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कही-सुनी (03 NOV-24) : निगम-पंचायत चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में सर्जरी संभव

रवि भोई की कलम से

भाजपा के अंदरूनी हलकों में चर्चा है कि नगर-निगम और पालिकाओं के साथ पंचायत चुनाव निपटने के बाद विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल होगा। कहा जा रहा है कि कम से कम छह नए चेहरे आ सकते हैं। नए चेहरों में पुराने विधायकों की लाटरी लगने की खबर है। साय मंत्रिमंडल में अभी दो मंत्री पद खाली हैं। छह नए चेहरे लेने की स्थिति में चार की छुट्टी तय मानी जा रही है। हरियाणा का फार्मूला लागू किया गया तो यहां भी मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री बन सकते हैं। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं , फिर भी मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री हैं। छत्तीसगढ़ में 90 सीटों पर मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री हैं। संभावना है कि निगम-पंचायत चुनाव दिसंबर-जनवरी में हो जाएगा। तब तक साय सरकार को एक साल पूरे भी हो जाएंगे। कहा जा रहा भाजपा नए विधायकों को मंत्री बनाकर साफ़-सुथरी सरकार की छवि पेश करना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। तहसीलदारों के तबादलों के मामले में हो या फिर दवा कंपनियों को भुगतान को लेकर सरकार पर छीटें पड़ गए। पहली बार के कुछ मंत्रियों के परफॉर्मेंस को लेकर भी कोई अच्छी रिपोर्ट नहीं आ रही है। मंत्री बनने वालों में अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, पुरंदर मिश्रा, गजेंद्र यादव के नाम की चर्चा है।

मंत्रियों के कामकाज चर्चा में

छत्तीसगढ़ सरकार के कम से कम आधे दर्जन मंत्रियों के कामकाज चर्चा में हैं। कुछ मंत्री पिछली भाजपा सरकार में सुर्ख़ियों में रहे स्टाफ से अपने को दूर नहीं रख पा रहे हैं, तो कुछ एक-दो लोगों के जाल में फंस गए हैं। तेजतर्रार माने जाने वाले एक मंत्री जी की एक व्यक्ति पर निर्भरता आजकल चर्चा में है। ये व्यक्ति मंत्री जी के विभागों पर पूरी तरह हावी हो गए हैं। कहते हैं मंत्रीगण मेरिट को छोड़कर हर काम अपने हिसाब से लोगों को देना चाहते हैं, यहां तक राज्योत्सव के छोटे-छोटे स्टाल भी। मंत्रीगण के रवैये से अफसरों ने हथियार डाल दिया है और विभागों के कामकाज में कई अफसरों ने रूचि लेना बंद कर दिया है। बताते हैं कुछ मंत्रियों और उनके स्टाफ के कामकाज की चर्चा दिल्ली दरबार में भी होने लगी है।

कलेक्टरों में हेरफेर की अटकलें

चर्चा है कि अगले कुछ हफ्तों में कई जिलों के कलेक्टर इधर-उधर हो सकते हैं। इसमें सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के कलेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। भूपेश बघेल के शासनकाल में जिले में कलेक्टर के तौर पर पदस्थ एक साहब विष्णुदेव साय के राज में भी करीब 11 महीने काट चुके हैं। कांग्रेस शासन में पदस्थ कलेक्टरों को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इधर-उधर किया था। अब उनको भी फील्ड से हटाए जाने की ख़बरें उड़ रही है। कहा जा रहा है कि मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालय में पदस्थ कुछ अफसरों को जिलों में भेजा जा सकता है। कहा जा रहा है कि कुछ पुराने अफसर भी कलेक्टर बनने की जुगत में हैं।

निःशक्तजन कमिश्नर को लेकर पेंच

कहते हैं बड़ी अदालत की फरमान पर राज्य सरकार ने निःशक्तजन आयुक्त किसी स्वतंत्र व्यक्ति को बनाने का कानून तो ले आई है, पर प्रमुख सचिव स्तर के अफसर को ही बनाए जाने के प्रावधान से पेंच फंस गया है। कहा जा रहा है कि अभी छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड अफसरों में अधिकांश सचिव स्तर के हैं। प्रमुख सचिव स्तर से रिटायर्ड अफसर 65 साल की उम्र सीमा को पार कर चुके हैं। सचिव स्तर के पद से रिटायर कुछ आईएएस निःशक्तजन आयुक्त के लिए हांथ-पांव चलाया, पर मामला रैंक पर अटक गया। अभी निःशक्तजन आयुक्त समाज कल्याण विभाग के सचिव ही हैं। निःशक्तजन कमिश्नर को कोर्ट की शक्तियां होंगी।

आईएएस का पद से मोह

कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक आईएएस ने तबादले के एक हफ्ते बाद भी नए अफसर को चार्ज नहीं दिया है। बताते हैं कि स्वास्थ्य महकमा का इकाई संभाल रहे अफसर ने छुट्टी ले ली है। खबर है कि आईएएस ने पहले दो दिन की छुट्टी ली, फिर बढ़ाते गए। अब अगले हफ्ते छुट्टी से लौटने की संभावना है। नए साहब चार्ज लेने के लिए उनके आने का इंतजार कर रहे हैं। बताया जाता है जाने वाले अफसर आने वाले अफसर से सीनियर हैं, इसलिए भी मामला फंसा है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े संस्थान से स्थानन्तरित आईएएस पिछले कुछ दिनों से सुर्ख़ियों में थे। कर्मचारियों ने खुले आम उनका विरोध किया था। एक आईएएस से उनकी नोंकझोंक भी हो गई थी।

सुर्ख़ियों में सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के कुलपति डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं। डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह के चर्चा में रहने का बड़ा कारण एक स्नातक कालेज के प्राध्यापक के पद से सीधे कुलपति के पद पर बैठना है। डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह की नियुक्ति सरगुजा विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर धारा 52 के तहत हुई है, जिसमें सारी शक्तियां कुलपति के पास है। फिलहाल कार्यपरिषद अस्तित्व में नहीं है। आमतौर पर धारा 52 में कुलपति का प्रभार संभागीय आयुक्त या विश्वविद्यालय के किसी डीन को सौंपने की परंपरा रही है। डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह एक साल के लिए सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए गए हैं। कहते हैं कई सीनियर प्राध्यापक अब डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह के मातहत हो गए हैं। डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह सांसद चिंतामणि महाराज की पसंद बताए जाते हैं।

एक आदेश ऐसा भी

छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल का एक आदेश बड़ी चर्चा में है। इस आदेश में अनुमोदन देने और आदेश जारी करने वाले अधिकारी का पद नाम एक ही है। कहते हैं इस आदेश के माध्यम से अपनी सीमा को लांघकर काम करने वाले एक अधिकारी को निलंबित किया गया है। अब सवाल उठ रहा है कि निलंबन आदेश जारी करने से पहले अधिकारी को अपने से अनुमोदन क्यों लेना पड़ा? जिस अधिकारी को निलंबित किया गया है, सालों से वहीं पदस्थ थे।

ग्वालियर में संघ की बैठक के मायने

कहते हैं कि दीपावली के मौके पर ग्वालियर में आरएसएस की एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही है। इस बैठक में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पूर्णकालिक प्रचारक खासतौर से उपस्थित हैं । बताते हैं यह इस बैठक में भाग लेने के लिए प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री पवन साय रायपुर से ग्वालियर गए हैं, तो राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष दिल्ली से पहुंचे हैं। बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा होने की बात कही जा रही है, साथ में कुछ रणनीतिक फैसले भी होने वाले हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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