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सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं इस अद्भुत मंदिर के कपाट, मंदिर के खुलते ही दिखे 12 नाग-नागिन के जोड़े

 

नर्मदापुरम। 46 साल पुराना एक मंदिर कोठी बाजार की चौराहे वाली गली में है. इस मंदिर की खासियत ये है कि यह सिर्फ नागपंचमी पर ही खुलता है. इस मंदिर को चोरे परिवार द्वारा खोला जाता है. 46 वर्ष पहले उनके पिता प्रकाश चोरे ने इस मंदिर को बनवाया था. यह मंदिर महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर की तरह साल में सिर्फ एक बार ही खोला जाता है. इस मंदिर में शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित है.

साथ ही आसपास 12 नाग-नागिन के जोड़ों को स्थापित किया गया है. 46 साल से इस मंदिर के द्वार हमारे परिवार द्वारा ही खोले जाते हैं. नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर भगवान का अभिषेक कर श्रृंगार चढ़ाया जाता है. इस मंदिर के दर्शन करने शहर तथा आसपास से लोग बड़ी संख्या में आते हैं. मंदिर को मुहूर्त के अनुसार अमृत, शुभ, लाभ इन मुहूर्त में सुबह 4:00 बजे खोला जाएगा. इसके बाद सफाई कर सुबह 7:00 बजे नागेश्वर श्रवण और चेतन पंडित द्वारा भगवान का अभिषेक कर सिंदूर चोला चढ़ाया जाता है. रात्रि 12:00 बजे पुनः इस मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं.

12 जोड़े मूर्तियां स्थापित
नागचंद्रेश्चर मंदिर में 12 नाग-नागिन के जोड़ों की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है. मंदिर खुलते ही इन जोड़ों को स्नान कराकर यहां पूजन अर्चन कर सिंदूर चढ़ाया जाता है. इसमें जरत्कारू (अनन्त), जगदुगौरी (वनसुकि), मनसा (शंखपाल), सिद्धयोगिनी (पद्म), वैष्णवी (कम्बल), नागभागिनी (ककौटक), शैवी (अश्वत्तर), नागेश्वरी (धतृराष्ट्र), जरत्कारूप्रिया (शेषनाग), आस्तीकमाती (कालिया), विशहारा (तक्षक), महाज्ञानयुक्ता (पिंगल) की मूर्ति वनी हुई है.

नागपंचमी पर सरल पूजन विधि
नागों को अपने जटा जूट तथा गले में धारण करने के कारण ही भगवान शिव को काल का देवता कहा गया है. इस दिन गृह-द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर अथवा सर्प का चित्र लगाकर उन्हें घी, दूध, जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद दही, दूर्वा, धूप, दीप एवं नील कंठी, बेलपत्र और मदार-धतूरा के पुष्प से विधिवत पूजन करें. फिर नागदेव को धान का लावा, गेहूं और दूध का भोग लगाना चाहिए.

 

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