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प्रदेश में सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाया जाये : डॉ. दिनेश मिश्र

० राजनांदगांव में बहिष्कार के कारण महिला की मौत
० अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा

रायपुर। राजनांदगांव जिले के छुरिया ब्लॉक के गैंदाटोला क्षेत्र के टिपानगढ़ से सामाजिक बहिष्कार की एक घटना सामने आई है जिसमें एक परिवार ने ग्रामीणों द्वारा सामाजिक बहिष्कार से परेशान होकर खुद को मकान में ही बंद कर लिया, बताया जाता है कि टिपानगढ़ के साहू परिवार की सदस्य सुखबती बाई, चेतन साहू और 7 साल की खुशबू साहू ग्रामीणों के द्वारा बहिष्कार से परेशान होकर कई दिनों से मकान में बंद थी। कई दिनों तक घर का दरवाजा न खुलने पर बाद सभी को गम्भीर हालत में छुरिया सामुदायिक अस्पताल लाया गया, जहां 50 साल की सुखबती की उपचार के दौरान मौत हो गई।

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा हमारे यहाँ सामाजिक और जातिगत स्तर पर सक्रिय पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। ग्रामीण अँचल में ऐसी घटनाएँ बहुतायत से होती है जिसमें जाति व समाज से बाहर विवाह करने, समाज के मुखिया का ·कहना न मानने, पंचायतों के मनमाने फरमान व फैसलों को सिर झुकाकर न पालन करने पर किसी व्यक्ति या उसके पूरे परिवार को समाज व जाति से बहिष्कार कर दिया जाता है व उसका समाज में हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है। ·कुछ मामलों में तो स्वच्छता मित्र बनने पर, तो ·कहीं आर.टी.आई. लगाने पर भी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। पूरे प्रदेश में 30 हजार से अधिक व्यक्ति सामाजिक बहिष्कार जैसी ·कुरीति के शिकार हैं। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति सामाजिक बहिष्कारजैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ जनजागरण एवं प्रताडि़त लोगों की मदद के लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार कार्य कर रही है,और कुछ परिवारों का बहिष्कार समाप्त करने में सफल भी हुई है,पर बहिष्कृत परिवारों की संख्या बहुत अधिक है और उनका पुनः समाज में शामिल होना ,पुनर्वास के लिए एक सक्षम कानून की आवश्यकता है . समिति सभी जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर आगामी विधानसभा सत्र में सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने की मांग की है। इसी परिप्रेक्ष्य में ज्ञात हो , महाराष्ट्र विधानसभा में सभी सदस्यो ने सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम के संबंध में महत्वपूर्ण कानून को बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से11 अप्रैल 2016 को पारित कर दिया तथा 20 जून 2017 को माननीय राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद 3 जुलाई 2017 से पूरे महाराष्ट्र में लागू कर दिया गया ।इसी प्रकार हमारे प्रदेश में भी सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम की महती आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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