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छत्‍तीसगढ़ के इस मंदिर में होते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जानिए इतिहास और महत्‍व

रायपुर। राजनांदगांव में राष्ट्रीय राजमार्ग-56 में स्थित श्री बागेश्वर महादेव सिद्धपीठ मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। इसे पंचमुखी बागेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। स्वर्ण आभा से दमकते इस मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है। इस मंदिर में पूरे सावन माह और महाशिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बागेश्वर मंदिर ट्रस्ट द्वारा पवित्र सावन मास में अनुष्ठान किए जाते हैं। इसके साथ ही यहां से कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है।

शिव मंदिर का इतिहास
मंदिर की स्थापना 1947 को हुई थी। पहले इस मंदिर का रंग सिल्वर कलर में था। 75 वर्ष पूर्ण होने पर इसे सुनहरे रंग में बदल दिया गया। मंदिर के पिछले हिस्से में बगीचा भी है, जहां बाहर से आने वाले श्रद्धालु आराम करते थे। 75 वर्ष पूर्ण होने पर मंदिर को आकर्षक रूप में सजाया गया है। यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र गोल्डन बागेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर में प्रतिदिन सुबह से दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यहां आसपास जिले के लोग भी पहुंचते हैं।

बागेश्वर महादेव मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग
मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है। मंदिर में नाग-नागिन का जोड़ा भी है, जो कभी-कभी श्रद्धालुओं को दर्शन देता है। यह प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान भोलेनाथ को रुद्राभिषेक कर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

पंचमुखी बागेश्वर मंदिर के ट्रस्टी सूरज गुप्‍ता ने बताया, भगवान शिव ही ऐसे कृपालु हैं जो एक लोटा जल अर्पण से ही प्रसन्न होकर भक्तों की पर कृपा दृष्टि बरसा देते हैं। सावन व महाशिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक कर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन माह में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है। जिसमें बड़ी संख्या में शिवभक्त शामिल होते हैं।

बागेश्वर महादेव मंदिर के श्रद्धालु शेष कुमार साहू ने कहा, छह वर्षाें से नियमित पंचमुखी बागेश्वर मंदिर आ रहा हूं। मंदिर में भगवान भाेलेनाथ की पूजा-अर्चना करने के बाद मन को काफी सुकुन मिलता है। भगवान भोलेनाथ भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। हर वर्ष सावन व महाशिवरात्रि में कराए जाने वाले रुद्राभिषेक भी शामिल होता हूं।

 

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