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हरेली पर्व: दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन में सावन की हरियाली और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक खुशबू का दिखा संगम

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दिल्ली। नई दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ भवन में आज सावन की हरियाली और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक खुशबू का अनुपम संगम देखने को मिला, जब हरेली पर्व पूरे उल्लास और परंपरा के साथ मनाया गया। राजधानी के हृदय में बसे इस भवन के परिसर ने आज मानो गाँव की मिट्टी, लोकगीतों और हरियाली की आत्मा को खुद में समेट लिया।

इस विशेष अवसर पर आवासीय आयुक्त श्रुति सिंह के नेतृत्व में भवन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर न केवल सांस्कृतिक परंपरा को जीवंत किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। कार्यक्रम की शुरुआत पौधारोपण से हुई, जिसमें सभी ने अपने हाथों से एक-एक पौधा रोपकर धरती को हरियाली की सौगात दी।

श्रुति सिंह ने इस मौके पर कहा, “हरेली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ हमारी साझेदारी का उत्सव है। छत्तीसगढ़ भवन इसे केवल सांस्कृतिक परंपरा के रूप में नहीं, एक पर्यावरणीय जिम्मेदारी के रूप में भी निभा रहा है।”

हरेली, छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार माना जाता है, जो सावन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व किसान, खेत, पशुधन और कृषि उपकरणों के प्रति सम्मान प्रकट करने का प्रतीक है। आमतौर पर ग्रामीण अंचलों में इस दिन किसान हल-बैल की पूजा करते हैं, पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है और बच्चे ‘गेड़ी’ चढ़ते हैं। यह त्योहार न केवल प्रकृति से जुड़ने का अवसर है, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा, कृषि संस्कृति और लोक जीवन की झलक भी है।

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