता और नाविक कोलंबस ने कायमान द्वीप की खोज की.

1427: यूरोपीय शहर स्विट्जरलैंड के बर्न शहर से यहूदियों को निष्कासित किया गया.

 

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