छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई,सीएम ने दी श्रद्धांजलि
रायपुर। छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र, प्रख्यात साहित्यकार एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित दिवंगत विनोद कुमार शुक्ल को आज मारवाड़ी मुक्तिधाम में संपूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने निवास पहुंचकर दिवंगत शुक्ल के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी तथा शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इस दौरान कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उम्मेद सिंह, नगर निगम आयुक्त विश्वदीप, जिला पंचायत सीईओ कुमार बिश्वरंजन सहित अन्य अधिकारी एवं गणमान्य नागरिकों ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।
दिवंगत साहित्यकार शुक्ल के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर मारवाड़ी मुक्तिधाम लाया गया, जहां सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक अनुज शर्मा ,मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शंशाक शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, कलेक्टर, एसएसपी, निगम आयुक्त, सीईओ जिला पंचायत, अन्य अधिकारी एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे। उन्हें गार्ड ऑफ ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई।
दिवंगत विनोद कुमार शुक्ल का संपूर्ण जीवन साहित्य सृजन, सादगी और मानवीय संवेदनाओं को समर्पित रहा। उनकी लेखनी ने आम जीवन की सरलता में गहरे अर्थ और भावनाओं को स्वर दिया। उन्हें वर्ष 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा वर्ष 2025 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से अलंकृत किया गया। उनकी प्रमुख रचनाओं में दीवार में एक खिड़की रहती थी, नौकर की कमीज, झोपड़ी और बौना पहाड़, पेड़ पर कमरा, खिलेगा तो देखेंगे सहित अनेक उपन्यास, कविता संग्रह और कहानियां शामिल हैं। उनका साहित्य आने वाली पीढ़ियों को संवेदना, सरलता और सृजनशीलता की प्रेरणा देता रहेगा।




