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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज आएंगी छत्तीसगढ़,राज्यपाल और सीएम अंबिकापुर में करेंगे आगवानी

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अंबिकापुर। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राज्य के विशेष दौरे पर अंबिकापुर पहुंच रही हैं। यह दौरा जनजातीय समुदायों की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जहाँ हजारों लोगों की उपस्थिति की संभावना जताई जा रही है।

रायपुर से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और राज्यपाल रमेन डेका आज अंबिकापुर के लिए रवाना हुए। रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अंबिकापुर मां महामाया की नगरी है और आज वहीं जनजातीय गौरव दिवस का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उन्होंने इसे सौभाग्य की बात बताते हुए कहा कि देश की राष्ट्रपति खुद इस कार्यक्रम में शामिल होने आ रही हैं।

सुबह 11 बजे अंबिकापुर पहुंचेंगी राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मू सुबह 11 बजे अंबिकापुर पहुंचेंगी और सीधे कार्यक्रम स्थल जाएँगी। राज्य सरकार द्वारा आयोजित मुख्य समारोह में राष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंच साझा करेंगे। उनके अलावा राज्यमंत्री दुर्गा दास उइके और तोखन साहू भी उपस्थित रहेंगे, जिससे कार्यक्रम की राजनीतिक और सामाजिक अहमियत और बढ़ जाती है।

इस अवसर पर राष्ट्रपति मुख्यमंत्री जनजातीय ग्राम अखरा विकास योजना का औपचारिक शुभारंभ करेंगी। यह योजना राज्य के आदिवासी ग्रामों में सांस्कृतिक संरक्षण, पारंपरिक कला, खेल और सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इसे छत्तीसगढ़ सरकार के आदिवासी विकास के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

राष्ट्रपति अपने दौरे में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के लोगों से मुलाकात भी करेंगी। इसके अलावा, वे स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों से भी भेंट करेंगी, जो कार्यक्रम का भावुक और सम्मान से भरपूर हिस्सा होगा।

कार्यक्रम स्थल पर स्थापित विभिन्न स्टालों का निरीक्षण भी राष्ट्रपति करेंगी, जिसमें जनजातीय कला, हस्तशिल्प, प्रदर्शन और पारंपरिक उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। यह उनके जनजातीय समाज के प्रति गहरे लगाव और संवेदनशीलता को दर्शाता है।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू दोपहर 12.30 बजे अंबिकापुर से ओडिशा के लिए रवाना होंगी। उनके इस दौरे को जनजातीय समुदाय के लिए गर्व, सम्मान और प्रेरणा का अवसर माना जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान देता है।