पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए तर्पण किया जाता है। पितृपक्ष में किसी भी सांसरिक कार्य की मनाही होती है। जैसे, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश और नामकरण जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इसके साथ ही पितृपक्ष में खरीदारी करने को भी शुभ नहीं माना जाता। पितृपक्ष के दौरान नए कपड़े, आभूषण, संपत्ति, जमीन, वाहन, घर आदि खरीदना वर्जित माना जाता है लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष में भी ऐसा संयोग बनता है, जब आप खरीदारी कर सकते हैं। आइए, जानते हैं इस साल पितृपक्ष में आप किस-किस दिन खरीदारी कर सकते हैं।
पितृपक्ष में खरीदारी क्यों नहीं की जाती
पितृपक्ष में खरीदारी करने के पीछे सभी के अपने-अपने तर्क होते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि पितृपक्ष के 15 दिन पितरों के नाम होते हैं, इसलिए इन दिनों में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और उनकी स्तुति करनी चाहिए। जिससे कि हमारे पितरों को पता चल सके कि हमारे जीवन में उनका कितना महत्व है। सांसरिक चीजों में लगे रहने से हम पितरों का सही तरीके से मान-सम्मान या तर्पण नहीं कर पाते, इसलिए पितृपक्ष में नई चीजें न खरीदकर पूरा समय उनके लिए समर्पित किया जाता है।
पितृपक्ष में खरीदारी किस दिन कर सकते हैं खरीदारी
आपका मन अगर पितृपक्ष में किसी चीज की खरीदारी करने का है, तो आप पितृपक्ष में 23, 26 सितंबर और 2 अक्टूबर को खरीदारी कर सकते हैं। 23 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जबकि 26 सितंबर को गुरुपुष्य योग का निर्माण हो रहा है लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि 26 सितंबर को खरीदारी का मुहूर्त रात्रि 11:30 बजे के बाद है, इसका अर्थ यह है कि अगला दिन शुरू होने से पहले आपको कम समय में ही खरीदारी करनी होगी। वहीं, 2 अक्टूबर को फिर से सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। पितृपक्ष में इन तीनों ही दिनों में आप नई चीजों की खरीदारी कर सकते हैं।
पितृपक्ष में सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरुपुष्य योग का महत्व
सर्वार्थ सिद्धि योग को इसलिए विशेष माना जाता है क्योंकि जब क्रय-विक्रय, यात्रा, आभूषण की खरीदारी सम्भव न हो, तो सर्वार्थ सिद्धि योग में इन कार्यों को किया जा सकता है, इसलिए पितृपक्ष में सर्वार्थ सिद्धि योग बनने से खरीदारी की जा सकती है। वहीं, गुरु पुष्य योग में इस दिन किए गए कार्यों में सफलता और शुभता की संभावना बढ़ जाती है। गुरु पुष्य योग में सोना, नया घर खरीदना या किसी भी अन्य चीज की खरीदारी शुभ मानी जाती है।