गरियाबंद। श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस महाराज श्री शान्तनु जी ने गरियाबंद के गाँधी मैदान में उपाध्याय परिवार द्वारा आयोजित कथा को गोवर्धन लीला के साथ प्रारम्भ किया और बताया कि सम्पूर्ण ग्वाल बाल के साथ मिलकर भगवान ने पूरे गोवर्धन पर्वत को कैसे उठा लिया और इंद्र का अभिमान को भंग किया इस लीला के माध्यम से भगवान यह समझाना चाहते थे कि व्यक्ति को सदैव यह मानकर चलना चाहिए कि हमारे सारे काम उन्हीं की कृपा से होते हैं दिखता तो भक्त है परंतु उसके पीछे से भगवान की कृपा जुड़ी होती है। गाँधी मैदान कथा पण्डाल में हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओँ को आज तुलसी वर्षा और रूखमणी विवाह की कथा का रसपान कराया ।
सभी ब्रजवासी भगवान में भगवत्ता का दर्शन करने लगे । इंद्र लज्जित होकर आया है और भगवान से क्षमा याचना किया है महाराज जी ने कहा कि गोवर्धन लीला का तात्विक अर्थ ही यह है कि किसी की पूजा डर कर नही प्रेम से किया जाय । भगवान ने ब्रजवासियों को बैकुंठ का दर्शन कराया है परंतु वहां जाकर ब्रजवासियों को लगा कि बैकुंठ से अच्छा तो अपना वृन्दावन ही है क्योंकि वहाँ भगवान अत्यंत ही सहज हैं आगे प्रयागराज से आये शान्तनु जी महाराज जी ने महारास का वर्णन किया कि शरदपूर्णिमा की रात को भगवान ने अपनी बंशी पर सुंदर तान छेड़ा , बंशी की आवाज सुनकर ही सभी गोपियाँ अपना सब कुछ कामधाम छोड़कर भगवान के पास दौड़ी आयी हैं , आज महारास में उन्ही गोपियों के कान में बंशी की आवाज पड़ी है जिनका चीरहरण अर्थात जिनके माया का परदा भगवान ने हटा दिया है भकगवां ने गोपियों के प्रेम और समर्पण की परीक्षा ली है सभी गोपियों के सर्वस्व समर्पण को देखते हुए भगवान अत्यंत प्रसन्न हुए और दिव्य महारास का प्रारंभ किये । आगे उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि गोपी वही है जिनकी इंद्रियां सदैव कृष्ण रस का पान करती हैं वही गोपी हैं ।
रास करते समय गोपियों के मन मे अहंकार हुआ कि भगवान बस हम गोपियों के इशारे पर नाचते है भगवान इनके मन की भावना को समझकर इनके अहंकार को तोड़ने के लिए इन्हें छोड़कर अंतर्ध्यान हो गए तब सभी गोपियाँ भगवान को अपने बीच मे न पाकर विरह में पागल हो गईं और सभी गोपियाँ मिलकर गोपिगीत गाती हैं जब इनका विरह प्रेम में बदल गया तो भगवान पुनः प्रगट हो गए और सबके साथ मिलकर दिव्य महारास रचाया है और समस्त गोपियों के मनोरथ को पूर्ण किया ।
आज रूखमणी विवाह की कथा और तुलसी वर्षा के बाद के बाद उपाध्याय परिवार द्वारा नगर में विशाल शोभा यात्रा निकाला गया , कथाकार श्री शान्तनु जी महाराज रथ में सवार रहे और धुमाल बाजे पर भगवान कृष्ण और राम धुन पर नगर के युवा , महिला पुरुष सब उत्सव मना रहे , नगर का माहौल राम मय कृष्ण मय हो चुका है , नगर में जगह जगह शोभा यात्रा का स्वागत किया गया ।