हरियाली तीज हर साल सावन माह में मनाई जाती है। इस दिन सुहागन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। यह व्रत पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए रखा जाता है। इस व्रत में कठिन नियमों का पालन करना होता है। इस बार हरियाली तीज की तारीख को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बन रही है क्योंकि तृतीया तिथि 6 और 7 अगस्त दोनों दिन है। हालांकि ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, तीज का व्रत 7 अगस्त को मनाया जाएगा।
6 और 7 की दुविधा यूं खत्म करें :
हरियाली तीज के लिए जरूरी सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त को शाम 07:52 से शुरू होगी और 7 अगस्त को रात 10:05 तक मान्य होगी। 6 अगस्त को तृतीया तिथि रात के समय में लग रही है, इस वजह से उस दिन तीज का व्रत नहीं रखा जाएगा क्योंकि इसके लिए उदयातिथि की मान्यता होती है। तृतीया की उदयातिथि 6 अगस्त को न होकर 7 अगस्त को है। उदयातिथि की गणना सूर्य के उदय से जुड़ी है। तृतीया तिथि में सूर्योदय 7 अगस्त को सुबह 5:46 पर हो रहा है, इसलिए हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी।
हरियाली तीज पर 3 शुभ योग :
इस साल हरियाली तीज के अवसर पर तीन शुभ योग बनेंगे। हरियाली तीज के दिन परिघ योग, शिव योग और रवि योग बना है। उस दिन रवि योग रात 8 बजकर 30 मिनट से लेकर अगले दिन 8 अगस्त को सुबह 5 बजकर 47 मिनट तक है। वहीं परिघ योग प्रात: काल से लेकर सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक है और उसके बाद शिव योग लगेगा। शिव योग अगले दिन पारण तक रहेगा।
राहुकाल में न करें पूजा :
हरियाली तीज के दिन राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। हरियाली तीज पर राहुकाल दोपहर में 2:06 बजे से 3:46 बजे तक रहेगा।
हरियाली तीज में इन बातों का रखें ध्यान :
1. हरियाली तीज में व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व सरगी खाते हैं। फिर सूर्योदय के साथ ही निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाएगा। सरगी के समय ही ठीक से पानी पी लें।
2. यदि आपकी सेहत ठीक नहीं है तो आपको निर्जला व्रत करने से बचना चाहिए। यह आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
3. हरियाली तीज व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा के समय माता गौरी को श्रृंगार की सामग्री जरूर अर्पित करें।
4. पूरे व्रत में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें।
शादी के बाद की पहली तीज है खास :
हरियाली तीज की पूजा दोपहर बाद ही होती है। इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, जो कि जरूरी रस्म होती है। इसके अलावा घेवर खाती हैं। असल में इस पर्व का नाम मधुश्रवा हरियाली तीज है। यह नाम इसीलिए पड़ा कि इसमें मधु टपकता है। मिष्ठान्न खाने को मिलते हैं। खासकर नवविवाहिता की पहली तीज पर खास आयोजन होता है। ससुराल से उसके लिए सिंधारा आता है। इसमें घेवर, फेनी, कपड़े, मिष्ठान्न, फल आदि आते हैं।