० देश की आजादी में महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के योगदान कभी नही भूल सकता : महेन्द्र नेताम
गरियाबंद।आदिवासी समाज युवा प्रभाग द्वारा आज महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की शहादत दिवस तहसील मुख्यालय मैनपुर से 03 किलोमीटर दुर ग्राम जाडापदर मुख्य चौक मे मनाई गई सर्वप्रथम आदिवासी समाज के प्रमुख लोगो ने बिरसा मुंडा के छायाचित्र की पूजा अर्चना आदिवासी रीतिरिवाज अनुसार किया और उनके योगदान को याद करते हुए उनके बताये रास्तो पर चलने का संकल्प लिया और जूलुस निकालकर गांव का भ्रमण किया गया इस दौरान आदिवासी एकता जिंदाबाद, बिरसा मुंडा अमर रहे जैसे गगनभेदी नारे लगाये गये, पश्चात विशाल सभा का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में सैकडो की संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गरियाबंद जिले के वरिष्ठ आदिवासी नेता महेन्द्र नेताम ने कहा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के योगदान को भारत देश कभी नही भूल सकता उन्होने जिस वीरता के साथ अंग्रेजो के साथ लड़ाई लड़ी है और भारत को अ्रग्रेजो के गुलामी से मुक्त कराने मे उनके योगदान को नही भूला जा सकता, श्री नेताम ने आगे कहा आदिवासी मांगता नही है बल्कि अपने अधिकार के प्रति सजग रहकर उसे छीन लेता है, आज के युवा पीढ़ी को महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के बारे मे और अधिक जानने और समझने की जरूरत है।
आदिवासी युवा नेता नेयाल नेताम ने कहा बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड प्रदेश के रांची के उलीहातू गांव मे हुआ था 1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप मे सभी मुंडाओ को एकत्र कर उन्होने अंग्रेजो से लगान माफी के लिये आंदोलन किया 1895 मे उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन बिरसा और उनके शिष्यो ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करना ठान रखी थी और अपने जीवन काल मे एक महापुरूष का दर्जा पाया, श्री नेताम ने आगे कहा अंग्रेज सरकार ने विद्रोह का दमन करने के लिये 3 फरवरी 1900 को मुंडा को गिरफ्तार कर लिया जब वे अपनी आदिवासी गुरिल्ला सेना के साथ सो रहे थे उस समय 460 आदिवासियो को भी उनके साथ गिरफ्तार कर लिया गया 9 जून 1900 को वे शहीद हो गये, उन्होने आगे कहा आज हम सभी को महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के बताये रास्ते पर चलने की जरूरत है,
महिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रियंका कपील ने कहा महान क्रांतिकारी बिरसा मुड़ा एक आदिवासी नेता और लोक नायक थे, आदिवासियो को अंग्रेजो के दमन के विरूद्ध खड़ा करके बिरसा मुड़ा ने यह सम्मान अर्जित किया था, 19वीं सदी में बिरसा भारतीय स्वतंत्र आंदोलन के इतिहास मे एक मुख्य कड़ी साबित हुए थे, उन्होने आगे कहा आदिवासियो को आज अपने अधिकारो के लिए संघर्ष करने की जरूरत है साथ ही शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, श्रीमती कपील ने बिरसा मुंडा के शहादत को याद करते हुए समाज के युवाओं को उनके बताए रास्तों पर चलने का आह्वान किया।
आदिवासी नेता बलिराम ठाकुर ने कहा कि बिरसामुंडा एक महान क्रांतिकारी थे जिन्होने ब्रिटिश हुकुमत को हिलाकर रख दिया और आदिवासियांे के जल जंगल जमीन के लिए संघर्ष किया देश के आजादी मंे बिरसा मुंडा के योगदान को कभी नही भूला जा सकता इस दौरान आदिवासी समाज के लोगो ने विशाल जूलुस निकाली और पुरे गांव का भ्रमण किया तथा मैनपुर जिडार चौक में भी शहादत दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस मौके पर प्रमुख रूप से आदिवासी नेता महेन्द्र नेताम, प्रताप मरकाम, नारायण नेताम, युवराज नेताम, बलिराम ठाकुर, पदम लाल नेताम, परमेश्वर मरकाम, गौकरण नागेश, सुभाष मरकाम, लीना नेताम, लालसिंह नेताम, थजुंलता नेताम, रोमन नेगी, बिसेसर, प्रियंका कपील, राहुल कोमर्रा, बेतरीन नेताम, दौलत नेताम, गगन नेगी, डोमार ओंटी, गेंदु यादव, श्रवण नेताम, उपासीन बाई नागेश, युवा प्रभाग जाडापदर से नेयाल नेताम, चौपाल नेताम, मनोज नेताम, चौहान सिंह, टीकम धु्रव, भावेश आंेटी, भागवत धु्रव, लेखराज नेताम, मिथलेस नागेश, डिगनेश्वर धु्रव, ओंम ठाकुर, कुंदन धु्रव, खेवेन्द्र नागेश, चैनसिंह नागेश, रेखराज धु्रव, तेजमल धु्रव, डोलेश्वर धु्रव, मयंक , दुर्गम धु्रव सहित सैकडो की संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन आदिवासी युवा नेता सुभाष मरकाम ने किया।