Close

डॉ अवधेश पटेल ने मध्यस्थ दर्शन आधारित विषय पर सिंगापुर यूनिवर्सिटी में पढ़ा रिसर्च पेपर

० सिंगापुर में सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर आयोजित हुआ इंटरनेशनल कांफ्रेंस

० नीड ऑफ कॉन्शियसनेस डेवलपमेंट वैल्यू एजुकेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर सिंगापुर में पढ़ा गया रिसर्च पेपर

० सस्टेनेबल डेवलपमेंट आधारित 82 रिसर्च पेपर सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी में पढ़े गए

रायपुर। सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी, सिंगापुर में आयोजित 29 और 30 मई को इंटरनेशल कांफ्रेंस में बेमेतरा समाधान महाविद्यालय से डॉ अवधेश पटेल, डॉ अलका तिवारी और अविनाश तिवारी, संचालक समाधान महाविद्यालय सम्मिलित हुए। इस इंटरनेशनल कांफ्रेंस के आयोजक श्री औरोविंदो योग एंड नॉलेज फाउंडेशन, मेगाफोर्ट, सिंगापुर, सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी, दिल्ली और नॉलेज पार्टनर शंकराचार्य प्रोफेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, रायपुर थे। इस कांफ्रेंस का विषय था इकोनॉमी, इकोलॉजी एंड इक्विटी इन द लाइट ऑफ धार्मिक प्रिंसिपल्स, कल्चर कंजरवेशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट। इस कांफ्रेंस में भारत, मलेशिया, बांग्ला देश और सिंगापुर से प्रतिभागी सम्मिलित हुए। भारत देश से सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी के अलग अलग कई राज्यों के प्रोफ़ेसर, रजिस्ट्रार, वाइस चांसलर शामिल हुए।

इस कांफ्रेंस में बेमेतरा समाधान महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ अवधेश पटेल ने “नीड ऑफ कॉन्शियसनेस डेवलपमेंट वैल्यू एजुकेशन बेस्ड ऑन मध्यस्थ -दर्शन “सहअस्तित्ववाद” फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट” विषय पर अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया और बताया कि 2015 से 193 देश जिस सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वैश्विक लक्ष्य के लिए एकत्र हुए हैं और सतत विकास के जिन सत्रह (17) लक्ष्यों के लिए सहमत हुए हैं उन सभी लक्ष्यों को मध्यस्थ दर्शन सह अस्तित्ववाद आधारित चेतना विकास मूल्य शिक्षा के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। यह दर्शन ढाई हजार साल बाद एक नया दर्शन मानव जाति को मिला है जिसके प्रणेता ए नागराज , अमरकंटक हैं। इस दर्शन से सार्वभौमिक मानवीय शिक्षा, सार्वभौमिक मानवीय संविधान, सार्वभौमिक मानवीय आचरण, सार्वभौमिक मानवीय व्यवस्था का व्यावहारिक स्वरूप व्याख्यायित होता है। यह व्यावहारिक, तार्किक, वैज्ञानिक, सार्वभौमिक दर्शन है जिसमें प्रकृति सहज सार्वभौमिक नियमों का प्रतिपादन श्रद्धेय ए नागराज जी ने किया है।

और इसे शिक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी मानते हुए एआईसीटीई ने इंजीनियरों कॉलेजों में, एससीईआरटी दिल्ली ने हैप्पीनेस करिकुलम के रूप में, नेपाल महानगरपालिका ने हाम्रो खुशी पाठ्यक्रम के रूप में, इसके कुछ अंश को लागू किया है और बहुत से शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाएं इसे अपने स्तर में परिचय और अध्ययन, अभ्यास का कार्य करवा रहे हैं। जिसका सकारात्मक परिणाम संबंधों में तृप्ति और प्रकृति के साथ संतुलन पूर्वक जीने के अभ्यास के रूप में दिखाई दे रहा है। इस दर्शन में और भी गहराई से शोध की आवश्यकता है। कांफ्रेंस में शामिल होने गए प्रतिभागी डॉ अलका तिवारी और अविनाश तिवारी ने बताया कि सिंगापुर केवल बेहतर टूरिस्ट प्लेस ही नहीं अपितु उच्च स्तरीय शिक्षा का हब भी है। इस दौरान एशिया के सबसे बड़े लाइब्रेरी का विजिट भी किए। इस कांफ्रेंस में जेरेड क्यूक जियान ज़ी जो कि सिंगापुर में रहते हैं और उनके पास ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भारतीय दर्शन, ईसाई धर्मशास्त्र और व्यवसाय प्रशासन में विशेषज्ञता वाली दो स्नातकोत्तर डिग्रियां हैं। वह शिक्षा क्षेत्र में काम करते हैं और उन्हें नए स्पिरिचुअल एआई सिस्टम की इंजीनियरिंग आधारित महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।

इस कांफ्रेंस में  औरोविंदों योग एंड नॉलेज फाउंडेशन के ट्रस्टी एवं कांफ्रेंस के मुख्य आयोजक डॉ एस एम घोष, डॉ इंद्राणी घोष, डॉ किरणबाला पटेल, इंजीनियर सिस्टर शुभांगी, डॉ नीलाभ तिवारी, भोपाल, डॉ मनोग्या, हिमाचल प्रदेश संस्कृत यूनिवर्सिटी, केंद्रीय संस्कृति यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ प्रोफेसर श्रीनिवास वेंखेड़ी , रजिस्ट्रार डॉ मुरलीकृष्ण, शंकराचार्य प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट से डॉ नवीन जैन जी, डायरेक्टर मेगाफोर्ट प्राइवेट लिमिटेड सिंगापुर मिस्टर टॉम सैम्होन, (प्रोफेसर नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर), शिक्षाविद लाई फन, सिंगापुर, लिली, फाउंडर एबिलिटी, डॉ जयंती रामचंद्र, प्रिंसिपल मिराम्बिका स्कूल, दिल्ली, की नोट स्पीकर डॉ हबीब उल्लाह ख़ान, एक्स प्रोफेसर नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, रहे। इस इंटरनेशनल कांफ्रेंस में 82 अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र पढ़े गए।

scroll to top