#प्रदेश

दत्तात्रेय मंदिर में कल भव्य रुप से मनाया जाएगा दत्त जन्म उत्सव

Advertisement Carousel

 

रायपुर। पुरानी बस्ती स्थित प्राचीनतम दत्तात्रेय मंदिर में 27 नवंबर से 06 दिसम्बर तक मनाए जा रहे दस दिवसीय दत्तात्रेय जयंति महोत्सव के तहत कल गुरुवार 04 दिसंबर को दत्तात्रेय जन्म जयंति उत्सव मनाया जावेगा। जिसमें सुबह 9. बजे से रात्रि 11 बजे तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. जिसमे सुबह 9 बजे दत्त प्रभु , गुरु गोरखनाथ व भोलेनाथ का दुग्धाभिषेक आचार्य पं. राजु शर्मा व पं. माधो प्रसाद पाठक सहित एकादश ब्रम्हाण के सस्वर रुद पाठ के साथ किया जावेगा। दोपहर 11 बजे सत्यनारायण कथा पूजन ,हवन , आरती ,संध्या 6 बजे धर्म ध्वजा का आरोहण महंत राम सुंदर दास द्वारा पश्चात गुरु चरित पाठ ,दत्त प्रभु जन्म अध्याय का पठन पं सुबोध मनोहर पाण्डे द्वारा जन्म उत्सव ,छप्पन भोग,भव्य आतिशबाज़ी महा आरती ,प्रसाद वितरण , रात्रि भजन संध्या “मिले सुर मेरा तुम्हारा “टीम महाराष्ट्र मंडल द्वारा सुरमयी भजन प्रस्तुत किया जाएगा ईसके पूर्व सप्तम दिवस 03 दिसंबर को सुबह गुरु चरित पाठ का पठन पं. सुबोध मनोहर पंडे द्वारा किया गया, दौपहर साई मंदिर , वल्लभ नगर केन्द्र द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया जिसमें नंदा अगस्ती, विजया चौधरी, सुलभा विठालकर, मीना चांदे, शोभा पाटिल, रोहिणी चिमोरे, अपर्णा देशमुख, राखी नामदेव, श्यामली कुमरे प्रमुख हैं कार्यक्रम का संचालन हेमा ताई बर्वे व करुणा मूंदड़ा द्वारा किया गया .

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हरि वल्लभ अग्रवाल ने बताया कि हिन्दू समाज के हर जाति हर वर्ग की सम्मिलित संस्कृति का केन्द्र है दत्तात्रेय मंदिर जहाँ ईन दस दिनों में सामाजिक समरसता के साथ ही कई क्षेत्रीय भाषाओं में भजन के साथ हज़ारों श्रद्धालुओं से दान में प्राप्त अनाज , तेल , मसाले से भोजन प्रसादी बनाकर दत्त प्रभु को भोग लगाया जाता है. जिसमे हज़ारो श्रद्धालु भोजन प्रसाद प्राप्त करते हैं नवम दिवस 05 दिसंबर शुक्रवार दौपहर ब्रम्हाण भोजन के बाद भोग प्रसाद “महा भंडारा “होगा जिसमें सात हज़ार श्रद्धालु भोजन प्रसादी ग्रहण करेंगे, 06 दिसम्बर अपरान्ह शहर की दर्जनों महिला भजन मंडलिया सामूहिक रुप से भजन गाने मंदिर आतीं हैं। इनके बीच भजन गाने की होड़ रहती हैं साथ ही महिलाएं अपने साथ लाई, चिवड़ा, मक्खन, आचार, जाम, दही , हरि मिर्च, धनिया पत्ता लेकर आती है जिससे मिलाकर प्रसाद बनाया जाता है किदंवती है कि हिंदू समाज में उच नीच के भेद न रहे ईसलिए प्रारंभ किया गया था.इस सामुहिक आनंद के उत्सव को गोपाल काला उत्सव कहा जाता है इस उत्सव के साथ दसवें दिन महोत्सव का समापन हो जावेगा।